एससी-एसटी एक्ट पर सर्वोच्च न्यायालय का फैसला : कांग्रेस का आरोप एक्ट को मोदी सरकार कर रही कमजोर
एससी-एसटी एक्ट पर सर्वोच्च न्यायालय का फैसला : कांग्रेस का आरोप एक्ट को मोदी सरकार कर रही कमजोर
हर 12 मिनट में एक दलित पर अत्याचार हो रहा है। 40 हजार आठ सौ मुकदमें हुए हैं। मोदी सरकार के चलते देश में सबसे ज्यादा दलितों पर अत्याचार हो रहा है।
नई दिल्ली: एससी-एसटी एक्ट पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद कांग्रेस ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से नाराज कांग्रेस ने कहा है कि एससी-एसटी एक्ट को मोदी सरकार कमजोर कर रही है। साथ ही कांग्रेस ने सवाल उठाया कि आखिर इस एक्ट पर पीएम मोदी चुप क्यों हैं। इतना ही नहीं, कांग्रेस ने इस एक्ट को कमजोर करने के लिए भाजपा और आरएसएस को जिम्मेदार ठहराया।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कांग्रेस ने भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा है कि गरीब और दलित विरोधी चेहरा सामने आ गया है। कांग्रेस ने कहा कि मोदी सरकार के चलते देश में सबसे ज्यादा दलितों पर अत्याचार हो रहा है। कांग्रेस इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगी।
कांग्रेस ने कहा कि हर 12 मिनट में एक दलित पर अत्याचार हो रहा है। 40 हजार आठ सौ मुकदमें हुए हैं। सरकार के आंकड़े कहते हैं कि इस मामले में महज 25 फीसदी केस में ही सजा मिलती है। मोदी सरकार ने एसएसटी सबप्लान को खत्म कर दिया।
कांग्रेस ने कहा भाजपा इस कानून को कमजोर करने की कोशिश कर रही है और इस पर फिर से विचार करने की जरूरत। रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि सरकार के समर्थन से शोषण हो रहा है। कांग्रेस ने कहा कि एससी-एसटी एक्ट पर फैसला काफी अफसोसजनक है।
कांग्रेस ने योगी के साबुन वाली घटना और येदुयेरप्पा पर भी हमला बोला और कहा कि ये लोग दलित के घर जाते हैं और फाइव स्टार होटल से खाना मंगवा कर खाते हैं। वहीं योगी लोगों से मिलने के बाद साबुन से हाथ धोते हैं।
बता दें कि मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मंगलवार को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के तहत अपराध में सर्वोच्च न्यायालय ने दिए दिशा निर्देश दिए। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि इस तरह के मामलों में अब कोई ऑटोमैटिक गिरफ्तारी नहीं होगी। इतना ही नहीं गिरफ्तारी से पहले आरोपों की जांच जरूरी है। गिरफ्तारी से पहले जमानत दी जा सकती है।
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि यदि कोई आरोपी व्यक्ति सार्वजनिक कर्मचारी है, तो नियुक्ति प्राधिकारी की लिखित अनुमति के बिना, यदि व्यक्ति एक सार्वजनिक कर्मचारी नहीं है तो जिला के वरिष्ठ अधीक्षक की लिखित अनुमति के बिना गिरफ्तारी नहीं होगी।
कोर्ट ने कहा कि ऐसी अनुमतियों के लिए कारण दर्ज किए जाएंगे और गिरफ्तार व्यक्ति व संबंधित अदालत में पेश किया जाना चाहिए। मजिस्ट्रेट को दर्ज कारणों पर अपना दिमाग लगाना चाहिए और आगे आरोपी को तभी हिरासत में रखा जाना चाहिए जब गिरफ्तारी के कारण वाजिब हो। यदि इन निर्देशों का उल्लंघन किया गया तो ये अनुशासानात्मक कार्रवाई के साथ साथ अवमानना कार्रवाई के तहत होगी।
कोर्ट ने कहा कि संसद ने कानून बनाते वक्त ये नहीं सोचा था कि इसका दुरुपयोग किया जाएगा।
Strange indeed!
Supreme Court reads down the SC/ST atrocities law as a compliant Modi Govt remains on mute mode.Ain’t all other provisions of IPC, including murder, amenable to abuse? Safeguard is to ensure fair investigation not read down the law.https://t.co/PQMtXS9qzf
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) March 21, 2018
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