पुलिस महानिदेशकों के वार्षिक सम्‍मेलन में प्रधानमंत्री का भाषण
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा है कि आतंकवादी मामलों से निपटते समय इस बात पर ध्‍यान देने की आवश्‍यकता है कि हमारे सुरक्षा बल अत्‍यन्त निष्‍पक्ष होकर काम करें ताकि जाँच एजेन्सियों की व्‍यावसायिकता और हमारी राज व्‍यवस्‍था के धर्म निरपेक्ष स्‍वरूप में लोगों की आस्‍था बनी रहे। उन्होंने जोर देकर कहा कि राज्‍यों के पुलिस महानिदेशकों की यह जिम्‍मेदारी है कि वे इस बात की पक्‍की व्‍यवस्‍था करें कि उनके पुलिस बल सांप्रदायिक तनाव रोकने और एक बार कहीं कुछ घटित होने पर उसके साथ अपेक्षित उचित ढँग से निपटने की कार्रवाई करें। प्रधानमंत्री डॉ. सिंह आज नई दिल्‍ली में गुप्‍तचर ब्‍यूरो के 125 वर्ष पूरे करने के अवसर पर पुलिस महानिदेशकों के वार्षिक सम्‍मेलन को सम्बोधित कर रहे थे। यह लगातार 9वाँ वर्ष है जब डॉ. सिंह ने इस महत्‍वपूर्ण सम्‍मेलन को सम्बोधित किया।

गुप्‍तचर ब्‍यूरो के अस्तित्‍व के 125 वर्ष पूरे होने के अवसर पर ब्‍यूरो के सभी पूर्व और वर्तमान सदस्‍यों को हार्दिक शुभकामनाएँ देते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि गुप्‍चर ब्‍यूरो अथवा आईबी जिस नाम से यह अधिक लोकप्रिय है, ने इस वर्ष कुछ बड़ी सफलताएं हासिल की हैं। उन्होंने कहा, “मुझे बताया गया है कि संगठन द्वारा एकत्र की गयी खुफिया जानकारी के आधार पर कई आतंकी हमलों के कुछ संदिग्‍धों की गिरफ्तारी सम्भव हो पायी है। मैं इन उपलब्धियों के आईबी को बधाई देता हूँ।“ उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष उत्‍तराखंड में एक बड़ी त्रासदी हुयी। बड़ी संख्‍या में पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों के अधिकारियों और जवानों ने राज्‍य में राहत और बचाव अभियानों में अत्‍यन्त महत्‍वपूर्ण योगदान किया। दूसरों की जान बचाने के प्रयास में अपने प्राण न्‍यौछावर करने वाले जवानों के प्रति प्रधानमंत्री ने विशेष रूप से श्रृद्धांजलि अर्पित की।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हाल ही में हमारे गुप्‍तचर संगठनों और पुलिस तथा अर्द्धसैनिक बलों ने छत्‍तीसगढ़ के नक्‍सल प्रभावित क्षेत्रों में मतदान के दौरान कानून और व्‍यवस्‍था बनाये रखने में अत्‍यन्त सराहनीय कार्य किया है। उन्होंने कहा, “हमारे सुरक्षा बलों को विविध प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। मैं समझता हूं कि इनमें से कुछ महत्‍वपूर्ण चुनौतियां आपके सम्‍मेलन में विचाणीय विषयों में शामिल हैं। मुझे विश्‍वास है कि पिछले दो दिनों में आपने अपने समक्ष विचारणीय विषयों पर सार्थक विमर्श किया है। इस महत्‍वपूर्ण सम्‍मेलन में जिन मुद्दों पर पहले से चर्चा हो चुकी है मैं सिर्फ उनके बारे में अपनी कुछ धारणाएं जोड़ना चाहता हूँ। परन्तु ऐसा करने से पहले मैं आज पदक प्राप्‍त करने वाले शानदार अधिकारियों को बधाई देता हूँ। मैं भविष्‍य में उनकी अधिक सफलता की कामना करता हूँ।“

