उत्तराखंड राज्य आन्दोलनकारियों पर गोली चलाने वाले को भाजपा सरकार ने बनाया कमिश्नर
उत्तराखंड राज्य आन्दोलनकारियों पर गोली चलाने वाले को भाजपा सरकार ने बनाया कमिश्नर
शमशेर सिंह बिष्ट
3 अक्टूबर 1994 को मुजफ्फरनगर कांड के बाद नैनीताल में भी जर्बदस्त आक्रोश पैदा हो गया था, पूरा नैनीताल बंद हो गया था। हम लोग नैनीताल से दिल्ली गयी महिलाओं से भरी बस को लेकर जैसे-तैसे नैनीताल पहुंचे थे। तत्कालीन सरकार के विरोध में जर्बदस्त गुस्सा था। लोग सरकार के विरूद्ध सड़कों में आ गये थे।
उस समय नैनीताल के एसडीएम आज के कुमॉऊ कमिशनर बनाये गये चन्द्रशेखर भट्ट ही थे। तब उत्तराखंड राज्य आन्दोलनकारियों पर नैनीताल में गोली चलाने का आदेश आज के कुमॅांऊ कमिशनर भट्ट ही ने दिये थे।
श्री भद्भ के आदेश पर ही तल्लीताल पर आन्दोलनकारियों पर गोली चलाई गयी थी। राज्य आन्दोलन का केन्द्र नैनीताल समाचार का कार्यालय था। गिरदा, राजीव लोचन साह जैसे प्रमुख आन्दोलनकारी उसी क्षेत्र में थे। शेखर पाठक के निवास तक पुलिस ने गोली चलाई थी। इसी के पास पुलिस की गोली से एक होटल में कार्य करने वाला कर्मचारी प्रताप सिंह मारा गया था।
तत्कालीन उ0प्र0 सरकार ने बाद में भाजपा की सरकार ने जिस तरह से मुजफ्फरनगर के तत्कालीन जिलाधिकारी अनंत सिंह को पुरस्कृत किया था। आज गोली चलाने का आदेश देने वाले एसडीएम को कुमॉऊ का कमिश्नर बनाया गया है। वह भाजपा के उत्तराखंड के प्रति उपेक्षा को दिखाता है। भाजपा का गैरसैंण के प्रति उपेक्षा की भावना से भी यह परिलक्षित होता है।
केन्द्रीय परिवहन मंत्री श्री गडकरी के दबाव में, भ्रष्ट नौकरशाही व ठेकेदार नेताओं को बचाने के लिए एक ईमानदार अधिकारी का स्थान्तरण करके उत्तराखंड विरोधी नौकरशाह को लाकर एन एच 74 के 363 करोड़ के घोटाला को दबाने का ही प्रयास है। याद रहे इस घोटाले में कई अधिकारी चपेटे में आ गये थे। तत्कालीन कमिशनर सैंथिल पांडियन ने ईमानदारी, बिना दबाव के जॉच भी की थी।
अब केन्द्रीय मंत्री गडकरी कहतें हैं इस कार्यवाही से अधिकारियों का मनोबल गिरेगा तो क्या यह माना जाय कि मोदी सरकार अधिकारियों को लूट करने की खुली छुट दे रही है अब किसी भ्रष्ट अधिकारियों के विरूद्ध कोई कार्यवाही नहीं होगी, क्योंकि उसका मनोबल गिर जायेगा।
शमशेर सिंह बिष्ट वरिष्ठ पत्रकार, गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता व उत्तराखंड राज्य आन्दोलनकारी हैं.उनकी फेसबुक टाइम लाइन से साभार


