अशोक चौहान की मौत : "आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना" की ईमानदारी पर सवाल
अशोक चौहान की मौत : "आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना" की ईमानदारी पर सवाल
अशोक चौहान की मौत : "आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना" की ईमानदारी पर सवाल
झारखंड के बोकारो जिला अंतर्गत बेरमो कोयलांचल निवासी अशोक चौहान की 14 अक्टूबर को रांची के रिम्स में इलाज के दौरान मौत हो गई। इलाज के दौरान मौत होना कोई खबर नहीं है, बल्कि खबर यह है कि अशोक की मौत कथित तौर पर चिकित्सकों की लापरवाही और मृतक की पत्नी लालपरी देवी द्वारा रिम्स के कथित प्रबंधन के भ्रष्ट आचरण के खिलाफ उठाए गए कदम, दलाल और डॉक्टरों की मिलीभगत का पर्दाफाश करने के कारण हुई है।
अति पिछड़ी जाति से आता था मृतक
बता दें कि मृतक अशोक चौहान अति पिछड़ी जाति से आता था तथा छत से गिरने के बाद उसकी की रीढ़ की हड्डी टूट गयी थी। चूंकि वह "आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना" के तहत मिलने वाले लाभ का लाभुक था और उसके पास गोल्डन कार्ड भी था। उसका गोल्डन कार्ड 29 सितंबर का बना हुआ था। इस योजना के तहत स्वास्थ्य बीमा के बावजूद मरीज की पत्नी लालपरी देवी को 50,000 हजार रुपए जमा करने को कहा गया था।
दरअसल बताया जाता है कि अशोक चौहान की पत्नी को डॉ सीबी सहाय ने एक व्यक्ति का मोबाइल नंबर देकर उससे बात करने को कहा था, बात करने पर उस व्यक्ति ने लालपरी देवी से 50,000 हजार रुपए मांगे गये थे।
जब मीडिया के माध्यम से मामला खबरों की सुर्खियों में आया तब स्वास्थ्य विभाग की प्रधान सचिव निधि खरे को इसकी जानकारी हुई। आनन—फानन में निधि खरे ने रिम्स के प्रभारी निदेशक डॉ आरके श्रीवास्तव से इस संबंध में लिखित जवाब मांगा तो मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक निधि खरे को लिखित जवाब देते हुए रिम्स के प्रभारी निदेशक आरके श्रीवास्तव ने कहा था कि,
“मैंने इस संबंध में मरीज के परिजन और डॉक्टर, दोनों से बात की है। मरीज के पास गोल्डन कार्ड 29 सितंबर का बना हुआ है। डॉक्टर ने मरीज के परिजन को ऑपरेशन में यूज होनेवाले इंप्लांट लाने के लिए सप्लायर का नंबर दिया था, जो कि गलत है। आयुष्मान भारत के तहत डिमांड करने पर रिम्स ही इंप्लांट मुहैया करायेगा। यह अधूरी जानकारी की वजह से हुआ है। आयुष्मान मित्र ने जानकारी सही से नहीं दी थी। मैंने डॉक्टर को हिदायत देते हुए नियम का पालन करने को कहा है। साथ ही इसकी जानकारी मरीज के परिजन को भी दे दी गयी है।”
सप्लायर का नंबर दिया किसी भी दलाल का नहीं - डॉ सीबी सहाय
वहीं मीडिया रिपोर्ट्स में डॉ सीबी सहाय ने अपने बयान में कहा है,
“मैंने मरीज के परिजन को इंप्लांट लाने के लिए सप्लायर का नंबर दिया था। मैंने किसी भी दलाल का नंबर नहीं दिया। मरीज के परिजन शायद मेरी बात को अच्छे से समझ नहीं पाये थे। बाद में दलाल का हव्वा बन गया। इसको लेकर निदेशक से भी मेरी बात हो गयी है।”
मगर बात यहीं तक नहीं रह पाई। रिम्स की ही एक नर्स उनके पास आकर कहा था कि तुमने डॉ साहब को बदनाम किया है, डॉ साहब तुमसे बहुत नाराज हैं। इसके बाद से ही लालपरी देवी और अशोक चौहान दोनों डरे सहमे थे।
अब लालपरी देवी रोते हुए कहती है कि डाक्टर ने जान—बूझकर मेरे पति का इलाज ठीक से नहीं किया और मेरे पति की जान ले ली।
बता दें कि बेरमो के अशोक चौहान छज्जा से गिरने के कारण उसकी गर्दन में गंभीर चोट लगी थी, जिसके बाद उसका पूरा शरीर शिथिल पड़ गया था। परिजन उसका इलाज कराने के लिए उसे रांची रिम्स ले आये।
अशोक चौहान को रिम्स में डॉ. सीबी सहाय के वार्ड में भर्ती किया गया। अशोक और उसका परिवार बेहद गरीब हैं। किसी तरह से गुजारा चलता है।
कब हुई आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना की शुरूआत