चालू वर्ष के दौरान कुछ राज्‍यों में साम्‍प्रदायिक घटनाओं की संख्‍या में चिंताजनक बढ़ोत्‍तरी पर चिंता व्यक्त करते हुए प्रधानमने कहा कि सितम्‍बर में पश्चिम उत्‍तर प्रदेश में मुजफ्फरनगर और उसके आसपास के जिलों में हुयी साम्‍प्रदायिक झड़पों में अनेक लोग मारे गये और हजारों निर्दोष विस्‍थापित हो गये। यह अत्‍यंत चिंता की बात है। यह अपने आप में एक परम्परागत कथन लगता है लेकिन कहना जरूरी है कि हम इस तरह के हालात को जारी नहीं रहने दे सकते। इसलिए कानून और व्‍यवस्‍था बनाए रखने वाली एजेंसियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि तुच्‍छ और स्‍थानीय मुद्दों का शोषण निहित स्‍वार्थी तत्‍व सांप्रदायिक तनाव पैदा करने के लिये न कर सकें। और यह भी कि एक बार गड़बड़ी यदि शुरू हो जाती है तो उससे निपटने में तेजी से और दृढ़ता पूर्वक कार्रवाई की जानी चाहिए। इसमें कोई पूर्वाग्रह, भय या पक्षपात की गुंजाइश नहीं होनी चाहिए। राज्‍य सरकारों का यह दायित्‍व है कि वे ऐसी कार्रवाई सुनिश्चित करें और राज्‍यों के पुलिस महानिदेशकों की यह जिम्‍मेदारी है कि वे इस बात की पक्‍की व्‍यवस्‍था करें कि उनके पुलिस बल सांप्रदायिक तनाव रोकने और एक बार कहीं कुछ घटित होने पर उसके साथ अपेक्षित उचित ढँग से निपटने की कार्रवाई करें। उन्होंने उम्‍मीद चताई कि राज्‍यों के सभी पुलिस महानिदेशक इस दायित्‍व का पूरी तरह निर्वाह करेंगे।

प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया के दुरुपयोग पर अपनी चिंता जाहिर करते हुये कहा, “हमने मुजफ्फरनगर में हाल की गड़बडियों के दौरान हिंसा भड़काने में सोशल मीडिया और एसएमएस आदि सुविधाओं का दुरूपयोग दिखायी दिया। पिछले वर्ष भी जब इन साधनों से किये गये दुष्‍प्रचार के कारण बड़ी संख्‍या में पूर्वोत्‍तर से सम्बद्ध लोगों ने कर्नाटक जैसे दक्षिणी राज्‍यों से पलायन किया। यह व्‍यापक तौर पर स्‍वीकार किया गया है कि सोशल मीडिया ज्ञान, सूचना और विचारों के आदान प्रदान की सुविधाएं प्रदान करता है और इसका इस्‍तेमाल रचनात्‍मक प्रयोजनों के लिये किया जा सकता है। इसलिए सोशल मीडिया का दुरूपयोग रोकने के लिये हमें ऐसे रचनात्‍मक समाधान तलाश करने की आवश्‍यकता है, जिनसे अभिव्‍यक्ति की स्‍वतंत्रता पर अनावश्‍यक रोक न लगे और उस सहज संचार में रुकावट न आये जिसकी सुविधा सोशल मीडिया प्रदान करता है।“

इसी परिप्रेक्ष्‍य में साइबर सुरक्षा, जो हाल के दिनों में अंतर्राष्‍ट्रीय सुर्खियों में रहा है, की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “मैं समझता हूँ कि इस क्षेत्र में हमारी वर्तमान क्षमताओं में सुधार की व्‍यापक सम्भावनाएँ हैं। तकनीकी समाधान तलाश करने के अलावा हमें अपनी प्रक्रियाएँ इस ढँग से डिजाइन करने पर अवश्‍य केन्द्रित करना होगा कि साइबर हमलों की आशंका न रहे। इस महत्‍वपूर्ण क्षेत्र में आपके सम्‍मेलन में हुयी चर्चा और इस विषय में लिये गये फैसलों पर अमल के बारे में मैं जानना चाहूँगा।“

