नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने विवादित सैन्य विशेषाधिकार क़ानून (अफस्पा) को हटाने की माँग को लेकर पिछले 12 सालों से अनशन कर रही मणिपुर की मानवाधिकार कार्यकर्ता इरोम शर्मिला चानू के विरुद्ध वर्ष 2006 में अपने आमरण अनशन के दौरान कथित रूप से खुदकुशी करने के प्रयास के मामले में आज आरोप तय करते हुये शर्मिला पर मुकदमा चलाने के आदेश दिये। जबकि इरोम ने आत्महत्या के प्रयास से इनकार किया है और कहा है कि वो जिंदगी से प्यार करती हैं। अदालत में सुनवाई के दौरान बाहर इरोम के समर्थन में प्रदर्शन भी हुआ।

दिल्ली की एक अदालत में जज के सामने पेश हुयी इरोम का कहना था कि वो जिन्दगी से प्यार करती है, उसकी क़द्र करती है और यही कारण है कि वो मणिपुर में हुकूमत के ज़रिये की जा रही ज़्यादतियों का विरोध कर रही है। पूरी तरह से शान्त और गम्भीर दिख रही इरोम शर्मिला ने जज से कहा कि वो अपनी जान नहीं लेना चाहतीं बल्कि आत्मसम्मान का जीवन जीना चाहती हैं।

मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट भारतीय दंड संहिता की धारा 309 आत्महत्या का प्रयास के तहत 40 वर्षीय शर्मिला के खिलाफ आरोप तय किये। शर्मिला ने कोई अपराध करने से इन्कार करते हुये कहा कि यह उनका अहिंसक प्रदर्शन था। अदालत ने इस मामले में अभियोजन पक्ष के सबूत दर्ज करने के लिये 22 मई की तारीख तय की है।

अदालत परिसर के बाहर प्रदर्शन के बीच, शर्मिला न्यायाधीश के सामने पेश हुयीं और उन्होंने कहा कि मैं आत्महत्या नहीं करना चाहती हूँ, मेरा केवल अहिंसक प्रदर्शन है, मानव की तरह जीवन जीना मेरी माँग है।