जन संघर्ष मोर्चा की विकल्प रैली में जुटी एक मंच पर आंदोलन की ताकतें

1894 का भूमि अधिग्रहण कानून हो रद्द, लिए प्रस्ताव

लखनऊ। मायावती द्वारा कल बुलायी गयी किसान पंचायत तथा उसमें मुख्यमंत्री मायावती द्वारा घोषित भूमि अधिग्रहण नीति को किसानों को गुमराह करने की कोशिश है। यह महज कांग्रेस द्वारा 1894 के कानून में संशोधन के प्रस्तावित बिल के खिलाफ मायावती की पेशबंदी है। जबकि सच्चाई यह है कि कांग्रेस तथा मायावती दोनों की किसानों की जमीन के अधिग्रहण के मामले में समान सोच है और दोनों भूमि अधिग्रहण 1894 कानून के किसान विरोधी प्रावधानों को बनाए रखना चाहते हैं, इसीलिए दोनों ही भूमि अधिग्रहण कानून को रद्द करने की जगह संशोधन की बात करते हैं। यदि उत्तर प्रदेश सरकार सही मायने में किसानों के सवाल पर संवेदनशील होती तो निजी कम्पनियों और बिल्डरों के लिए किसानों के खून की कीमत पर सरकार द्वारा ली गयी जमीन के लिए प्रदेश की जनता से माफी मांगती और इस बात की घोषणा करती कि 1894 का कानून रद्द कर नयी भूमि नीति जब तक नहीं बनती तब तक प्रदेश में किसानों से एक इंच भी जमीन अधिग्रहित नहीं की जायेगी। साथ ही जेपी ग्रुप जैसे लोगों के नाम किसानों की जो जमीन औने पौने दाम पर बलात् अधिग्रहित की गयी है और जिन पर किसान अभी भी आंदोलनरत् हैं उन्हें किसानों को लौटा देती। भूमि अधिग्रहण कानून के सवाल पर मायावती की संसद मार्च की बात वैसे ही पाखंड है जैसे उनकी महंगाई कम करने की मांग, जबकि वह टैक्स में कटौती करके इसे खुद ही कम कर सकती हैं। इसलिए तमाम किसान नेताओं से अपील है कि मायावती तथा कांग्रेस के झांसे में न आए और उनके खेल को बेनकाब करें और 1894 के काले कानून को रद्द कराने की मुहिम में शामिल हांे। यह राजनीतिक प्रस्ताव आज जन संघर्ष मोर्चा के आवहान पर झूलेलाल पार्क में आयोजित विकल्प रैली में हजारों की संख्या में जुटे लोगों ने लिया।
रैली को जन संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय संयोजक अखिलेन्द्र प्रताप सिंह ने सम्बोधित करते हुए कहा कि कांग्रेस- भाजपा, सपा-बसपा की कारपोरेट परस्त राजनीति के खिलाफ रैली में कम्युनिस्ट धारा, किसान आंदोलन, मुस्लिम संगठन और सामाजिक न्याय, नागरिक आंदोलन की तमाम ताकतें जनवादी राजनीतिक विकल्प के लिए एक मंच पर आयी। हमें उम्मीद है कि यह रैली में प्रदेष में जनपक्षधर राजनीतिक विकल्प की जरूरत को पूरा करने का केन्द्र बनेगी।
रैली की अध्यक्षता करते हुए जन संघर्ष मोर्चा के प्रदेष अध्यक्ष और वेलफेयर पार्टी आफ इंडिया के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष इलियास आजमी ने कहा कि कांग्रेस, सपा, बसपा एक दूसरे की विकल्प नहीं बल्कि एक दूसरे की पूरक है और भाजपा का तो मात्र एक ही काम है, हमारे देश की गंगा जमुनी तहजीब को बिगाड़ना और दंगा-फसाद की जमीन पर खड़े होकर राजनीति करना। इसलिए इन दलों से अलग राजनीतिक विकल्प वक्त की जरूरत है। हमें इस रैली से परित एजेण्डा उ0 प्र0 और प्रस्तावों को जन-जन तक लेकर जाना है।
राष्ट्रवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव व पूर्व मंत्री कौषल किशोर ने कहा कि प्रदेश में बन रहा यह नया राजनीतिक विकल्प प्रदेश में विकास और लोकतंत्र की गारंटी करेगा।
भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष ऋषिपाल अम्बावता ने कहा कि 1894 के भूमि अधिग्रहण कानून को रद्द किया जाए और ’’जनहित’’ की ठोस व्याख्या की जाए ताकि उसके नाम पर उपजाऊ, कृषि भूमि के गैर कृषि कार्यों के लिए हस्तानांतरण पर रोक लग सके। इसके लिए नयी राष्ट्रीय भूमि उपयोग नीति की घोषणा की जाए। इन सवालों पर तमाम किसान संगठनों के साथ मिलकर मानसून सत्र में संसद मार्च करने का उन्होने ऐलान किया।
लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रधु ठाकुर ने कहा कि देष का विकास तभी हो सकता है जब कृषि के विकास को केन्द्र में लाया जाए। उन्होने उ0 प्र0 में विकल्प के लिए जारी इस मुहिम में पूरे तौर पर साथ रहने की बात कही।
रैली में एजेण्डा उत्तर प्रदेश जारी किया गया और भ्रष्टाचार विरोधी राष्ट्रव्यापी आंदोलन के साथ जोरदार एकजुटता व्यक्त करते हुए रैली में लिए गए राजनीतिक प्रस्ताव में कहा गया कि आय से अधिक सम्पत्ति के मामलों में मुलायम सिंह तथा मायावती को बचाने के लिए जिस तरह मनमोहन सरकार सीबीआई का दुरूपयोग कर रही है, यह रैली उसकी कड़ी निन्दा करती है। ज्ञातव्य हो कि सुप्रीम कोर्ट ने भी सीबीआई द्वारा इस मामले में बार-बार बयान बदलने पर हैरानी जाहिर की और कठोर टिप्पणियां की है। यह अनायास नहीं है कि हर नाजुक मौके पर मुलायम और मायावती केन्द्र सरकार के बचाव में खडे नजर आते है। रैली में मांग की गयी कि मनमोहन सरकार सीबीआई जैसी संस्था को ब्लैकमेल की एजेन्सी में तब्दील करने तथा मुलायम और मायावती को भ्रष्टाचार के मामलों में बचाने से बाज आए तथा कानून को अपना काम निष्पक्ष ढंग से करने दे।
रैली में लिए राजनीतिक प्रस्ताव में उ0 प्र0 में लोकतांत्रिक अधिकारों पर हो रहे हमले पर गहरी चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा गया कि उत्तर प्रदेश में आज अघोषित आपातकाल की स्थिति बनती जा रही है। भट्टा पारसोल के किसानों से लेकर गोरखपुर में आंदोलनरत मजदूरों समेत जनता के सभी तबकों के न्यायपूर्ण संघर्षो पर बर्बर दमन ढाया जा रहा है। मायावती सरकार ने पूरे प्रदेष में धारा 144 लगा रखी है, हिटलरी फरमान जारी करके धरना, प्रदर्शन, आमसभा, रैली जैसी लोकतांत्रिक कार्रवाइयों के लिए भी सरकार द्वारा बांड भरवाया जा रहा है। आंदोलन के नेताओं के सर पर अपराधियों की तरह इनाम घोषित किया जा रहा है। रैली में सरकार से मांग की गयी कि प्रदेश में लोकतांत्रिक अधिकारों की हर हाल में गारंटी की जाए, आंदोलनात्मक-राजनीतिक कार्यवाहियों के लिए बांड भरवाने के आदेश को तत्काल वापस लिया जाए और आंदोलन के नेताओं पर लगे तमाम फर्जी आपराधिक मुकदमों और किसान आंदोलन के नेताओं पर घोषित इनाम को वापस लिया जाए।
रैली में लिए प्रस्ताव में आसमान छूती महंगाई, विषेषकर पेट्रोलियम पदार्थों के दाम में अंधाधंुध बढ़ोत्तरी के लिए मनमोहन सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए कहा गया कि यह जनता के विरूद्ध युद्ध है। इसने आज आम आदमी का जीना मुहाल कर दिया है। रैली घाटे के सरकारी तर्क को गलत अर्थषास्त्र मानती है, सच्चाई यह है कि सरकार द्वारा पेट्रोलियम पदार्थों की बिक्री पर वसूला जा रह टैक्स जनता पर महंगाई का बोझ बढा रहा है। यदि महज इस भारी टैक्स