यह विकास भी बहुत विचित्र चीज़ है। सेक्युलरिज़्म की टोपी की तरह जिस सिर पर जाता है उसका आकार वैसा ही हो जाता है।
मसीहुद्दीन संजरी
Masihuddin Sanjari

उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव विकास के मुद्दे पर लड़ा जाएगा, यह लगभग तय है।

यह विकास भी बहुत विचित्र चीज़ है।
सेक्युलरिज़्म की टोपी की तरह जिस सिर पर जाता है उसका आकार वैसा ही हो जाता है।
कोई रोड और मेट्रो को विकास मानता है, कोई डिजिटल इंडिया की रट लगाए बैठा है। कोई तथाकथित दलित उत्थान में विकास देखता है।
किसी को यह शिकायत है कि इतनी बड़ी संख्या में अल्पसंखयक पिछड़ा रह गया तो विकास की पर्सनाल्टी ही दब कर रह जाएगी।

गरीब जनता इसी में खुश है कि विकास होगा।
लेकिन विकास के इस नए मॉडल में जातिवाद और साम्प्रदायिकता बढ़ रही है। गैर बराबरी बढ़ रही है। हिंसा बढ़ रही है। अंधविश्वास बढ़ रहा है। मंहगाई और बेरोज़गारी बढ़ रही है।
हम अपनी खुशियों को लगाम नहीं दे पाए तो विकास के इसी मॉडल को झेलना पड़ेगा। जिसमें धर्मिकता की अफीम होगी, जातीय अस्मिता का नशा होगा, कारपोरेट लटक झटक होगी, लेकिन गरीब की रोटी, कपड़ा, मकान नहीं होगा। आत्म सम्मान नहीं होगा, आर्थिक और सामाजिक बराबरी नहीं होगी।
इस विकास से सावधान रहने की ज़रूरत है।