कठुआ मर्डर व रेप केस को सामने लाने वाले अधिवक्ता तालिब आपराधिक मामले में गिरफ्तार
कठुआ मर्डर व रेप केस को सामने लाने वाले अधिवक्ता तालिब आपराधिक मामले में गिरफ्तार
कठुआ मर्डर व रेप केस को सामने लाने वाले अधिवक्ता तालिब आपराधिक मामले में गिरफ्तार
नई दिल्ली, 06 अगस्त। प्रगतिशील महिला संगठन दिल्ली ने कठुआ की 8 वर्षीय बक्करवाल समुदाय की बच्ची के बलात्कार व् हत्या को सामने लाने वाले कार्यकर्ता अधिवक्ता तालिब को आपराधिक मामले में गिरफ्तार करने की कड़ी निंदा की है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कठुआ रेप और मर्डर मामले में इंसाफ की लड़ाई का चेहरा रहे तालिब हुसैन को 30 साल की एक महिला से रेप के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। एक वकील और सोशल एक्टिविस्ट तालिब को जम्मू के सांबा पुलिस स्टेशन में केस दर्ज करने के बाद गिरफ्तार किया गया। तालिब के खिलाफ रेप और आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है।
प्रमस की महासचिव पूनम कौशिक एडवोकेट ने कहा कि एक जांच टीम ने मार्च 2018 में कठुआ जाकर मामले के सभी पक्षों से बातचीत कर जाँच रिपोर्ट ज़ारी की थी। अपनी रिपोर्ट में प्रमस ने बताया था कि किस तरह से बक्करवाल समुदाय को डराकार जम्मू क्षेत्र से भगाने के लिए ही यह हरकत की गई थी। जाँच रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि यदि अखिल जम्मू ट्राइब कोआर्डिनेशन कार्तकर्ताओ द्वारा यह सवाल ना उठाया जाता तो मामले को रफा-दफा करने में स्थानीय प्रशासन ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी।
पूनम कौशिक एडवोकेट ने कहा कि प्रगतिशील महिला संगठन यह भी सामने लाना चाहता है कि कठुआ मामले की अभियोजन कारवाही को जम्मू से किसी अन्य जिला व् सत्र अदालत में स्थानान्तरित करने की याचिका माननीय सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष दायर करने में तालिब की भी महत्वपूर्ण भूमिका थी। बाद में माननीय सर्वोच्च अदालत ने मामले पठानकोट सत्र न्यायल में स्थानांतरित करने का आदेश दिया तथा मुक़दमे की कार्रवाई वहां चल रही है। आरोपियों को भी जम्मू कारागार से गुरदासुर कारगार में स्थानांतरित कर दिया गया है।
प्रगतिशील महिला संगठन पूरे मामले के अहम गवाह को जिन हालात में गिरफ़्तार किया गया है उनका विश्लेषण करते हुए कुछ तथ्य सामने लाना चाहता है.
जून 2018 अंत में तालीब की पत्नी जो उनसे अलग रह रही थी, की शिकायत पर दहेज़ हिंसा का मामला दर्ज हुआ। 30 जुलाई को जम्मू उच्च न्यायलय ने जम्मू पुलिस को इस मामले में तालिब को गिरफ्तार ना करने तथा कोई और बलपूर्वक कार्यवाही पर भी स्थगन आदेश पारित किया और 31 जुलाई 12.30 बजे तालिब पर 376 भारतीय दंड सहिता के तहत मामला दर्ज कर हिरासत में ले लिया गया, पर कार्रवाई प्रथम दृष्टया दुर्भावनापूर्ण प्रतीत हो रही है ध्यान देने योग्य बात है कि कठुआ मामले को सामने लाने में तालिब की महत्वपूर्ण भूमिका रही है तथा वे अभिजन पक्ष के गवाह भी हैं।
प्रगतिशील महिला संगठन ने आरोप लगाया कठुआ मामले के अहम गवाह को आपराधिक मामले में फंसा कर कथुआ मामले में गवाही ना देने के लिए मजबूर करने का प्रयास है। प्रमस ने हाल ही में जारी एक समाचार पत्र को दिए गए साक्षात्कार को भी देखा है जिसमें तत्कालीन वन मंत्री श्री लाल सिंह ने तालिब के खिलाफ अनर्गल बोलते हुए यह भी दवा किया की तालिब पर शिकायत दर्ज़ करने वाली शिकायतकर्ता उनके संपर्क में है।
इस प्रकरण द्वारा जहां सत्ता के रसूखदारों द्वारा महिला आंदोलन के संघर्षो के बाद लिखवाए गए कानूनी प्रावधानों के दुरुपयोग का पर्दाफाश होता है वहीं यह भी सामने आता है कि यदि कोई बुद्धिजीवी 'हिंदुत्व' की ताकतों के जन विरोधी, कॉर्पोरेट परस्त चरित्र के खिलाफ बोलेगा तो उसे आपराधिक मुकदमे में फंसा कर क़ैद कर लिया जायेगा। देशके विभिन्न हिस्सों में यही चल रहा है। Tutikoran के अधिवक्ता वंचिनाथन, नागपुर के सुरेंदर गाडलिंग, सहरानपुर के चंद्रशेखर रावण के मामले यही बताते है.
प्रमस ने मांग की है कि तालिब को रिहा किया जाये तथा इस FIR पर कार्यवाही को मुल्तवी किया जाये।
कठुआ मामले के गवाहों को भयमुक्त वातावरण में गवाही की सुनिश्चितता की मांग को लेकर प्रमस दिल्ली के विभिन इलाको में बैठकें करेगा।


