उप्र की राजनीति का निर्णायक मैदान तो नहीं ही भर पाए मोदी
उप्र की राजनीति का निर्णायक मैदान तो नहीं ही भर पाए मोदी
उत्तर प्रदेश की राजनीति का सबसे बड़ा मैदान भरा नहीं और मोदी ने कहा-नेताजी ने आज भी मुझसे हार मान ली।
अंबरीश कुमार
लखनऊ, 2 मार्च। भाजपा की लहर को सुनामी में बदलने का दावा करने वाले नरेंद्र मोदी को आज उत्तर प्रदेश में हवा के रुख का कुछ अंदाजा हो गया है। आज की रैली उन्होंने मायावती के उस मैदान में की जिसे भर पाने का माद्दा सिर्फ मायावती का है, यह फिर साबित हो गया। इलाहाबाद में मुलायम ने जब चुटकी ली कि लखनऊ में मोदी की रैली फ्लाप हो गई तो इसी मुद्दे पर मोदी बिफर गए।
बैरिकेटिंग के बाद जिस मैदान की क्षमता चार लाख की बचे तो उसे आधा या तिहाई भर जाने से कोई नेता बमबम हो जाए तो इसे उसी का दृष्टि दोष माना जा सकता है जनता का नहीं।वह भी तब, जब दर्जनों विशेष ट्रेन और भाड़े वाली बसों से बहार से लोग आए हों तो स्थानीय भागेदारी का सच सामने आ जाता है। इसलिए यह फिलहाल लहर तो नहीं मानी जा सकती।भीड़ तो सभी भर कर लाते हैं पर कभी भी आधा तिहाई मैदान भर जाने के बाद ऐतिहासिक भीड़ का दावा नहीं करते। कोलकोता से लेकर काशी तक भीड़ का गणित अब साफ़ हो चुका है।आज भीड़ का यह आकलन भाजपा के एक प्रतिबद्ध नेता का रहा जो इस रैली कि तैयारी में जुटे थे। पर मोदी का भी आत्मविश्वास देखने वाला है और यही आत्मविश्वास उन्हें भाजपा का भारी नेता बना रहा है ।
उत्तर प्रदेश की राजनीति का सबसे बड़ा मैदान भरा नहीं और मोदी ने कहा-नेताजी ने आज भी मुझसे हार मान ली। यह गजब का आत्मविश्वास है जिसके आगे सभी नत मस्तक हो जाएं। मोदी अब छात्र नेता की तरह भाषण दे रहे हैं जिसमें तथ्य से कोई वास्ता नहीं होता। वे देश के सभी सूबों को गुजरात के अखाड़े में लड़ा रहे हैं और राजनैतिक लड़ाई गुजरात बनाम देश की बना रहे हैं। इसके पीछे की हिकारत की भावना साफ दिखती है जो हिंदी राज्यों को पिछड़ा बनाने और बताने की कवायद का हिस्सा है। वे सब जगह गुजरात बनाना चाहते हैं, बगैर अपने गुजरात को देखे। कुछ समय पहले द्वारिका से सोमनाथ होते हुए दीव की यात्रा मैंने की तो विकास दिख गया था ठीक अपने बनारस की सड़कों जैसा। दीव की चमचमाती सड़कें जब गढ़हे में बदल गईं तो किसी ने बताया कि विकास वाला गुजरात आ गया है। ऐसे में मोदी कभी बिजली, कभी पानी और कभी दूध दही का उदाहरण देकर क्या कहना चाहते है यह किसी से छुपा नहीं है ।
आज फिर मोदी ने कहा - मोदी ने कहा कि यूपी में बंदूकों की आवाज आती है। उन्होंने कहा कि मुलायम सिंह ने अपने भाषण में हार मान ली है और आज विकास की बात करने को मजबूर हो गए हैं। गुजरात के विकास का बखान करते हुए मोदी ने कहा कि मैं विकास की राजनीति का पक्षधर रहा हूं। मैं राजनीतिक दलों से 10 सालों से कह रहा हूं कि विकास के मुद्दे पर आओ। मुझे खुशी है कि नेताजी को पुराने रास्ते छोड़कर विकास की चर्चा करने पर मजूबर होना पड़ा। पर विकास का मानक अपने देश में गुजरात है या केरल यह तो पता करना चाहिए।
प्रधानमंत्री पद के इस दावेदार को इतिहास, भूगोल के साथ इतना सामान्य ज्ञान तो होना चाहिए कि मजाक न बने। भगत सिंह को अंडमान जेल भेजने वाले से अब तथ्यों से क्या उम्मीद की जाए और क्या गुजरात का विकास उत्तर प्रदेश में देखा जाए जो आज वे दिखा गए।


