ग्राम सभा से स्वीकृत दावों पर लेना है मालिकाना अधिकार-अखिलेन्द्र
दुद्धी तहसील परिसर में आईपीएफ का हुआ महासम्मेलन
20 नवम्बर को लखनऊ पहुंचेगे आदिवासी

सोनभद्र, 23 अक्टूबर 2013, माननीय हाईकोर्ट के आदेश के बाद गांव स्तर पर वनाधिकार समितियों के पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू होना जनांदोलन की जीत है। हमें हर हाल में वनाधिकार कानून के तहत ग्राम सभा से स्वीकृत दावों पर मालिकाना अधिकार हासिल करना है और जो दावे छूट गए हैं उन्हें जमा कराने के लिए चौतरफा आंदोलन को तेज करना होगा। वन भूमि पर अपने पुश्तैनी कब्जे पर मालिकाना अधिकार हासिल करने का यह अंतिम मौका है, जिसे किसी भी कीमत पर हमें हासिल करना है।

यह बातें कल मंगलवार को आइपीएफ के दुद्धी तहसील पर आयोजित महा सम्मेलन के मुख्य अतिथि आइपीएफ के राष्ट्रीय संयोजक अखिलेन्द्र प्रताप सिंह ने कहीं। महा सम्मेलन में बभनी, दुद्धी और म्योरपुर ब्लाक से हजारों की संख्या में आदिवासी और वनाश्रित लोग उपस्थित रहे। उन्होंने कहा कि यदि सरकारों और जनप्रतिनिधियों ने अपनी जबाबदेही पूरी की होती तो हमें हाईकोर्ट न जाना पड़ता और गरीबों को इस कानून का लाभ मिल गया होता।

सम्मेलन में अखिलेन्द्र ने कहा कि जिस मोदी के गुजरात माडल का देश में माहौल बनाया जा रहा है उसका मतलब कारपोरेट परस्त राज का है जिसमें किसानों और मजदूरों की बर्बादी ही होगी। मोदी की राजनीति आदिवासी और सामाजिक न्याय विरोधी भी है उनके गुजरात में एक लाख से भी ज्यादा वनाधिकार के दावे गैरकानूनी ढंग से निरस्त कर दिए गए और आदिवासी इलाके में देश में सबसे ज्यादा कुपोषण गुजरात में है, इसलिए इसके बहकावे में न आए। उन्होंने कहा कि गोड़, खरवार जैसी आदिवासी का दर्जा पायी जातियां उच्चतम न्यायालय तक के आदेश के बाद भी चुनाव में अपने लिए सीट नहीं पा सकीं। उ0 प्र0 में लाखों की संख्या में रहने वाला कोल आदिवासी होते हुए भी आदिवासी का दर्जा हासिल न कर सका जबकि उसकी बिरादरी से सांसद तक बने। इस नाते आज इन तबकों के अधिकारों के लिए चौतरफा आंदोलन खड़ा करना होगा और दिल्ली व राज्य की सरकारों को घेरना होगा। आगामी 20 नवम्बर को प्रदेश के वाम-जनवादी दलों के साथ मिलकर आइपीएफ इन्हीं सवालों पर लखनऊ में रैली करेगा।

सम्मेलन को सामाजिक न्याय मोर्चा के जिलाध्यक्ष चौ0 यशवंत सिंह, आइपीएफ के प्रदेश संगठन प्रभारी दिनकर कपूर, प्रमोद चौबे, इंद्रदेव खरवार, शाबिर हुसैन, राजेन्द्र गोड़, रामदेव गोड़, मो0 हनीफ, सुरेन्द्र पाल, डा0 चंद्रदेव गोड़ आदि ने सम्बोधित किया। सम्मेलन का संचालन शम्भूनाथ गौतम और अध्यक्षता बलबीर सिंह गोड़ ने की।