इन चीखों का जवाब चाहिए हमें
इन चीखों का जवाब चाहिए हमें
क्रांति का स्वर_hashiye पर है, भ्रांतियाँ वर्चस्व को मजबूती दे रही हैं
पलाश विश्वास
उत्तराखंड से अबकी सुदा राजे ने आवाज दी है, जो बहस तलाब है
जब गली में चीखती आवाजें गुंजीं तूम नहीं उऽ
जब घर में सिसकने की आवाजें गुंजीं तूम नहीं उऽ
जब खुद तुम्हारे हृदय में चीखने के स्वर गुंजें तब भी तुम नहीं उऽ!!!!!!!!
तो सुनो मेरी कोई पुकार तुम्हारे लिए नहीं है क्यूँकि पुकारा सिर्फ़ जीवितों को जाता है और सुनकर सिर्फ़ वे ही दौड़कर आते हैं जो हाथ पांव का अधिकार रखते हैं दिमाग और दिल की धड़क के साथ जान तुम सो जान मैं तुमहे नहीं किसी और को बुरा रही हूँ अगर मेरी आवज वहाँ तक पहुँचेंगी तो वह जरूर उऽगेगा और मेरी आवज थक गई तो तो भी जिन्दा लोग मेरी बात वहाँ तक पहुँचाते रहेंगे।
धन्यवाद सुधा। इस बीच तमाम घटानाक्र्म इतने तेज हो गए कि इस जरूरी बहस को समेट ही नहीं सके। कोलकाता से बाहर होने के कारण यह देरी हो गई है।हाईसी बीच पहाड़ में हमारे सबसे प्रिय लोग शेखर पा,राजीव लोच,शमशेर सिंह बिष्ट, कमला पंत, उमेश तिवारी और चिपको आंदोलनों, उत्तराखंड आंदोलन समेत तमाम जनानंदों के साथी आप के भ्रष्ट्राचार विरोधी आंदोलनों के बहाने राजनैतिक कार्यशाला में शामिल हो गए हैं।
परिप्रेक्ष्य तेजी से बदल रहे हैं, मगर जिन सिसकियों की चरचा इन पंक्तियों में हैं, जिन चीखों की गूंज है, उसके जवाब में सिर्फ़ सन्यासी और सच्चे सम्पर्क पर बनी बातों का एक खुला चर्च है, वहाँ सच्चे नामों की ही बात होती है।


