कन्हर बांध निर्माण- पेसा और वनाधिकारों को लागू करें भाजपा सरकार
कन्हर बांध निर्माण- पेसा और वनाधिकारों को लागू करें भाजपा सरकार
रायपुर। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने मांग की है कि कन्हर बांध निर्माण के संबंध में वर्ष 2010 में उत्तरप्रदेश सरकार के साथ छत्तीसगढ़ सरकार के साथ बनी सहमति को सार्वजनिक किया जाएं. पार्टी ने आशा व्यक्त की है कि छत्तीसगढ़ की आम जनता की जायज चिंताओं का निराकरण किये बिना, सरकार इस बांध निर्माण के काम को रोकने में सफल होगी. पार्टी ने सरकार से संबंधित प्रभावितों के पुनर्वास की स्पष्ट रूपरेखा भी पेश करने की मांग की है.
माकपा ने रेखांकित किया है कि जहां सरकार अब भी चार गावों की मात्र 268 हेक्टेयर भूमि के डूबान में आने की बात कह रही है, वहां वास्तव में 27 गावों के 50 हजार लोग प्रभावित होने जा रहे हैं, जिनमें से लगभग दो-तिहाई आदिवासी एवं दलित हैं. इन लोगों की न केवल आजीविका छिनने का खतरा पैदा हो गया है, बल्कि इस क्षेत्र के पर्यावरण, जैव विविधता तथा सामाजिक-सांस्कृतिक ताने-बाने को ही स्थायी नुकसान पहुंचने वाला है. इस बारे में भी आशंका है कि रिंग बांध का निर्माण कितनी जमीन को डूबत से बचाएगा.
माकपा के राज्य सचिव संजय पराते ने कहा है कि इस बांध के निर्माण को रुकवाकर छत्तीसगढ़ सरकार सबसे पहले इस क्षेत्र में रहने वाले आदिवासियों के वनाधिकारों को स्थापित करें तथा पेसा कानूनों को मान्यता देते हुए डूबान में आने वाले गांवों की सहमति ग्रामसभाओं के माध्यम से प्राप्त करें.


