आज जन्मदिन है उनका जो बेहद गरीबी में लैंप पोस्ट के नीचे पढ़े और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के पीएम रहे
आज जन्मदिन है उनका जो बेहद गरीबी में लैंप पोस्ट के नीचे पढ़े और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के पीएम रहे

Today is the birthday of the one who studied under the lamp post in extreme poverty and was the PM of the world's largest democracy.
जिन्होंने कभी अपने बचपन के बेहद गरीबी के दिनों की या फिर अल्पसंख्यक होने या अपनी जात-बिरादरी की चर्चा तक नहीं की, जिन्होंने विभाजन की त्रासदी से उबर कर अपनी शिक्षा और योग्यता से दुनिया में देश का नाम रोशन किया। जिन्होंने कभी अपने विरोधियों की गाली, अभद्र भाषा और तथ्यहीन आरोपण का प्रति उत्तर नहीं दिया। देश में पंडित नेहरू के बाद सबसे ज्यादा समय तक लगातार यानी सत्तर साल में से पूरे दस साल प्रधानमंत्री रहे सरदार मनमोहन सिंह का जन्मदिन है।
मनमोहन सिंह के माता-पिता
मनमोहन सिंह का जन्म अखंड भारत के पंजाब प्रान्त (वर्तमान पाकिस्तान) स्थित गाह में 26 सितम्बर, 1932 को एक सिख परिवार में हुआ था। उनकी माता का नाम अमृत कौर और पिता का नाम गुरुमुख सिंह था।
छोटी उम्र में ही उनकी माता का निधन हो गया और इसलिए उनकी दादी ने उनका पालन-पोषण किया। बचपन से ही उन्हें पढ़ाई में रूचि थी और वह कक्षा में अक्सर अव्वल आते थे। वे बेहद गरीब परिवार से थे और वास्तव में स्ट्रीट लाईट के नीचे बैठ कर पढ़ाई करते थे, देश के विभाजन के बाद उनका का परिवार अमृतसर चला आया। यहाँ पर उन्होंने हिन्दू कॉलेज में दाखिला लिया।
मनमोहन सिंह ने पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़, से अर्थशास्त्र में स्नातक की पढ़ाई की। बाद में वे कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय और आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय गए जहां उन्होंने स्नातकोत्तर स्तर की पढ़ाई पूरी की।
मनमोहन जी ने 1962 में न्यूफील्ड कॉलेज,ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी से डी.फिल किया. 1964 में उन्होंने “इंडिया एक्सपोर्ट ट्रेंड एंड प्रॉस्पेक्टस फॉर सेल्फ ससटेंड ग्रोथ” नाम से पुस्तक लिखी जिसे क्लेरेंडॉन प्रेस ने प्रकाशित किया।
मनमोहनजी पंजाब यूनिवर्सिटी में वर्षो तक शैक्षणिक प्रत्यायक के रूप में चमकते रहे। एक संक्षिप्त कार्यकाल में UNCTAD सचिवालय के रूप में अच्छी तरह से इन वर्षो में दिल्ली स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में प्रतिष्ठित हुए। 1987 से 1990 के बीच में उन्हें जिनेवा में सेक्रेटरी जेनरल ऑफ़ साउथ कमिशन के पद के लिए नियुक्त किया गया।
1971 में भारत सरकार द्बारा मनमोहन सिंह जी को आर्थिक सलाहकर वाणिज्य मंत्रालय के लिए नियुक्त किये गए, इसको देखते हुए 1972 में उन्हें मुख्य सलाहकार, वित्त मंत्रालय में नियुक्त किया। इनकी नियुक्ति बहुत से पदों के लिए हुई जैसे की वित्तमंत्री, उपसभापति, योजन मंत्री, रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में, प्रधानमंत्री के सलाहकार के रूप में।
1991 से 1996 के बीच पांच वित्त मंत्रियों ने मिलकर आर्थिक मंदी हटाकर भारत को पुनर्स्थापित किया।
विकट परिस्थितियों से भारत को बाहर निकाला
डॉ. मनमोहन सिंह ने भारत के लिये आर्थिक योजना बनाई जो पूरे विश्व में मान्य है।
उन्होंने अपने कार्यालय के दौरान अपने सहयोग से विकट परिस्थितियों से भारत को निकाला था.
हमें उनके घर जाने का एक बार अवसर मिला। मुंशी प्रेमचंद की कुछ पुस्तकों का विमोचन करना उन्होंने अपने घर पर स्वीकार किया। वे नेशनल बुक ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रोफेसर बिपन चंद्र के मित्र जैसे थे। उन्होंने ट्रस्ट के सभी आमंत्रितों की कारें घर के भीतर पार करवाने, बगैर गहन सुरक्षा जांच के आगमन के आदेश दिए। आयोजन के बाद वे आगंतुकों के बीच रहे, साथ नाश्ता किया, हर एक से पूछते दिखे कि क्या कुछ लिया कि नहीं।
बेहद शांत, सीमित बोलना लेकिन जो बोलना वह तथ्यात्मक, गहन और परिणामोन्मुखी।
शायद तभी कहते हैं कि -थोथा चना बाजे घना —-
डॉ मनमोहन सिंह के सुदीर्घ, स्वस्थ्य और रचनात्मक जीवन के लिए शुभकामनाएँ।
(पंकज चतुर्वेदी वरिष्ठ पत्रकार हैं।)
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