23 सितंबर को सरकार द्वारा (आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना) की शुरुआत की गयी। योजना के अंगर्गत गरीबों का नि:शुल्क उपचार करने की बात कही गयी।
मरीज की पत्नी लालपरी देवी ने मीडिया को बताया कि उन्होंने इस योजना के तहत अपना गोल्डन कार्ड भी बनवा रखा है, इसके बावजूद उनसे पैसा मांगा गया था।
लालपरी देवी ने मीडिया को बताया कि इससे पहले ब्लड उपलब्ध कराने के लिए भी एक व्यक्ति ने चार हजार रुपये की मांग की थी।
स्पाईनल सर्जरी हुई थी मृतक की
ज्ञातव्य हो कि 5 अक्टूबर को अशोक का स्पाईनल सर्जरी हुई थी ऑपरेशन के सात दिन बाद ही अशोक की मौत हो गयी। इसके बाद से लालपरी देवी का रो-रो कर बुरा हाल है। वह बार-बार एक ही बात दोहराए जा रही है कि डॉक्टरों ने ही उनसे उनका पति छीन लिया। पैसा दे देते तो इलाज ठीक से हो जाता। वहीं इस रिम्स प्रबधंन कुछ बोलने को तैयार नहीं है।
बता दें रिम्स में दलाल और चिकित्सकों का गंठजोड़ कोई नई बात नहीं है। लालपरी देवी जैसी हिम्मत करके पहले अगर लोग रिम्स में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई होती तो शायद यह भ्रष्टाचार यहां तक नहीं पहुंचा होता।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 सितंबर को झारखंड की राजधानी रांची के प्रभात तारा मैदान में "आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना" का उद्घाटन किया था। जैसा कि सरकार का दावा है कि ये दुनिया की सबसे बड़ी हेल्थकेयर योजना है, जिससे करीब 50 करोड़ लोगों को सरकारी और निजी अस्पतालों में इलाज के लिए पांच लाख रुपए तक की मदद मिलेगी, जो 25 सितंबर से प्रभावी हो गई है।
क्या है "आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना"
इस योजना के तहत सरकार देशभर में डेढ़ लाख प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को हेल्थ ऐंड वेलनेस सेंटर के तौर पर विकसित करेगी। ये जिला अस्पताल से डिजिटली लिंक होंगे। इन केन्द्रों पर जांच से लेकर इलाज और दवाइयां तक उपलब्ध कराई जाएंगी। इसके तहत देश के 10.74 करोड़ परिवारों के सदस्यों को इलाज के लिए सरकार सालभर में 5 लाख रुपए तक का खर्च उठाएगी। जिसके तहत परिवारों में अगर किसी को कोई बीमारी होती है, किसी जांच की ज़रूरत है, ऑपरेशन की ज़रूरत है, दवाई की ज़रूरत है, अस्पताल में भर्ती करने की ज़रूरत है, तो उसे सरकार से 5 लाख रुपए तक की मदद मिलेगी। योजना के मुताबिक अस्पताल में भर्ती होने से तीन दिन पहले से लेकर 15 दिन बाद तक की दवाई और जांच का खर्च उठाया जाएगा। अगर कोई व्यक्ति पहले से किसी बीमारी से पीड़ित है, तो उसे भी योजना का फायदा मिलेगा।
योजना के कुल खर्च में से 60% केंद्र सरकार लगाएगी और 40% राज्य सरकारों को खर्च करना होगा।
जनगणना के आंकड़ों के आधार पर अभी 8.03% ग्रामीण और 2.33% शहरी परिवारों को इसमें शामिल किया गया है। परिवारों का चयन जनगणना के आंकड़ों के आधार पर ही किया गया है। गांवों में 7 पैमानों पर लोग चुने गए हैं और शहरों में 11 पैमानों पर लोग चुने गए हैं। इन लोगों में कूड़ा बीनने वाले, भिखारी, घरेलू सहायक, रेहड़ी-पटरी वाले, मोची, फेरीवाले, मज़दूर, प्लंबर, राजमिस्त्री, पेन्टर, वेल्डर, सिक्यॉरिटी गार्ड, कुली और सफाईकर्मी शामिल हैं। जो लोग राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना का फायदा उठा रहे हैं, वो भी इस नई योजना का फायदा उठा सकते हैं।
2011 के बाद गरीब हुए लोगों को नहीं मिलेगा आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का लाभ
2011 की जनगणना में जो भी गरीब था, वो इस योजना के तहत आएगा, लेकिन 2011 के बाद गरीब की श्रेणी आए लोग अभी इसमें शामिल नहीं किए गए हैं।
