उत्तराखंड में पलायन त्रासदी बन गया है, लेकिन यूपी जैसी सक्रियता दिखाई नहीं दी
उत्तराखंड में पलायन त्रासदी बन गया है, लेकिन यूपी जैसी सक्रियता दिखाई नहीं दी
उत्तराखंड में पलायन त्रासदी बन गया है,
लेकिन यूपी जैसी सक्रियता दिखाई नहीं दी
गीता गैरोला
Geeta Gairola
उत्तराखंड में पलायन त्रासदी बन गया है। सैकड़ों गांव खाली हो गए। गांव में सिर्फ हमारे देवता है या बंजर पड़े खेत हैं।
पूरे साल भर देवता जी को केवल लोग डर के मारे मन में याद करते हैं। देवता पूरे साल भर भक्त गणों की शक्ल देखने को तरस जाते हैं। देवताओं के पास कोइ फोन होंन भी नहीं होता। अगर भक्तों को खुद भी लगे तो अपने एनालॉग सिस्टम के कारण मजबूर गांवों के नीचे जाने वाले रास्तों पर नजरें गढ़ाए रखने के सिवाय कुछ नहीं कर पाते।
गर्मियों तक इंतजार ही देवताओं की नियति बन गया है। मई जून की किसी एक तिथि को देवताओं के भक्त गाड़ियों में भर कर गाँव आते हैं, दिन भर पूजा करते हैं और शाम को वापिस अपने ठिकानो में चले जाते हैं।
देवता महराज को एक दिन ही सभी भक्तों की शक्ल पूरे साल भर के लिए मन में रखनी होती है। शक्ल याद रहेगी तभी तो आशीर्वाद भी दे पायेंगे वरना कंफ्यूजन होना स्वाभाविक है।
इन्हीं स्थितियों में यहाँ भाजपा की चुनी हुई सरकारें आयी। पाँच वर्षों में कई बार पलायन। पलायन का मन्त्र जपा गया। पर उत्तर प्रदेश जैसी सक्रियता नहीं दिखाई दी। ना ही किसी सांसद, विधायक ने गांव वार आंकड़े जमा किये।
तो भाई ये सोचने का विषय है।
Geeta Gairola की फेसबुक टाइमलाइन से साभार


