कर्ज की मार से आत्महत्या करने वाले किसानों के कर्ज माफ करे सरकार
बेमौसम बरसात को प्राकृतिक आपदा घोषित करते हुए मुआवजा दे यूपी सरकार
जिन इलाकों के किसान आत्महत्या कर रहे हैं उन क्षेत्रों के सांसद हिंदुओं से दस-दस बच्चे पैदा करने की बात कर रहे हैं
लखनऊ। रिहाई मंच ने मांग की है कि बेमौसम बरसात को प्राकृतिक आपदा घोषित करते हुए यूपी सरकार मुआवजा दे व कर्ज की मार से आत्महत्या करने वाले किसानों के कर्ज माफ करे सरकार
रिहाई मंच नेता राघवेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि उत्तर भारत में हुई बेमौसम बरसात के बाद उत्तर प्रदेश के हमीरपुर के कुनैठा गांव के किसान इंद्रपाल ने बढ़ते कर्ज और मौसम की मार से परेशान होकर खेत में फांसी लगा ली, वहीं इसी जिले के भरूआ सुमेरपुर परहेटा के 68 वर्षीय किसान राजाभैया तिवारी और उन्नाव के ओरस थाना क्षेत्र के गांव पूराचांद निवासी विरेंद्र सिंह को दिल का दौर पड़ने से खेत में ही मौत हो गई। ये मौतें इस बात की तस्दीक करती हैं कि इस बरसात ने किसान की आर्थिक स्थिति को पूरी तरह तोड़ दिया है। इस बरसात के अभी आगामी दो-तीन दिनों तक जारी रहने की सम्भावना के चलते किसानों का मनोबल टूट चुका है लिहाजा सरकार को चाहिए कि वह इस स्थिति को गम्भीरता से लेते हुए पूरे सूबे को आपदाग्रस्त घोषित करते हुए तबाह हुई फसलों का मुआवजा देने की गारंटी करे।
रिहाई मंच के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य अनिल यादव ने कहा कि हमीरपुर के मौदहा तहसील की एसडीएम प्रवीणा अग्रवाल ने जिस तरह किसान की आत्महत्या से अनभिज्ञता जाहिर की उससे साबित होता है कि प्रशासन जानबूझ कर कर्ज के बोझ से दबे किसानों की आत्महत्या को नजरअंदाज कर रहा है। उन्होंने एसडीएम को तत्काल बर्खास्त करने और सभी जिला प्रशासनिक अधिकारियों को इस संकट की घड़ी में घटनाओं को दबाने के बजाए कर्ज से दबे किसानों के साथ खड़े होने की प्रदेश सरकार से हिदायत देने की मांग की। उन्होंने कहा कि यह बड़ा ही शर्मनाक है कि जिन इलाकों के किसान आत्महत्या कर रहे हैं उन क्षेत्रों के सांसद हिंदुओं से दस-दस बच्चे पैदा करने की बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे सांसदों को मोदी सरकार से आपदाग्रस्त किसानों के लिए विशेष पैकेज लाना चाहिए ताकि किसान बच सके।