आरक्षण के मुद्दे पर संवैधानिक अधिकारों के लिए एकजुटहों

अनीश कुमार ‘आदित्य’
जिस देश का प्रधानमंत्री ओबीसी और वह बार-बार कसमें खा-खा कर कहता रहा हो कि आरक्षण न खत्म हुआ है और न ही खत्म होगा, लेकिन आश्चर्य की बात है कि उसी प्रधानमंत्री के मंत्रिमंडल की विश्व की सबसे ज्यादा झूठ बोलने वाली महिला माननीया स्मृति ज़ुबिन ईरानी जी उनके ही सामने आरक्षण खत्म करने का तुगलकी फरमान जारी कर दिया और ये सब बेहद गुपचुप व शांतिपूर्ण तरीके से हुआ। किसी को कोई भनक तक नहीं लगी।
अब सवाल ये उठता है कि हमारे ओबीसी नेता और बौद्धिक वर्ग के लोग क्या कर रहे हैं..? किसी भी नेता का बयान नहीं आया है। आखिर क्यों...? क्या ओबीसी को आरक्षण मिलना किसी का व्यक्तिगत मसला था। आरक्षण तो बाकायदा संवैधानिक कानून के तहत मिला था।
अक्सर यह देखा जाता है ज़्यादातर ओबीसी अपने को एससी/एसटी से ऊपर मानते हैं और अपने को कम्युनिस्ट मानते व कहते हुए नहीं थकते हैं।
अब सवाल ये उठता है कि मार्क्सवाद भारत में क्यूँ फेल होता है...? सीधा सा उत्तर है- भारत में आर्थिक समानता से ज्यादा महत्वपूर्ण सामाजिक समानता है। यहाँ “जाति” सबसे बड़ी समस्या है। जब तक “जाति” नहीं खत्म होती है तब तक असली आर्थिक समानता का भी कोई महत्व नहीं रहेगा।
तो आगे एक सवाल और उठता है कि ओबीसी लोग अपने को फिर कम्युनिस्ट क्यूँ मानते हैं...? उन्हें भी एससी/एसटी के साथ में आकर जातिवाद के खिलाफ, आरक्षण के समर्थन आदि मुद्दों पर अपनी भागीदारी देनी चाहिए। ज़्यादातर ओबीसी को पता ही नहीं होता कि ओबीसी की शुरुआत/जन्मदाता बाबासाहेब डॉ. अंबेडकर हैं। आखिर ओबीसी वर्ग अपने को कब तक धोखा देता रहेगा...?
एक बात का जिक्र और करना चाहूँगा कि एक मेरे मित्र हैं उनका कहना है कि हमें जाति धर्म से ऊपर उठकर अपने को सिर्फ इंसान मानना चाहिए। अब सवाल उठता है कि जाति किसने बनाई...? क्यूँ बनाई...? आदि आदि। मैंने उनसे पूंछा आपने बनाया तो उत्तर दिए- नहीं। तो मैं ये कहता हूँ कि जब आपने जाति नहीं बनाई तो आपको ये कौन अधिकार दे दिया कि जाति को खत्म करो...? आप तो अपने को और प्रदर्शित करो कि मैं ओबीसी वर्ग से हूँ, मैं एससी वर्ग से हूँ, मैं एसटी वर्ग से हूँ आदि। जिसने जाति बनाई होगी वह खत्म करेगा।
अंत में यही कि सामान्य पदों पर जितना भी जगह रहता है सारे सवर्ण ही तो भरे जाते हैं उसमें एक-दो ओबीसी/ एससी को जगह मिल जाए तो बड़ी बात होती है फिर 50 प्रतिशत सीट सवर्ण ही क्यों ले रहे है...? हम लोग तो सिर्फ अपने आरक्षित सीट पर ही रह जाते हैं तो असली आरक्षण तो सवर्ण ही ले रहे हैं। ऐसे में ये सरकार आरक्षण खत्म करके हमें उससे भी नीचे करना चाहती है। तो ओबीसी भाइयों से हम पूछतें है कि आप लोग किसका साथ दोगे, कम्युनिस्टों का या एससी/एसटी का...? तो आओ हम सभी मिलकर आरक्षण के समर्थन में अपनी आवाज बुलंद कर ‘संविधानिक अधिकारों’ की रक्षा करते हुए अपने एकजुट होने का प्रमाण दें।
जय भीम...जय भारत.....जय संविधान