उच्च न्यायालय ने अवरुद्ध फंड को ग्रीनपीस के एफसीआरए खाते में जमा करने के दिये आदेश
न्यायालय ने पाया ग्रीनपीस के खिलाफ गृह मंत्रालय के रिकॉर्ड में कोई सामग्री नहीं
सिविल सोसाइटी से डरे नहीं सरकार- समित आईच
नई दिल्ली। 20 जनवरी 2015। दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज ग्रीनपीस के अवरुद्ध फंड पर रोक हटाया। पिछले साल जून में गृह मंत्रालय ने ग्रीनपीस के विदेशी फंड पर रोक लगाया था। इस फैसले को पर्यावरण संगठन ने लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की आजादी की जीत बताते हुए इसे स्वतंत्र समाज में एनजीओ की भूमिका स्वीकार करने वाला फैसला कहा है।
ग्रीनपीस के कार्यकारी निदेशक समित आईच ने कहा, “यह फैसला हमारे काम और भारत के विकास में एनजीओ की विश्वसनीय भूमिका को स्वीकार करता है। न्यायालय ने ग्रीनपीस के द्वारा उठाये गए मुद्दे को वैधता देते हुए सरकार की कार्रवाई को असंवैधानिक माना है। यह जानकारी ग्रीनपीस की एक विज्ञप्ति में दी गई है।
न्यायालय ने आज गृह मंत्रालय के द्वारा जून 2014 में ग्रीनपीस के विदेशी चंदे को प्राप्त करने पर लगाई गई रोक को असंवैधानिक, एकपक्षीय और गैरकानूनी कदम माना है। इसके बाद के महीनों में, ग्रीनपीस को कई यात्रा प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा जिसे एनजीओ पर सरकार की कठोर नीतियों की शुरुआत के रूप में देखा गया।
उच्च न्यायालय ने देखा कि गृह मंत्रालय ने अपने उत्तर में कहा है कि ग्रीनपीस इंडिया, ग्रीनपीस इंटरनेशनल को छोड़कर दूसरे विदेशी फंड का उपयोग कर सकता है क्योंकि ग्रीनपीस इंटरनेशनल को निगरानी सूची में डाला गया है, लेकिन ऐसा देखा गया कि ग्रीनपीस इंटरनेशनल के खिलाफ किसी तरह की सामग्री रिकॉर्ड में नहीं है।
समित ने कहा, “यह फैसला बहुत ही महत्वपूर्ण समय पर आया है जब सरकार का एक वर्ग हमें और अन्य कई दूसरे एनजीओ को परेशान करने पर आमदा है। हम खुश हैं कि न्यायालय के फैसले से यह साबित हुआ है कि सरकार द्वारा लिया गया निर्णय कानून सम्मत नहीं था। न्यायालय के इस फैसले से स्पष्ट है कि सरकार को एनजीओ को परेशान करने वाले अभियान को बंद कर देना चाहिए”।
न्यायालय ने यह भी माना कि गैर सरकारी संगठनों को सरकार से इतर अपना दृष्टिकोण रखने का हक है और इसका मतलब यह नहीं है कि एनजीओ राष्ट्रीय हित के खिलाफ हैं।
न्यायालय का यह फैसला ग्रीनपीस की कार्यकर्ता प्रिया पिल्लई को लंदन जाने से उड़ान भरने से रोकने के कुछ दिनों बाद ही आया है। प्रिया वहां ब्रिटिश सांसदों से मध्य प्रदेश स्थित सिंगरौली के जंगल महान में एस्सार द्वारा मानवाधिकार उल्लंघन के बारे में बात करने वाली थी क्योंकि वहीं एस्सार कंपनी का मुख्यालय स्थित है। एस्सार कंपनी सिंगरौली, महान में कोयला खदान खोलने के लिये प्रयासरत है। प्रिया के अलावा, महान में काम करने वाले दूसरे कार्यकर्ताओं को भी अवैध तरीके से गिरफ्तार किया जा चुका है। स्थानीय समुदाय इस प्रस्तावित कोयला खदान से खत्म होने वाले अपनी जीविका और जंगल को बचाने के लिये इसका विरोध कर रहे हैं।
समित ने कहा, “ग्रीनपीस इंडिया भारतीय आदर्शों के लिये संघर्ष कर रही है। ग्रीनपीस स्थानीय समुदाय को सशक्त करने और आने वाली पीढ़ियों को स्वच्छ पर्यावरण मिले इसके लिये संघर्ष कर रही है। ग्रीनपीस इंडिया मुख्यतः भारतीयों के चंदे पर, भारतीयों द्वारा चलाया जा रहा है, जो भारत की पर्यावरण समस्याओं पर काम करती है। हमारे अभियान स्पष्ट रुप से राष्ट्र हित में हैं लेकिन वे शक्तिशाली कॉर्पोरेट के हित के खिलाफ हो सकते हैं और इसलिए हमें चुप कराने की साजिश किये जा रहे हैं”।
नयी सरकार के आने के साथ भारत एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है और बहुत सारे वादों के पूरा होने की उम्मीद है। समित ने कहा, “इस समय भारत को विकास के मॉडल पर फिर से विचार करने और एक ऐसे मॉडल को अपनाने की जरुरत है जो समतामूलक और पर्यावरण की दृष्टि से टिकाउ हो”।
समित ने सरकार से सिविल सोसाइटी के साथ मिलकर काम करने और इससे खतरा महसूस नहीं करने का आह्वान किया। सरकार और सिविल सोसाइटी के सहयोग से ही ‘सबका साथ, सबका विकास’ हासिल किया जा सकता है।