अहिंसा के पुजारी बुद्ध के देश से गीता के जरिए भारतीय धर्मनिरपेक्षों पर हमला
अहिंसा के पुजारी बुद्ध के देश से गीता के जरिए भारतीय धर्मनिरपेक्षों पर हमला
जापानी पीएम भी सोच रहे होंगे क्या गज़ब मेड इन इंडिया आइटम आया है यह
नई दिल्ली। अहिंसा के पुजारी गौतम बुद्ध के अनुयायियों के देश में गीता ले जाना कोई पाप तो नहीं कहा जा सकता लेकिन गीता के बहाने जापान की धरती से जिस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के धर्मनिरपेक्ष संविधान पर हमला बोला वह काबिल-ए-ऐतराज है। हालांकि राजनीतिक हलकों में मोदी के इस हरकत पर तो कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई अलबत्ता सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं हुईं।
अपनी पांच दिवसीय जापान यात्रा के चौथे दिन स्थानीय इंपीरियल पैलेस में मोदी ने सम्राट अकीहितो से मुलाकात की उसके बाद एक समारोह में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए मोदी ने अपनी जापान यात्रा में गीता की एक प्रति लेकर आने की बात कही ताकि उसे सम्राट को तोहफे के तौर पर दिया जा सके। उन्होंने कहा, ‘‘तोहफे में देने के लिए मैं गीता की एक प्रति अपने साथ लाया। मैं नहीं जानता कि इसके बाद भारत में क्या होगा। इस पर टीवी बहसें भी हो सकती हैं।’’
मोदी इतने पर ही नहीं रुके उन्होंने कहा, ‘‘हमारे धर्मनिरपेक्ष मित्र इस पर एक तूफान खड़ा कर देंगे कि मोदी अपने आप को समझते क्या हैं ? वह अपने साथ गीता ले गए जिसका मतलब यह है कि उन्होंने इसे भी सांप्रदायिक बना दिया।’’
मोदी को सुन रहे लोगों ने जब उनके इस बयान पर तालियां बजाईं तो उन्होंने आगे कहा, ‘‘कोई बात नहीं, उनकी भी रोजी-रोटी चलनी चाहिए और यदि वहां मैं नहीं रहूंगा तो वे अपनी आजीविका कैसे चलाएंगे?’’ मोदी ने कहा कि उन्हें हैरत होती है कि आजकल छोटी-छोटी चीजें विवाद पैदा कर देती हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं नहीं समझता कि क्यों, पर लोग आजकल ऐसी तुच्छ चीजों पर भी विवाद पैदा कर देते हैं। पर मेरा अपना समर्पण और संकल्प है कि यदि मैं दुनिया के किसी महान व्यक्ति से मिलूं तो उसे गीता भेंट करूं और इस वजह से मैं इसे यहां लेकर आया।’’
अब मोदी की इस हरकत पर सवाल उठ रहे हैं और चहुँ ओर आलोचना हो रही है। सवाल किया जा रहा है कि मोदी जिस देश के प्रधानमंत्री हैं उस देश का संविधान धर्मनिरपेक्ष है और मोदी उसी संविधान की शपथ लेने के बाद ही प्रधानमंत्री बने हैं, फिर वह धर्मनिरपेक्षता पर ऐसा तुच्छ हमला करके क्या देश के संविधान के साथ खिलवाड़ नहीं कर रहे हैं। सवाल यह भी उठ रहे हैं कि मोदी विदेश के दौरे पर थे किसी चुनावी जनसभा में नहीं, और किसी ने भी उनके गीता ले जाने पर प्रश्न खड़ा नहीं किया था, फिर उन्होंने देश के अंदर अपने विरोधियों पर ऐसा निकृष्ट कोटि का हमला बोलकर साबित कर दिया है कि उन्हें प्रधानमंत्री पद की गरिमा का कोई लिहाज नहीं है।
वरिष्ठ साहित्यकार वीरेंद्र यादव लिखते हैं, “संभवतः भारत के जनतांत्रिक इतिहास में यह पहली बार है कि देश के प्रधानमंत्री ने किसी अन्य देश में जाकर स्वयं से असहमति रखने वालों अपने देशवासियों के प्रति हिकारत का भाव दिखाया हो। जापान में नरेन्द्र मोदी का सेकुलर लोगों पर कटाक्ष करते हुए यह कहना दुर्भाग्यपूर्ण है कि 'यदि वे विरोध नहीं करेंगें तो उनकी रोजी रोटी कैसे चलेगी, उनका धंधा भी चलना चाहिए'। यह नरेन्द्र मोदी के व्यक्तित्व की लघुता का भी परिचायक है। विशेषकर तब जब उनके द्वारा गीता भेंट करने पर न तब तक किसी ने सार्वजानिक टिप्पणी की थी और न विरोध.....प्रधानमंत्री के पद की गरिमा के निर्वहन की चिंता जब इस पद पर पदारुढ व्यक्ति को ही न हो तो निश्चित रूप से यह गहरी चिंता और आसन्न संकट का परिचायक है। कहने की आवश्यकता नही कि धर्मनिरपेक्षता एक संवैधानिक मूल्य है और शीर्ष संवैधानिक पद पर बैठा व्यक्ति ही जब इसकी खिल्ली उडाये तो चिंता और भी बढ़ जाती है....क्या यह उम्मीद की जानी चाहिए कि स्थितियां और बदतर होने से बच सकेंगी?”
