आजादी की लड़ाई में " भारत माता की जय " बोलने से बटुक संघ को किसने रोका था ?
आजादी की लड़ाई में " भारत माता की जय " बोलने से बटुक संघ को किसने रोका था ?
राष्ट्रवाद आज के दौर में एक गैर- जरूरी मुद्दा है
बटुक संघ राष्ट्रवाद के नाम पर लोकतांत्रिक हकों और संवैधानिक हकों पर हमले कर रहा है
राष्ट्रवाद की नकली बहस तुरंत बंद हो। भारत को स्वतंत्रता के बाद राष्ट्रवाद नहीं लोकतंत्र चाहिए
जगदीश्वर चतुर्वेदी
टीवी टॉक शो में भाग लेने वाले बटुक संघ के वक्ताओं को इंकलाब जिंदाबाद बोलने के लिए "मजबूर" करना चाहिए। भारत माता की जय के नारे को बोलकर ये शरारती लोग विद्वेष फैलाना चाहते हैं, जबकि यह संघर्ष में जनता की एकता का नारा रहा है, लेकिन बटुक संघ किसी संघर्ष में यह नारा नहीं दे रहा, बटुकसंघ तो दादागिरी के अस्त्र के रूप में इसका इस्तेमाल कर रहा है।
भारत माता की जय, नारा दादागिरी के लिए नहीं है, यह आंदोलन में बोलने के लिए है। जब किसी नारे को उसके संदर्भ और विचारधारा से काटकर पेश किया जाता है तो उससे नारे का विकृतिकरण होता है। बटुक संघ असल में भारत माता की जय के नारे को उसके संदर्भ और विचारधारा से काटकर पेश कर रहा है, यह नए किस्म की उत्पीड़नकारी रणनीति है जिसे हमारे अनेक नेतागण समझ नहीं पा रहे हैं। नारे नेचुरल होते हैं, वे यदि दादागिरी के औजार बन जाते हैं तो क्राइम की सृष्टि करने लगते हैं।
राष्ट्रवाद आज के दौर में एक गैर- जरूरी मुद्दा है। भाजपा के साथ प्रतिस्पर्धा करते हुए विपक्ष के बुर्जुआदलों में राष्ट्रवादी दिखने की नकली चमक नजर आ रही है, कांग्रेस और भाजपा ने मिलकर इस देश की संप्रभुता को दांव पर लगाते हुए नव्य आर्थिक नीति का जो मार्ग चुना उसमें राष्ट्र की संप्रभुता पर बुरा असर हुआ। बहुराष्ट्रीय कंपनियों की खुली लूट के ये दोनों दल समर्थक हैं। ऐसे में इन दलों के मुँह से भारत माता की जय का नारा सुनकर तकलीफ होती है। इस दृष्टि से देखें तो ये दोनों दल ऱाष्ट्रवाद के नाम पर जनता को एक -दूसरे को लड़ाने की मुहिम में जुट गए हैं।
हम मांग करते हैं राष्ट्रवाद की यह नकली बहस तुरंत बंद होनी चाहिए। भारत को स्वतंत्रता के बाद राष्ट्रवाद नहीं लोकतंत्र चाहिए। राष्ट्रवाद की मौजूदा मुहिम लोकतंत्र को कमजोर करने वाली है, यह बहस आम जनता की रीयल समस्याओं से ध्यान हटाने की कोशिश है। बटुक संघ राष्ट्रवाद के नाम पर लोकतांत्रिक हकों और संवैधानिक हकों पर हमले कर रहा है।
निरूद्देश्य "भारत माता की जय" बोलने का अर्थ है गोया यह नारा सिर्फ बटुकों की अराजक राजनीति के लिए पैदा हुआ था!!
बटुक संघ को आजादी की लड़ाई में "भारत माता की जय" बोलने से किसने रोका था ? वैसे ही इन दिनों वे यह नारा क्यों बोल रहे हैं?
पहले बटुक संघ अंग्रेजों की गुलामी के कारण चुप था, इन दिनों बहुराष्ट्रीय कंपनियों की गुलामी के कारण यह नारा बोल रहा है, दोनों समय एक ही लक्ष्य था सामाजिक विभाजन बनाए रखना।
सवाल नारे का नहीं सवाल यह है नारे कौन बोल रहा है और क्यों बोल रहा है? मसलन्, चाकू तो चाकू है, बदमाश उसका हिंसा के लिए इस्तेमाल करता है, जबकि डाक्टर उसका आपरेशन के लिए इस्तेमाल करता है। यही दशा "भारत माता की जय" नारे की है। गांधीजी जब भारत माता की जय कहते हैं तो अर्थ ही भिन्न होता है और जब नाथूराम गोसे कहता है तो अर्थ ही अलग होता है।
नारे में अर्थ नहीं होता, नारे का अर्थ लगाने वाले की मंशा में होता है, बटुक संघ इस नारे का सामाजिक तनाव और विभाजन पैदा करने के लिए इस्तेमाल कर रहा है।


