असली देश तोड़क कौन ? आईएसआई के मंसूबों की पूर्ति करते हैं हिंदुत्ववादी !
असली देश तोड़क कौन ? आईएसआई के मंसूबों की पूर्ति करते हैं हिंदुत्ववादी !
असली देश तोड़क कौन ?
रणधीर सिंह सुमन
1757 के आसपास यह देश इंग्लैंड के व्यापारियों का गुलाम बंगाल से होना शुरू हुआ था और 1857 तक ईस्ट इंडिया कंपनी का गुलाम रहा, उसके पश्चात 1858 में देश तख़्त-ए-लन्दन का गुलाम हो गया। देश को गुलाम बनाए रखने के लिए अंग्रेजों ने या यूँ कहिये ब्रिटिश साम्राज्यवाद ने यहाँ के निवासियों में धर्म या जाति, क्षेत्र, भाषा के आधार पर अपनी मनपसंद कहानियों के आधार पर विभाजन या इर्ष्याजनित कपोल कल्पनाओं पर आदारित बहुत सारी बातें लिखीं या रची या अफवाहें फैलाकर इन्हीं आधारों पर वैमनस्यता का एक छद्म वातावरण तैयार किया और उसी आधार पर 1858 से लेकर 1947 तक देश ब्रिटिश साम्राज्यवाद के लिए गुलामी के लिए मानसिक रूप से तैयार रहा था। उसी मानसिकता के तहत 1925 में हिन्दू महासभा के कुछ लोगों द्वारा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की स्थापना की गयी थी।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने कभी भी ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ एक भी शब्द न कहा, न लिखा लेकिन ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ मुख्य योद्धा- महान नायक मोहन दास करम चन्द्र गाँधी की हत्या पर खुशियाँ मनाईं।
ब्रिटिश नीतियों के आधार पर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आई एस आई, जो अमेरिकी साम्राज्यवाद के लिए काम करती है और अमेरिका की कुख्यात खुफिया एजेंसी सीआईए व इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद के दिशा निर्देशन में आईएसआई जाति, धर्म, भाषा व प्रान्त के आधार पर झगड़े कराकर इस देश की एकता और अखंडता को नष्ट कर देना चाहती है। उनके उद्देश्य के अनुरूप इस देश में चाहे योगी आदित्यनाथ हों या साक्षी, जो बलात्कार के आरोपी रहे हैं, जब भी बोलते हैं तो धर्म के आधार पर फसाद कराने की बात ही बोलते हैं। जिससे इस देश के अन्दर हिन्दू, मुसलमान, इसाई या अन्य धर्मों के मतावलंबी आपस में मारकाट मचाएं और गृह युद्ध जैसी स्थिति पैदा हो और उसका लाभ आईएसआई या इस मुल्क के दुश्मन लाभ उठा सके।
किसी देश को कमजोर करना हो, उसको तोड़ना हो तो नस्ल भाषा, धर्म, जाति, कुल, गोत्र आदि सवाल खड़ा कर उनकी उच्चता का प्रश्न पैदा कर दो। मारपीट शुरू हो जाएगी, विघटन शुरू हो जायेगा। एक ही दिल में बहुत सारे धर्म एक साथ रहना बंद कर देंगे, दिलों की खटास पैदा होगी, एकता समाप्त होगी और देश या राष्ट्र नाम की अमूर्त सत्ता का विनाश हो जायेगा।
आज कथित हिंदुत्ववादी जब भी बोलते हैं तो उनकी वाणी से देश की एकता और अखंडता को खतरा होता है और आईएसआई के मंसूबों की पूर्ति होती है। कम पढ़े लिखे संघी फायरब्रांड साध्वी या साधू जो विभिन्न अपराध कर्मों की सजा से बचने के लिए गेरुवा वस्त्र धारण कर आईएसआई के मंसूबों को पूरा करने के लिए रोज बयानबाजी करते हैं। उनकी कहीं न कहीं मंशा आईएसआई के खतरनाक इरादों को पूरा करने में सहयोगी की भूमिका होती है। धर्म के भावनात्मक सवाल को लेकर बहुसंख्यक जनता का एक हिस्सा उनका समर्थन करने लगता है लेकिन यथार्थ में जब उसका विश्लेषण किया जायेगा तो उनकी यह देश भक्ति या राष्ट्रभक्ति नहीं होती है बल्कि उनकी भूमिका एक बड़े देशद्रोही के रूप में होती है। कभी गाय का सवाल, कभी जाति का सवाल, कभी धर्म का सवाल या तथाकथित गेरुवा वस्त्र धारी धर्मगुरु खड़ा करते हैं, वह समझते हैं कि वह देश समाज की सेवा कर रहे हैं। जाने अनजाने में वह इस देश की एकता और अखंडता को तोड़ने का काम कर रहे होते हैं। इनका शिकार इस देश का नौजवान होता है। जो इनके इतिहास से परिचित नहीं होता है कि यह भेड़िये रामनामी चादर ओढ़कर जीव जगत का विनाश करने के लिए कृत संकल्प हैं।
बिहार में अभी हुए चुनाव में इन खतरनाक फ़ासिस्ट लोगो के मंसूबों को हिन्दू, मुसलमान, सिख, इसाई, अगड़े-पिछड़े, दलितों ने इनको हराकर आइना इनके सामने कर दिया है।