में आंषिक कमी कर दी जाती तो तेल कम्पनियों का कथित घाटा भी पूरा हो जाता और जनता पर कोई बोझ भी नहीं पड़ता। रैली द्वारा मांग की गयी कि केन्द्र तथा राज्य सरकार पेट्रोलियम पदार्थों पर टैक्स में कटौती करें और जनता पर बोझ बढाने से बाज आए और राज्य सरकार किसानों को टैक्स फ्री डीजल मुहैया कराने की गारंटी करें। रैली में प्रदेश में अति पिछड़ों, अल्पसंख्यकों, आदिवासियों-वनवासियों के सामाजिक न्याय के अधिकार की गारंटी के लिए सरकार से मांग की गयी कि अति पिछड़े हिन्दुओं और पिछड़े मुसलमानों के आरक्षण कोटे को अलग किया जाए। दलित अल्पसंख्यकों को अनुसूचित जाति में शामिल किया जाए। कोल, मुसहर, राजभर जातियों को आदिवासी का दर्जा दिया जाए और गोड़, खरवार जैसी आदिवासी का दर्जा पायी जातियों के लिए चुनाव में सीट आरक्षित की जाए।
रैली में लिए प्रस्ताव में पर्यावरण कानूनों का खुला उल्लंधन कर प्रदेष के मिर्जापुर-सोनभद्र, इलाहाबाद, बुदेलखण्ड अंचल में किए जा रहे अवैध खनन और प्राकृतिक संसाधनों की लूट, जिसमें मायावती जी के नजदीकी सिपहसालार शामिल है, पर गहरी चिन्ता व्यक्त की गयीै। पहले से ही गम्भीर जल संकट से जूझ रहे इस इलाके में इससे कितना बड़ा पर्यावरणीय संकट खडा हो रहा है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सोनभद्र में तमाम मासूम बच्चों की जहरीला पानी पीकर मौत हो गयी। यह पूरा क्षेत्र डार्क जोन में आता है बाबजूद इसके चुनार से लेकर सोनभद्र तक जेपी समूह ने बिजली बनाने के लिए जमीन से पानी निकाल कर जल संकट को और भी बढ़ा दिया है। गोरखपुर अंचल में हर साल हजारों लोग मस्तिष्क ज्वर और ऐसी ही अन्य बीमारियों से मर रहे हैं लेकिन सरकार लोगों की जिदंगी बचा पाने में विफल है। रैली मांग करती है कि प्राकृतिक संसाधनों की लूट पर रोक लगाई जाय, बिना पर्यावरणीय अनुमति के जिन लोगों ने खनन के आदेष दिए हैं उनकी जबाबदेही तय हो और उन्हें दण्डि़त किया जाए और इन क्षेत्रों में औद्योगिक कार्यो के लिए जमीन से पानी निकालने पर कड़ाई से रोक लगाई जाए।
रैली में दलित उत्पीडन और बढ रही महिला बलात्कार की घटनाओं पर गहरी चिंता व्यक्त की गयी और अल्पसंख्यकों के विकास के लिए अधिक धनराषि देने और सबप्लान धोषित करने और आतंकवाद से निपटने के नाम पर फर्जी मुकदमों में फंसाए गए निर्दोष लोगों की रिहाई की मांग की गयी। रैली में नोएडा विकास प्राधिकरण के अनशनरत मजदूर की मृत्यु पर गहरा शोक व्यक्त किया गया। रैली को जन संघर्ष मोर्चा के महाराष्ट्र प्रभारी ललित रूनवाल, किसान मंच के उपाध्यक्ष हदृय नारायण शुक्ल, समाजवादी जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष प्रताप नारायण सिंह, इंकलाब पार्टी आफ इंडिया के मोहम्मद इकबाल, मुस्लिम मजलिस के युसुफ हबीब, पूर्व सांसद अखिलेश सिंह, जसमों प्रदेष प्रवक्ता अनिल सिंह, पूर्व आई. जी. एस आर दारापुरी, नागरिक आंदोलन के शोएब, पी0 डी0 एफ0 के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अफजाल, सोशलिस्ट पार्टी (लोहिया) के रामसहारे, आदिवासी वनवासी महासभा के गुलाब चंद गोड, लाल बहादुर सिंह, पारख महासंघ के उपाध्यक्ष उपेन्द्र सिंह रावत, तिलकधारी बिन्द ने सम्बोधित किया और संचालन जसमों केन्द्रीय प्रवक्ता दिनकर कपूर ने किया।