मनु मंजू शुक्ला

१५ अगस्त को जब सारा देश आजादी का जशन मना रहा था वही रामपल पुलिस तंत्र से अपने जीवन को बचाने की गुहार लगा रहा था !
बात है पीलीभीत जिले के थाना बरखेडा में हुई घटना की और पुलिसया बह्सीपने की ! वैसे भी उत्तर प्रदेश पुलिस की करतूतो की हर जगा मिसाल दी जाती है पर यहाँ तो पुलिस ने अपनी सारी हदे लाघ दिया है ! बात है १३ अगस्त २०१० की जब ग्राम जारकलिल्या निवासी दलित रामपाल पुत्र अयोध्या प्रसाद को एक मुस्लिम लड़की को भगाने के अपराध में पकड़ा गया ! पंचायत के फरमान अनुसार लड़का लड़की दोनों नाबालिक थे लड़का तक़रीबन २०-२१ साल का और लड़की १६-१७ साल की !. पंचायत ने लड़की को तो पिता को सौप दिया पर रामपाल और उसके पिता एवं दो भाई को पुलिस के हवाल कर दिया ! रामपाल की माँ के गुहार लगाने पर पुलिस ने २५००० रूपये की मांग रखी जिसपर उसकी माँ केवल १९००० रूपये ही इंतजाम कर सकी ! १९००० के बदले में पुलिस ने रामपाल के पिता और भाई को तो छोड़ दिया पर रामपाल को बंद रखा और कहा बाकी रुपये के इंतजाम के बाद ही इसे छोड़ने कि बात कही !
इससे पहले कि रामपाल के परिवार वाले छुड़ाने के लिए बकाया रूपए दे पाते पुलिस को रामपाल को मारने के लिये पहले ही पैसा मिल गया .था ! इसलिए 15 अगस्त को जब पूरा देश आजादी का जशन मना रह्य था उस समय रामपाल अपने गरीबी और लाचारगी की मार खा रहा था ! १५ अगस्त की शाम पुलिसवालों ने उसे इतना मारा की उसकी सासे थमने लगी और वो मरणाशन्न अवस्था में पहुँच गया ! जब उसकी माँ ने अपने बच्चे की चीख-पुकार को सुना तो वो अपने आप को रोक नहीं पाई और चीख चीख कर सारे गाँवो वालो को एकत्र करने लगी ! जब गाववाले लोगो ने अन्दर जा कर देखा , तो देखा की रामपल को रस्से में बांध कर खीचा जा रहा था कारण लोग इसे हत्या न समझे .और हत्या हो आत्महत्या बनया जा सके! लोगो ने समझा की शयद रामपल मर गया तो उन्होंने हंगामा करना सुरु कर दिया , तो घबरा कर पुलिस ने आनन् फानन में उसे लाश समझकर शारदा हॉस्पिटल, पीलीभीत में दाखिल कराया! जहाँ उस अधमरे युवक का इलाज सुरु किया गया ! पर बाद में उसे उठा कर सरकारी अस्पताल में मरने के लिया फेक दिया गया ! आधे महीने तक युवक जिंदगी और मौत से लड़ता रहा! गरीबी और माँ बाप की लाचारगी अपने मरते हुए बच्चे के लिया कुछ नहीं कर पाई!
आखिरकार २३ सितम्बर सुबह ११ बजे रामपाल में अपने जीवन की आखरी सास ली और इस बेरहम दुनिया को अलविदा कर गया! और हमेश हमेश के लिया रामपाल अपने माँ को आसू देकर चला गया ! जब मै उसकी माँ से मिली तो देखा की मां के आसू सूखने का नाम ही नहीं ले रहे थे उन्होंने अपने निर्दोष और मासूम बच्चे को अपने सामने जलता देखा भाई आज भी चीख कर कहता है की मेरे भाई का क्या गुनह था! पिता के मुहसे तो आवाज ही नहीं निकलती ! रामपाल के मरने के बाद पूरा प्रशासन और समाचर मिडिया भूलगया कि कौन था रामपाल ! पर क्या उसका परिवार भूल सकता है अपने जवान बेटे कि निर्मम हत्या ! पर आज भी उस मासूम के हत्यारे खुले आम घूम रहे है और उसकी आत्मा आज भी अपने हत्यारों को सजा देने कि गुहार कर रही है !
और मुझे तब ताज्जुब हो रहा है के कि २१ सदी में पहुच रहे समाज में प्रेम करने कि सजा मौत ही मिलेगी ! वह भी तब जब प्रदेश कि मुखिया एक महिला है ?

लेखिका अवध लीडर की संपादिका हैं