The President, who had on a number of occasions spoken against growing intolerance in the last three weeks, was speaking at the Golden Jubilee celebrations of Delhi High

न्यायपालिका ‘स्वायत्त’ है और लोकतंत्र की एक प्रमुख विशेषता है
नई दिल्ली। महामहिम राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने फिर एक बार इशारों-इशारों में मोदी सरकार को चेताते हुए कहा है कि असहिष्णुता से भारी नुकसान हो रहा है।

महामहिम ने शनिवार को कहा कि सबको आत्मसात करने और सहिष्णुता की अपनी शक्ति के कारण ही भारत समृद्ध हुआ है। विविधता भारत की ताकत है और हमें हर कीमत पर इसकी रक्षा करनी है।

विज्ञान भवन में दिल्ली उच्च न्यायालय के स्वर्ण जयंती समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने सरकार को इतिहास से वर्तमान तक की याद दिलाई।

महामहिम राष्ट्रपति इससे पहले भी दादरी प्रकरण पर प्रधानमंत्री मोदी को सहिष्णुता का पाठ पढ़ा चुके हैं।

श्री मुखर्जी ने कहा कि भारत तीन जातीय समूहों - भारोपीय, द्रविड़ और मंगोल के 1.3 अरब लोगों का देश है। यहां 122 भाषाएं और 1,600 बोलियां बोली जाती हैं. यहां सात धर्मों के अनुयायी हैं।

मुखर्जी ने उच्चतम न्यायालय द्वारा राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) को रद्द किए जाने के मद्देनजर कहा कि न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रक्रिया स्थापित और पारदर्शी सिद्धांतों पर आधारित होनी चाहिए, कोई भी इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता. उन्होंने न्यायपालिका से आत्मावलोकन और आत्म सुधार के जरिए खुद में नयापन लाने को कहा।

महामहिम ने कहा कि न्यायपालिका ‘स्वायत्त’ है और लोकतंत्र की एक प्रमुख विशेषता है।