आयुष्मान भारत में आपका नाम है या नहीं, ये जानने के तीन तरीके हैं। पहला तरीका है योजना की वेबसाइट, mera.pmjay.gov.in , इस वेबसाइट के मुखपृष्ठ पर ही आपको ‘PM Jan Arogya Yojana’ का पॉपअप मिलेगा, इसमें आपको फोन नंबर डालना होगा। आपके फोन में ओटीपी आएगा, जिसे वेबसाइट पर डालकर आप जान सकते हैं कि आपका नाम सूची में है या नहीं।
आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का टोलफ्री फोन नंबर
दूसरा विकल्प है टोलफ्री फोन नंबर 14555 पर फोन करके जान सकते हैं कि आपका नाम योजना में है या नहीं। इस नंबर पर आपसे कुछ जानकारियां मांगी जाएंगी, जो देने पर आपको अपनी पात्रता की जानकारी मिलेगी।
आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना में सूचीबद्ध अस्पताल
तीसरा तरीका है सूचीबद्ध अस्पताल— जो भी सरकारी और निजी अस्पताल आयुष्मान भारत से जुड़े हैं, वहां आरोग्य मित्र रखे गए हैं। आप उनसे मिलकर पता कर सकते हैं कि आपका नाम योजना में है या नहीं।
आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना में क्या कागजात चाहिए
आरोग्य मित्र आपसे राशन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस या आधार कार्ड जैसे कागजात मांग सकते हैं। पहचान साबित होने के बाद अगर आपका नाम योजना में होगा, तो आपको एक ई-कार्ड दे दिया जाएगा। इसी कार्ड के ज़रिए आप कभी भी पांच लाख रुपए तक का इलाज करा सकते हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार ई-कार्ड में आगे आपका फोटो और नाम होगा और पीछे पता लिखा होगा। एक बार ई-कार्ड मिलने के बाद आपको इलाज के लिए कोई भी दूसरे कागजात दिखाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।
बकौल प्रधानमंत्री ‘आपको किसी रजिस्ट्रेशन की ज़रूरत नहीं होगी। ई-कार्ड काफी है। उसमें सारी जानकारी होगी और किसी कागज़ी कार्रवाई में पड़ने की ज़रूरत नहीं है।’
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रधानमंत्री ने ये भी कहा है कि देश भर में तीन लाख कॉमन सर्विस सेंटर हैं, वहां से भी आप ये जानकारी ले सकते हैं। अस्पताल में तैनात प्रधानमंत्री आरोग्य मित्रों के अलावा गांव में काम करने वाली आशा और एएनएम बहनों से भी आप मदद ले सकते हैं।
केंद्र सरकार ने सभी राज्य सरकारों को ये छूट दी है कि वो अपनी सहूलियत के हिसाब से इस योजना को अपने प्रदेश में लागू करें। तो अभी पश्चिम बंगाल, पंजाब, दिल्ली, केरल, तेलंगाना और उड़ीसा जैसे कुछ राज्यों ने इसे लागू नहीं किया है। ये खुद की ऐसी ही योजना चाहते हैं या इन राज्यों में ऐसी कुछ योजनाएं पहले से चल रही हैं। लेकिन देश के 36 में से 29 राज्य ये योजना लागू करने को तैयार हो गए हैं। 445 जिलों से शुरू हो रही इस योजना में 13,000 अस्पताल शामिल हो चुके हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि जो अस्पताल अच्छी सेवाएं देंगे, उन्हें सरकारी मदद भी मिलेगी। अगर आपके राज्य ने अभी तक योजना लागू नहीं की है, तो आप दूसरे राज्य में भी इसका फायदा उठा सकते हैं। 13 हज़ार अस्पतालों से शुरुआत के अलावा सरकार का लक्ष्य अगले चार साल में चार लाख हेल्थ ऐंड वेलनेस सेंटर बनाने का है, जिसमें जांच, इलाज और दवाई की सुविधा होगी।
आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना में जांच पैकेज
सरकार ने कहा है कि इस योजना के तहत करीब 1300 पैकेज हैं, जिनमें कैंसर सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडिएशन, बाइपास सर्जरी, न्यूरो सर्जरी, रीढ़ की सर्जरी, दांतों की सर्जरी, आंखों की सर्जरी जैसे इलाज और एमआरआई व सीटी स्कैन जैसी जांच शामिल हैं।
कहना ना होगा कि यह योजना देखने में आम जनों के लिए जितनी सुविधाजनक लग रही है, इसको लागू करने की ईमानदारी पर उतना ही शक पैदा होता है, जो अशोक चौहान की मौत से साबित होता दिख रहा है।
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(इस आलेख में कुछ जानकारी जनहित में विभिन्न मीडिया स्रोत से साभार ली गई हैं। )


