जिग्नेश मेवाणी

एजंडा हिन्दू राष्ट्र और राष्ट्रपति बने दलित?

हम को बहलाने के लिए ग़ालिब ये खयाल घटिया है।

बीजेपी वाले समझते हैं कि दलित समाज में पैदा हुए रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति के पद के लिए नॉमिनेट करके उन्होंने मास्टर स्ट्रोक मारा है। लेकिन दलितों को वे लुभा नही पाएंगे। अब दलित ऐसे पैंतरों के झांसे में आने वाले नहीं।

जब पूरा देश उना और सहारनपुर बन चुका हो, जब मरी हुई गाय के मामले में दलितों की खाल उधेड़ी जा रही हो, सहारनपुर में दलितों के आशियाने जलाए जा रहे हों, साथी चंद्र शेखर रावण को खत्म करने की चाल खेली जा रही हो, भीम आर्मी की कैडर को थर्ड डिग्री टॉर्चर किया जा रहा हो, हरियाणा में दलित युवकों के सामने राजद्रोह के फर्जी मुकद्दमे दर्ज किए जा रहे हो, रोहित वेमुला की संस्थानिक हत्या की जा रही हो, जब संविधान को तोड़-मरोड़कर मनुस्मृति लागू की जा रही हो तब दलित राष्ट्रपति मिलने से दलितों को कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

चुनावी राजनीति में 2019 तक दलितों को लुभाने के चुनावी पैंतरे के अलावा यह और कुछ नहीं।

India is really unique in the sense that we choose our president from a section of the society ppl are killed, butchered, massacred from.