ऑस्ट्रेलिया- भारत क्रिकेट मैच में ग्रीनपीस के 30 कार्यकर्ताओं की रिहाई की माँग
ऑस्ट्रेलिया- भारत क्रिकेट मैच में ग्रीनपीस के 30 कार्यकर्ताओं की रिहाई की माँग
डॉ. सीमा जावेद
ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच बेंगलुरू में हुये सबसे विस्फोटक क्रिकेट मैच के बीच ग्रीनपीस भारत ने रूसी राज्य अभियोजक (स्टेट प्रासीक्यूटर) द्वारा गिरफ्तार किये गये आर्कटिक में तेल का निष्कर्षण का शांतिपूर्वक विरोध कर रहे अपने 30 कार्यकर्ताओं की रिहाई की मांग एक बैनर “ फ्री आर्कटिक 30 ” फहरा कर की।
आर्कटिक या उत्तरी हिम-शैल धरती पर बचे चंद सबसे खूबसूरत और आदिकालीन पर्यावरण तंत्रों में से एक है जो तेजी से पिघल रहा है। आर्कटिक पर जमी बर्फ धरती को वातानुकूलित बनाने में हमेशा से महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती आयी है। उसके बिना तापमान बढ़ेगा और धरती तपने लगेगी। ऐसे में दुनिया का क्या हाल होगा, यह बताने की जरूरत नहीं। पिघलते हिम-शैल भविष्य में होने वाले बड़े बदलाव की कहानी कह रहे हैं और हमें चेतावनी भी दे रहे हैं।
दुर्भाग्य से तेल कम्पनियाँ हिमखंडों के पिघलने में भी अपना फायदा देख रही हैं। रूसी कंपनी गैज़प्रोम,स्काटलैंड की केयर्नइनर्जी कम्पनी आदि आर्कटिक क्षेत्र के
समुद्री किनारे को खोदने में जुटी है। यह वह इलाका है जो ज्यादातर समय समुद्री बर्फ से घिरा रहता है। यहाँ पानी काफी गहरा है और कई हिम-शैल मौजूद हैं। यहाँ का पर्यावरण कठोर और अनिश्चितताओं से भरा है। ऐसे में यहाँ खुदाई के बेहद घातक परिणाम हो सकते हैं।
तेल के लिये आदिकालीन और नाजुक पर्यावरण में टिकाऊ तरीके से खुदाई क्या सम्भव है ? दुर्भाग्य से यह सरलता से संभव नहीं है। ग्लोबल वार्मिंग में तेल की भूमिका जैसा बड़ा मुद्दा भी क्या मायने नहीं रखता। हकीकत यह है कि ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन के अलावा इस तरह के निष्कर्षण अभियान स्थानीय पर्यावरण के लिये बेहद खतरनाक और जोखिम भरे हैं। आर्कटिक में भी तेल के बहने के खतरनाक परिणाम हो सकते हैं। तेल उद्योग मुनाफे के लिये इस धरती को नर्क बनाने में जुटी हुयी हैं। भले ही इसकी हमें चाहे जो कीमत अदा करना पड़े।।


