कौन होगा यूपी का मुख्यमंत्री, इस पर चर्चा ज़ोरों पर है और कई नाम भी निकल कर सामने आ रहे हैं। वहीं यूपी-उत्तराखंड में सीएम के नाम पर चर्चा के लिए आज भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक बुलाई गई है। माना जा रहा है कि इस बैठक में नामों पर मुहर लग सकती है..

उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज कराते हुए सत्ता में वापसी कर ली है।

यूपी में नरेंद्र मोदी की सुनामी आई और भाजपा ने सहयोगियों के साथ मिलकर 325 सीटों पर कब्ज़ा कर लिया। वहीं इस प्रचंड बहुमत के बाद अब लोगों के मन में सबसे बड़ा सवाल यही है कि कौन बनेगा यूपी का मुख्यमंत्री? आज संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद भाजपा सीएम के नाम का ऐलान कर सकती है।

भाजपा ने शुरू से ही अपने पत्ते नहीं खोले हैं, लेकिन इस पद के दावेदार कई हैं, जिनमें गृह मंत्री राजनाथ सिंह, सांसद योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा, लखनऊ से मेयर दिनेश शर्मा और यूपी भाजपा के अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य शामिल हैं

.. अब आपको बताते हैं कि आखिर क्यों इन नामों की चर्चा ज़ोरों पर है।

पहले बात करते हैं राजनाथ सिंह की।

-राजनाथ सिंह पहले भी यूपी के मुख्यमंत्री का पदभार संभाल चुके हैं। फिलहाल राजनाथ सिंह केंद्र सरकार में गृहमंत्री हैं। उन्हें पीएम मोदी के बाद दूसरे नंबर की हैसियत का नेता माना जाता है।

केंद्र छोड़कर किसी एक राज्य में सीमित हो जाना शायद राजनाथ सिंह को ही गंवारा ना हो। फिर भी भाजपा को बहुमत मिलने के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए उनकी प्रबल दावेदारी से इनकार नहीं किया जा सकता।

-योगी आदित्यनाथ-

वर्तमान राजनीतिक परिस्थिति में उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ भाजपा के इकलौते फायर ब्रांड नेता हैं.

विधानसभा चुनाव से पहले तक आदित्यनाथ पूर्वांचल तक ही सीमित थे, लेकिन इस बार पार्टी ने उनसे पश्चिमी यूपी में भी जमकर प्रचार कराया है.

भाजपा के स्टार प्रचारक के रूप में उन्होंने सबसे ज्यादा रैलियां की हैं. उन्होंने हर भाषण में वही शब्द कहे, जिससे वोटों का ध्रुवीकरण हो सके.

भाजपा की जीत का श्रेय आदित्यनाथ को भी जाएगा. यूपी भाजपा के वे इकलौते बड़े नेता थे, जो 300 सीटें जीतने का दावा करते थे, वही सच भी हुआ है. ऐसे में आदित्यनाथ मुख्यमंत्री के दावेदार हो सकते हैं.

दिनेश शर्मा-

लखनऊ के मेयर और भाजपा नेता दिनेश शर्मा यूपी के उन गिने चुने नेताओं में से हैं, जिन्हें पार्टी के अच्छे दिनों में सबसे ज्यादा इनाम मिला। सरकार बनने के तुरंत बाद पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की कुर्सी मिली. अमित शाह उन्हें कितना पसंद करते हैं इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि उन्हें पीएम मोदी के ही राज्य गुजरात का पार्टी प्रभारी बनाया गया।

नवंबर 2014 में उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय सदस्यता प्रभारी बनाया गया. इस दौरान उन्होंने भाजपा को दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी का दर्जा दिलाया. वे कल्याण सिंह और कलराज मिश्र के भी खास हैं.

साल 2006 में अटल बिहारी बाजपेयी ने अपने आखिरी भाषण भी दिनेश शर्मा को चुनाव जिताने के लिए दिया था.

केशव प्रसाद मौर्य-

राज्य पार्टी इकाई प्रमुख और फूलपुर से सांसद केशव प्रसाद मौर्य मुख्यमंत्री पद के लिए एक मजबूत दावेदार हैं.

कौशाम्बी जिले के एक किसान परिवार में पैदा हुए केशव प्रसाद मौर्य के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने संघर्ष के दौर में पढ़ाई के लिए अखबार भी बेचे और चाय की दुकान भी चलाई. चाय पर जोर देने का कारण साफ है कि कहीं न कहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी इससे जुड़ाव रहा है।

मौर्य आरएसएस से जुड़ने के बाद विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल में भी सक्रिय रहे. इस दौरान उन्हें अशोक सिंघल की नजदीकी का फायदा मिला. वीएचपी और बजरंग दल में वह 12 साल रहे। उन्होंने 2002, 2007 और 2012 विधानसभा चुनाव लड़ा था. 2014 में फूलपुर लोकसभा सीट से सांसद चुने जाने से पहले वो सिराथू से विधायक थे.

मनोज सिन्हा-

गाजीपुर से पार्टी के सांसद मनोज सिन्हा के नाम पर भी मुख्यमंत्री पद के लिए विचार किया जा सकता है. आईटी-बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र सिन्हा, वर्तमान में दूरसंचार और रेल राज्यमंत्री हैं. 1989 से 1996 तक वह नेशनल काउंसिल के मेंबर थे.

सिन्हा 1996 और 1999 में लगातार और फिर 2014 में उत्तर प्रदेश के गाजीपुर से लोकसभा के लिए चुने गए.