उत्तर प्रदेश में फिर भाजपा बनाम भाजपा
उत्तर प्रदेश में फिर भाजपा बनाम भाजपा
क्या राजनाथ को निपटाने के लिए की थी भाजपाईयों ने लखनऊ में गुण्डई ?
अंबरीश कुमार
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में भाजपा कुछ ज्यादा ही आक्रामक हो रही है। पार्टी ने पच्चीस जून से सात जुलाई तक विभिन्न मोर्चों के धरना प्रदर्शन का कार्यक्रम का एलान किया था। पर इस दौरान पार्टी के कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन सारी सीमा तोड़ गया जिसे लेकर गैर भाजपा दलों ने तो आलोचना की ही साथ ही पार्टी का का एक खेमा भी इसके खिलाफ खड़ा हो गया। इस खेमे का यह मानना है कि यह आक्रामकता पार्टी के लिए कहीं भारी न पड़ जाए।
उत्तर प्रदेश भाजपा में गुटबाजी पुरानी है और मौजूदा आंदोलन को भी इसी से जोड़ कर देखा जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक बीते सोमवार को विधान सभा के सामने स्थित भाजपा के प्रदेश मुख्यालय पर पहले लाठी, ईंटे और लहसुनिया बम इकठ्ठा किया गया फिर बदहाल कानून व्यवस्था के नाम पर जो प्रदर्शन हुआ उसमें इस सबका इस्तेमाल हुआ।
जानकारों के मुताबिक प्रदर्शन के दौरान पुलिस को उकसाया गया और जब पुलिस हमलावर हुई तो पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मी कान्त वाजपेयी, उपाध्यक्ष शिव प्रताप शुक्ल, महामंत्री अनूप गुप्ता और युवा मोर्चे के आशुतोष राय भागकर मुख्यालय पहुंचे और वहां से कार्यकर्ताओं को पुलिस पर हमले का निर्देश दिया। भाजपा के हमले का निशाना पुलिस ही नहीं मीडिया के साथ आम आदमी भी बना। बगल के सरकारी अस्पताल में गंभीर मरीजों को भी नहीं छोड़ा गया, मार कर बाहर भगा दिया गया।
यह सब तब हुआ जब देश के गृह मंत्री और लखनऊ के सांसद राजनाथ सिंह दौरे पर आए थे। प्रदर्शन के चक्कर में हजारों स्कूली बच्चे चालीस डिग्री से ज्यादा के तापमान में सड़क पर घंटों फंसे रहे तो कई बेहोश हो गए। इस सब को लेकर विधान सभा में भी हंगामा हुआ। हालाँकि भाजपा प्रवक्ता ने विजय पाठक ने इसपर सरकार की घेरेबंदी करते हुए कहा- सदन में जब यह कहा गया कि पार्टी मुख्यालय पर हथियार इकठ्ठा किए गए तो ख़ुफ़िया एजंसी क्या कर रही थी। यह सब एक दिन में तो हुआ नहीं फिर क्या सरकार सो रही थी जिसने यह सब होने दिया। यह मामला सीधा सीधा आंदोलन से निपटने की प्रसाशनिक विफलता का है जिसकी वजह से इतना हंगामा हुआ।
दूसरी तरफ भाजपा के अध्यक्ष और गृह मंत्री राजनाथ सिंह से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने इस सवाल को ही टाल दिया। इससे भाजपा की खेमेबंदी का अंदाजा लगाया जा सकता है ।
गौरतलब है कि पेट्रोल डीजल से लेकर रेल भाड़ा बढ़ जाने के बाद प्याज का दाम बढ़ता जा रहा है। जो लोग मोदी सरकार के आने के बाद चमत्कार की उम्मीद लगाए थे उनका मोहभंग होने लगा है। ऐसे हालात में उत्तर प्रदेश में राजनैतिक मुद्दों खासकर कानून व्यवस्था को लेकर भाजपा का सड़क पर उतर कर लाठी पत्थर के साथ हमला करना किसी के समझ में नहीं आ रहा है। संख्या बल के हिसाब से भाजपा विधान सभा में दस फीसद भी नहीं है पर लगातार धरना प्रदर्शन और आंदोलन से माहौल बनाने का प्रयास कर रही है जो अब आम लोगों को भी खलने लगा है। भाजपा की आक्रामकता की बानगी देखने वाली है। भाजपा युवा मोर्चे के आंदोलन के दौरान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने कहा- 'हम गांधी की संतान नहीं बल्कि चंद्रशेखर और भगत सिंह की संतान हैं।'
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक कार्यकर्ताओं को भड़काने के लिए उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी थी। वे तो चाहते हैं कि पार्टी उन्हें उत्तर प्रदेश का भावी मुख्यमंत्री घोषित कर दे। यह सब हंगामा उसी वजह से हुआ। विधान सभा में संसदीय कार्य मंत्री मोहम्मद आजम खां ने बिना नाम लिए भाजपा की जमकर खिंचाई की। उन्होंने कहा कि विधान सभा के सामने भाजपा मुख्यालय में न सिर्फ छोटे बम रखे गए बल्कि उसका इस्तेमाल भी किया गया। बेहतर हो भाजपा मुख्यालय को विधान सभा से दूर किया जाए।
राजनैतिक टीकाकार वीरेंद्र नाथ भट्ट ने कहा- सभी पार्टियाँ चुनाव में तो पैसा खर्च करती है पर भाजपा पहली बार धरना प्रदर्शन के लिए प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से कार्यकर्ताओं को लाने और उनके प्रदर्शन पर पर भी जमकर पैसा खर्च कर रही है। प्रदर्शन में भाजपा ने सारी सीमा तोड़कर जब मरीजों को नही छोड़ा तो अब क्या उम्मीद कर सकते हैं। इस सबसे भाजपा के खिलाफ माहौल बन जाए तो हैरानी नहीं होनी चाहिए। खासकर जब विधान सभा के उप चुनाव सामने हों।
खास बात यह है कि भाजपा का एक बड़ा हिस्सा इसके खिलाफ भी है। जिस तरह पुलिस और मीडिया को निशाना बनाया गया है, यह अच्छे दिन का संकेत तो कत्तई नहीं लगता।
जनादेश न्यूज़ नेटवर्क