युवा पत्रकार ऋषि कुमार सिंह लिखते हैं- गीता लाया हूं, हमारे यहां के सेक्युलर लोग नाराज हो जाएंगे। ...अरे साहब...शायद आप भूल गए कि चुनावी नहीं विदेशी दौरे पर है।“
वरिष्ठ पत्रकार - देवेंद्र सुरजन लिखते हैं- “टोक्यो में भारतीयों के बीच नमो का भाषण बड़ी संजीदगी से चल रहा था कि अचानक ही उन्हें कुछ हुआ और वे सेकुलरों पर धावा कर बैठे। उनकी कथित बेरोजगारी पर भद्दे ढंग से कमेन्ट करने लगे। खुद कम्युनल हो बैठे। कोई नहीं समझ पाया कि विदेशी धरती पर क्या जरूरत आ पड़ी उन्हें अपने विपक्षी सेकुलरों को इस तरह याद करने की ? क्या आपको समझ में आता है ?”
युवा अधिवक्ता सैयद हैदर इमरान रिज़वी लिखते हैं, “31% बकलोलों के जनादेश का प्रतिबिम्ब भली भाँति अपना रंग दिखा रहा है... आपने कभी इससे पहले सुना था कि किसी पीएम ने दूसरे देश जाकर अपने नागरिकों की बुराई की हो? जापान के पीएम से कुछ तोहफों (गीता) के लेनदेन पर ये कह आया कि इससे मेरे देश के सेकुलर चिढ़ जायेंगे.... इस को यह भी नहीं पता कि सेकुलर शब्द भारत के संविधान में है.... तोहफों के लेन देन से तो नहीं अलबत्ता उसके बाद आये बेहूदे बयान से संविधान की मूल भावना ज़रूर आहत हुई, जापानी पीएम भी सोच रहे होंगे क्या गज़ब मेड इन इंडिया आइटम आया है यह....
When Justice A.R Dave said Geeta should be tout in the schools it was found communal P.M. gifted GEETA to P.M. of Japan which was accepted
— Sudhakar Joshi (@SudhakarJoshi10) September 2, 2014
So for the first time we have a self declared Communal at @PMOIndia . He is such a dirty mind that he thinks the Geeta belongs to Sanghis
— PriyabrataT #BDL# (@PriyabrataT) September 2, 2014
PM Modi ji, if you think 'secular' will dislike Geeta as a gift then let me tell you one thing, "I'm secular because I've read Geeta"
— Parikshit Shah (@imparixit) September 3, 2014
in Geeta, Kans killed 7 sons of Devaki to save own life, how many did Modi kill? @K_T_L @gsurya @calmgalin @FansRahul @Raj_m104 @rachitseth
— Parikshit Shah (@imparixit) June 30, 2013
Actually Modi tried to spark off the Bhagwat Gita Controversy to gain some browny points. But media is too clever !! #modiinjapan
— Vinod Mehta (@DrunkVinodMehta) September 3, 2014
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