ओस्लो, नार्वे में प्रेमचंद जयन्ती मनाई गयी
ओस्लो, नार्वे में प्रेमचंद जयन्ती मनाई गयी
Novelist Munshi Premchand Jayanti celebrated with pomp in Oslo (Norway)
ओस्लो, 1 अगस्त 204 : कल ओस्लो (नार्वे) में उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद जयन्ती धूमधाम से मनाई गयी। प्रेमचंद जयन्ती लगातार छ: वर्षों से ओस्लो में मनाई जा रही है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक (Suresh Chandra Shukla 'Sharad Alok')' ने उनकी कहानी 'कफ़न' (Premchand's story 'Kafan') और अपनी कहानी 'लाश के वास्ते' पढ़कर सुनायी।
श्री शुक्ल ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद एक देशभक्त और समाज सुधारक लेखक थे, जिन्होंने गांधी जी के आह्वाहन पर अपनी सरकारी नौकरी छोड़ दी थे और विधवा विवाह किया था, जिसके लिए उन्हें बहुत कष्ट उठाने पड़े थे।
प्रेमचंद अनेक नामों से लिखते थे, इसी कारण अंग्रेज उन्हें जेल भेजने में कामयाब न हो सके पर उनकी पुस्तकें कई बार जब्त हुईं, उन पर प्रतिबन्ध लगाया गया और अंग्रेज सरकार ने उन्हें जलाया। भारत में अंग्रेज शासन ने किसी भी लेखक की प्रशंसा नहीं की वरन उसे हतोत्साहित किया। कुछ-कुछ यह सामयिक और राजनैतिक प्रवासी साहित्य के बारे में देखा जा सकता है।
कार्यक्रम में निर्मल ब्रम्हचारी, फैसल नवाज चौधरी, अनुराग विद्यार्थी, माया भारती, हिन्दी स्कूल की संगीता शुक्ल सिमोनसेन, अलका और बासदेव भरत, रूबी शेरी मारिस, इंगेर मारिये लिल्लेऐंगेन, मीना मुरली ने अपनी रचनाएं पढ़ीं।
Translation of Premchand's book in Norwegian
बड़े आश्चर्य की बात है कि प्रेमचंद की किसी भी पुस्तक का अनुवाद नार्वेजीय भाषा में नहीं हुआ है।
प्रेमचंद जयन्ती भारतीय-नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम द्वारा लेखक गोष्ठी का आयोजन वाइतवेट सेंटर, ओस्लो में किया गया।


