पाकिस्तान और इस्रायल ये दो अमेरिका के आतंकवादी हाथ हैं।

जगदीश्वर चतुर्वेदी

इस्रायल (इजराइल) जन्म से विस्तारवादी यहूदीवादी राष्ट्र रहा है। इस्रायल को लोकतंत्र और संप्रभुता से नफरत है।

इस्रायली भक्तों ने फिलिस्तीनियों के पानी में जहर मिलाने की अपील की है, अपील करने वाले सज्जन वे ही हैं जो इस्रायल (इजरायल) सरकार के ज़रख़रीद गुलाम हैं।

सीरिया में अलक़ायदा के आतंकियों की तनख़्वाह इस्रायल देता रहा है ऐसे में वहाँ के पीएम से मिलना क्या सही है ?

जिस तरह पाक के यहां से आतंकी हमले होते रहे हैं ठीक वैसे ही इस्रायली सेना फिलिस्तीनियों पर आतंकी हमले करती रही है। सब जानते हैं कि हमास को आतंकी संगठन के रूप में खड़ा करने में इस्रायल ने वैसे ही मदद की है जैसे हुर्रियत को पाक ने की है।

इस्रायल सारी दुनिया में आतंकवाद का सर्जक है यहां तक कि आईएसआईएस के निर्माण में उसकी सक्रिय भूमिका रही है।

इस्रायल से मित्रता करके भारत कभी भी आतंकवाद से जीत नहीं सकता

इस्रायल से मित्रता असल में भारत की आतंकवाद के खिलाफ नैतिक पराजय है। इस्रायल के आतंकी हमलों से भारत के घनिष्ठ मित्र फिलीस्तीनी जनता पीड़ित रही है। इस्रायल से मित्रता का मतलब है आतंकी देश से मित्रता।

इस्रायल आतंकवादी देश है और उसके इस चरित्र में विगत छह दशकों में कोई बदलाव नहीं आया है। सारी दुनिया यूएनओ में बैठकर अनेक बार उसके आतंकी हमलों की सामूहिक तौर पर निंदा कर चुकी है। मोदी की यात्रा इस्रायल को पुण्यात्मा नहीं बना सकती।

ध्यान रहे अमेरिका का साथ जब इस्रायल को गैर आतंकवादी राष्ट्र न बना सका तो मोदीजी की क्षमता तो एकदम भोंपू मीडिया तक सीमित है।

एक जहर से दूसरा जहर जब मिल जाए तो कैसे पता करेंगे कि कौन सा जहर पहले डाला गया? आज महात्मा गांधी के ये वाक्य इस्रायल में दो नेताओं के मिलन पर सटीक घट रहे हैं।

इस्रायल संसार में आतंकवाद का सबसे बडा सर्जक राष्ट्र है, यह तथ्य सारी दुनिया जानती है और यूएनओ की असंख्य जाँच रिपोर्टस में दर्ज है।

आतंकी देश से मिलन और आतंकवाद को पराजित करने की अपील इस दौर का सबसे बड़ा मज़ाक़ है।

इस्रायल के प्रधानमंत्री से मिलने का फैसला लेते संयोग कम से कम गांधीजी का तो ख्याल किया होता, पढ़ लिया होता कि गांधी जी ने इस्रायल के बारे में क्या कहा था ! मोदीजी गजब की मोटी बुद्धि पाई है!

(फेसबुकिया टिप्पणियों का समुच्चय)