छत्‍तीसगढ़ के नक्‍सल प्रभावित क्षेत्रों में हाल में कराये गये सफल मतदान के बारे में चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में मतदान का उच्‍च प्रतिशत यह दर्शाता है कि स्‍थानीय लोगों का हमारी लोकतांत्रिक कार्य प्रणाली में गहन विश्‍वास है। पिछले कुछ वर्षों में नक्‍सली हिंसा में कमी भी दिखाई दी है। केन्‍द्र और राज्‍य सरकारों के समन्वित प्रयासों को इसका श्रेय जाता है और यह वास्‍तव में एक उत्‍साह जनक घटना है। यह महत्‍वपूर्ण है कि नक्‍सलवाद के संकट को समाप्‍त करने के हमारे प्रयासों में कोई कमी न आये और हम अपनी सफलताओं को अधिक सुदृढ़ करना जारी रखें। इसका अनिवार्य निहितार्थ यह है कि हमें शासन की गुणवत्‍ता में सुधार करना होगा और नक्‍सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास की गति तेज करनी होगी। उन्होंने जोर देते हुये कहा कि किसी भी नक्‍सल विरोधी अभियान में स्‍थानीय पुलिस बलों की प्रमुख भूमिका बनाये रखी जाये और किसी भी नक्‍सल प्रभावित क्षेत्र में तैनात किये जाने वाले सुरक्षा बलों को स्‍थानीय लोगों की सामाजिक - सांस्‍कृतिक पद्धतियों के प्रति जागरूक बनाये जाने की आवश्‍यकता है।

जम्‍मू कश्‍मीर में सुरक्षा बलों पर कुछ निर्लज्‍ज हमलो का जिक्र करते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि अंतर्राष्‍ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा पर स्थिति, विशेषकर जम्‍मू क्षेत्र के पुंछ जिले में स्थिति विस्‍फोटक रही है, जहाँ कई दफा युद्ध विराम का उल्‍लंघन हुआ है। आतंकवादी गुटों, विशेषकर लश्‍करे तैयबा का फिर से उभरना और घुसपैठ की कोशिशों में बढ़ोत्‍तरी होना इस बात की माँग करता है कि हमारे सुरक्षा बलों को चौकसी बढ़ानी होगी और अधिक तालमेल से काम लेना होगा। आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों में व्‍यवधान डालने के प्रयासों की भी आशंका है। सुरक्षा बलों को अधिक सावधानी से काम लेना होगा और आतंकवादी हमलों तथा कानून व्‍यवस्‍था की गड़बडि़यों के खिलाफ समुचित कार्रवाई करनी होगी। लेकिन उन्होंने पुलिस अधिकारियों से जोर देकर कहा कि ऐसा कुछ नहीं किया जाना चाहिए जिसका असर निर्दोष नागरिकों की सामान्‍य ज़िन्दगी पर पड़े। नक्‍सल और अन्‍य विघटनकारी तत्‍वों के खिलाफ हमारी कार्रवाई किसी भी तरह स्‍थानीय लोगों की आजीविका पद्धतियों में व्‍यवधान डालने वाली या उन पर किसी तरह का दुष्‍प्रभाव पैदा करने वाली नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्‍तर क्षेत्र में सुरक्षा की स्थिति निरन्तर जटिल बनी हुयी है, जहाँ विघटनकारी गतिविधियाँ, लूट घसोट और असंतोष प्रमुख व्‍यवधानकारी तत्‍व हैं। सरकार की तरफ से निरन्तर किये गये प्रयासों के फलस्‍वरूप विघटनकारी और जातीय अलगाववादी गुटों के साथ बातचीत में काफी प्रगति हुयी है। असम में निचले क्षेत्रों और कारबी अलोंग क्षेत्र में जातीय और सांप्रदायिक तनावों की आशंका, बोडो क्षेत्रों में जनजातीय और गैर-जनजातीय लोगों के बीच बढ़ता अविश्‍वास मेघालय में गारो की विघटनकारी गतिविधियाँ, मणिपुर में गैर-मणिपुरी लोगों को अधिकाधिक लक्ष्‍य बनाया जाना आदि ऐसे क्षेत्र हैं जो गम्भीर चिंता का विषय हैं। हमें इन सभी मुद्दों के साथ सामूहिक संकल्‍प और दृढ़ निश्‍चय के साथ निपटना होगा।

