एक गैरआदिवासी मुख्यमंत्री झारखंड का आदिवासी स्वरूप ख़त्म करने पर तुल गया
एक गैरआदिवासी मुख्यमंत्री झारखंड का आदिवासी स्वरूप ख़त्म करने पर तुल गया
A non-tribal CM is adament to destroy Jharkhand's tribal nature
राजीव मित्तल
आदिवासियों का सब छीन अब उन्हें नचाइये बस्स
झारखंड में हुए 2014 के चुनावों में एक गैर आदिवासी और गैर प्रांतीय व्यक्ति को मुख्यमंत्री बना कर नयी डोमिसाइल नीति बनाई जा रही है... इस नीति में मैट्रिक में फेल हुआ आदिवासी छात्र "बाहरी" माना जाएगा और मैट्रिक पास करने वाला गैर आदिवासी छात्र "असली" झारखंडी माना जाएगा....
वर्ष 2000 में अटल की केंद्र सरकार ने विकास के मद्देनज़र बिहार को बांट कर झारखंड बनाया था...
झारखंड का आदिवासी स्वरूप बनाये रखना पहली शर्त थी.... लेकिन 1970 और 1980 के दशक में इस के भरे-पूरे प्राकृतिक संसाधनों पर लुटेरों का हमला शुरू हो चुका था.... इसलिये आदिवासी नेताओं की इस मांग को हवा में उड़ा दिया गया कि राज्य का मूल निवासी उसे माना जाए जिसका झारखंड से 1932 से सबंध है....
राज्य के पहले आदिवासी मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी मूल निवास का साल 1964 करने पर ज़ोर दे रहे थे .... इसके चलते उन्हें सत्ता गंवानी पड़ी.... बहरहाल उनके बाद पांच और आदिवासी मुख्यमंत्री बने, लेकिन सब भारतीय राजनीति में रंग चुके थे.... किसी ने भी आदिवासी पहचान को मुद्दा नहीं बनाया.... अब एक गैरआदिवासी मुख्यमंत्री झारखंड का आदिवासी स्वरूप पूरी तरह ख़त्म करने को तुल गया है....
झारखंड की लूटखसोट में पत्रकारिता
करीब तेरह साल पहले अख़बार की तरफ से रांची भेजा गया था मुजफ्फरपुर से.... वहां एक महीने में ही अख़बारों का खेल समझ में आ गया... आदिवासियों को लूटने में मंत्री नेता सरकार राजनैतिक दल उद्योगपति वगैरह तो शामिल हैं ही....अख़बारों के मालिक. प्रबंधक और सम्पादक भी पीछे नहीं....
चर्चा थी कि मेरे अख़बार का सम्पादक तो पक्का कफ़नचोर .... मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी को हटाने के षड्यंत्र में बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रहा.... काफी मोटी रकम हाथ लगी उसके.... सारे बागी विधायक... मंत्री उससे सलाह मश्विरा कर रहे.... यहां तक कि विधायकों की खरीद का अटैचियों में भरा पैसा उसी के घर रखवाया गया था....
एक बड़ा खुलासा और... चर्चा थी कि अख़बार के एक मसीहा ने झारखंड राज्य बनने के आसपास लालू यादव की किसी मामले में मदद की होगी उसकी एवज में सोने की खान का पट्टा लिखवा लिया.... इस अवैध काम की कोई जांच न हो...इसका सारा दारोमदार उस दुम हिलाऊ सम्पादक पर ही था...


