राजीव मित्तल

आज सुबह-सुबह नर्मदा को देखा तो दिल निराशा से भर उठा.. नर्मदा को बचाने का सरकारी अभियान जोर-शोर से चल रहा है। अभियान समाप्त होते होते पैसा हजम नर्मदा ख़तम वाला हाल होता दिख रहा है, क्योंकि जिस अभियान को सफल बनाने के लिए गोविंदा जैसों को आठ-दस लाख हाथ में पकड़ा कर बुलाया जाए और जो अपनी टीना नाम की बिटिया को नर्मदा कह कर बुलाये और मुंबई की एक चाल में बचपन गुजारने वाले गोविंदा को नर्मदा के किनारे बिताये दिन याद आएं, तो आप खुद ही समझ सकते हैं कि नर्मदा को बचाने के प्रति सरकार कितनी गंभीर है!

राज्य सरकार ने नर्मदा बचाओ अभियान में खुद को गंभीर दिखाने को नर्मदा को मानव जाति में शामिल कर लिया है ताकि उसे ICU में भर्ती कर करोड़ों अरबों का वारा न्यारा किया जा सके.. नर्मदा तट पर कई कोकाकोलाओं और पेप्सिकोलाओं के नंगे नाच कराये जा सकें।

इस सरकारी अभियान को कई सारी नमामि टाइप ऋचाओं से सुशोभित कर जनता के साथ जोड़ा जा रहा है, ताकि नर्मदा के किनारों को और बदबू मारता बनाया जा सके। इस नदी के घाटों पर किये गए भोज आयोजनों का कचरा फूल खिले हैं गुलशन गुलशन की माफ़िक जहां तहां दिखाई पड़ने लगा है। संघ से जुड़े नेताओं, सांसदों और मंत्रियों को रेत खनन की माफियागिरी सिखाने को कई सारे क्रैश कोर्स नर्मदा के तटों पर चल रहे हैं। उन शंकराचार्यों की सेवायें ली जा रही हैं जिनके पास नर्मदा से जुड़े कई ठेके हैं।

नर्मदा के पानी से पूरे गुजरात में खुशियाली उड़ेली जा रही है...सूख चुकी साबरमती नदी नर्मदा के पानी से लबालब है, जबकि मध्यप्रदेश के नर्मदा से लगे गाँव पानी के लिए तरस रहे हैं...मध्यप्रदेश में नर्मदा से जुड़ी सारी जनजातियां खात्मे की ओर हैं..

अगर छत्तीसगढ़ में आदिवासियों को नक्सलवाद के खाते में शामिल कर मारा जा रहा है तो मध्यप्रदेश में नर्मदा और नर्मदा की गोद में हज़ारों साल से खेलती आ रही मानव सभ्यता ..दोनों को ज़हन्नुम पहुँचाने की तैयारी चल रही है...

इस सारे खेल में मीडिया के मजे हैं.. अख़बारों को हर दूसरे दिन नर्मदा बचाओ वाले फुल पेज के विज्ञापन दे कर लाखों रुपयों की कमाई करायी जा रही है ताकि नर्मदा बचाओ अभियान व्यापम घोटाले की तरह मुहं न फाड़ बैठे...

कुल मिला कर नर्मदा की उछल कूद उसके हाथ पांव तोड़ कर बंद की जा चुकी है..उसका रंग दिन पर दिन काला होता जा रहा है..शरीर से बदबू आने लगी है..आप सबसे गुजारिश है कि जैसे तैसे नर्मदा के पानी को अपनी क्षमतानुसार सहेज कर रख लें ताकि अपनी औलादों को बता सकें कि हाँ इस देश की सबसे पुरानी नदी का नाम नर्मदा हुआ करता था और ये काला पानी उसी का जल है...