आतंकवाद के प्रश्‍न का जिक्र करते हुये प्रधानमंत्री ने कहा, “इस वर्ष हैदराबाद, बंगलौर, बोध गया और पटना में चार बड़ी आतंकी घटनाएं हुई हैं। गिरफ्तार किये गये गुटों के सदस्‍यों से प्राप्‍त जानकारी से हमारी इन आशंकाओं की पुष्टि होती है कि ये गुट भारत के भीतरी क्षेत्रों में सक्रिय हैं। इसलिए हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्‍यकता है कि हमारा सुरक्षा तंत्र और मल्‍टी एजेंसी सेंटर जैसे खुफिया जानकारी प्राप्‍त करने वाले मंचों के कौशल में निरन्तर बढ़ोत्‍तरी की जाये ताकि आतंकवादी गुटों के नापाक इरादों का पहले से पता लगाया जा सके। किन्तु आतंकवादी मामलों से निपटते समय इस बात पर ध्‍यान देने की आवश्‍यकता है कि हमारे सुरक्षा बल अत्‍यन्त निष्‍पक्ष होकर काम करें ताकि जाँच एजेंसियों की व्‍यावसायिकता और हमारी राज व्‍यवस्‍था के धर्म निरपेक्ष स्‍वरूप में लोगों की आस्‍था बनी रहे।“

पिछले वर्ष दिसम्‍बर में दिल्‍ली में एक युवती के साथ त्रासदीपूर्ण यौन अपराध और उसकी हत्‍या का जिक्र करते हुये प्रधानमंत्री ने कहा, “इस घटना ने महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे पर हमारा ध्‍यान केन्द्रित किया है। लोग ऐसे अपराधों को रोकने में पुलिस से अधिक उम्‍मीद रखते हैं। हमने हाल ही में ऐसे अपराधों के लिए कड़े दण्ड का प्रावधान करने वाले कई कानून बनाये हैं। इन कानूनों में जाँच और सुनवाई के दौरान पीडितों के साथ अधिक संवेदनशील बर्ताव करने की भी व्‍यवस्‍था है। महिलाओं और बच्‍चों की सुरक्षा और संरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हमें अन्‍य संस्‍थागत व्‍यवस्‍थाओं को भी दुरूस्‍त करना होगा। मैं राज्‍यों के पुलिस महानिदेशकों से उम्‍मीद करता हूँ कि वे इस क्षेत्र में नेतृत्‍व करें।“

सम्मेलन में मौजूद पुलिस महानिदेशकों का ध्‍यान मेट्रोपोलिटन क्षेत्रों में पुलिस व्‍यवस्‍था के समक्ष बढ़ती चुनौतियों की तरफ दिलाते हुये प्रधानमंत्री ने कहा, “पिछले कुछ दशकों में तीव्र शहरीकरण की जो प्रक्रिया हमने देखी है वह निकट भविष्‍य में और तेज होगी। शहरी भू-परिदृश्‍य में व्‍यक्‍त होने वाली अनामिकता, व्‍यक्तिवादी जीवन शैलियों और अस्थिर आबादी जैसे घटकों ने महानगरीय अपराधों की जाँच का काम कठिन कर दिया है और इसलिए इस बढ़ते संकट के समाधान के लिए हमें विशेष तकनीकों का सहारा लेना होगा। सामुदायिक चौकसी प्रणाली पर भी अधिक ध्‍यान देने की आवश्‍यकता है जिससे न केवल अपराधों की रोकथाम और उनका पता लगाने में मदद मिलेगी बल्कि नागरिकों को पास पड़ोस की समस्‍याओं का समाधान करने में स्‍थानीय पुलिस के साथ स्‍वेच्‍छा से सहयोग करने के लिए प्रेरित किया जा सकेगा। इस प्रकार हमारे पुलिस बलों में लोगों का भरोसा बढ़ेगा।“ उन्होंने पुलिस अधिकारियों से अपील की कि वे सामुदायिक चौकसी प्रयासों को प्रोत्‍साहित करने और उन्‍हें संस्‍थागत रूप देने की दिशा में काम करें तथा वे इस कवायद को ध्‍यान में रखते हुए गंभीर विचार विमर्श की प्रक्रिया आगे भी जारी रखें और हमारी आंतरिक सुरक्षा के प्रति अनेक चुनौतियों के रचनात्‍मक समाधान सुझाएं। उन्होंने विश्‍वास जताया कि पुलिस अधिकारी नेतृत्‍व का परिचय देंगे, जिसकी हमारा देश और उसकी जनता उनसे उम्‍मीद करती है।