क़र्ज़ माफ़ी या जले पर नमक ? - माकपा
क़र्ज़ माफ़ी या जले पर नमक ? - माकपा

रायपुर, 19 दिसंबर 2015। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी {Communist Party of India (Marxist)} ने सरकार की कथित क़र्ज़ माफ़ी की योजना (Debt waiver scheme) को 'किसानों के जले पर नमक छिड़कना' बताया है. पार्टी ने कहा है कि जिस किसान के पास सूखे और क़र्ज़ के कारण अपने अंतिम संस्कार में कफ़न-दफ़न के लिए फूटी कौड़ी नहीं है, उनसे 25% क़र्ज़ माफ़ी के लिए 75% क़र्ज़ अदा करने के लिए कहा जा रहा है.
माकपा ने आरोप लगाया है कि जो सरकार हजारों करोड़ के धान घोटाले में अपना खज़ाना खाली करने से नहीं हिचकती, वह किसानों का क़र्ज़ माफ़ करने के लिए तैयार नहीं है.
आज यहां जारी एक बयान में माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने कहा कि सरकार की कथित घोषणा से किसानों को कोई वास्तविक राहत नहीं मिलने वाली है और यह घोषणा छलावा मात्र है.
उन्होंने कहा कि विधानसभा में सरकारी पक्ष की चर्चा से यह बात स्पष्ट हो गई है कि प्रदेश में व्याप्त कृषि संकट को हाल करने के लिए सरकार में कोई राजनैतिक इच्छाशक्ति नहीं है और किसानों की समस्याओं के प्रति वह संवेदनहीन बनी हुई है. यही कारण है कि आत्महत्या करने वाले किसानों की विधानसभा में खिल्ली उड़ाने में भी वह नहीं हिचकती.
माकपा नेता ने कहा कि इस सूखे में भी सरकार उन्हें 2400 रूपये प्रति क्विंटल की दर से लाभकारी समर्थन मूल्य देने का अपना चुनावी वादा पूरा नहीं कर रही है और न ही मनरेगा का काम खोलकर उन्हें रोज़गार देने में उनकी कोई दिलचस्पी है. प्रदेश का किसान संस्थागत क़र्ज़ से ज्यादा महाजनी क़र्ज़ में डूबा है और इन सूदखोरों को सरकार छूने के लिए भी तैयार नहीं है, क्योंकि इनके भाजपा-कांग्रेस दोनों से 'पुश्तैनी' रिश्ते हैं. ऐसी नीतियों के कारण प्रदेश में किसान आत्महत्याएं और बढ़ेंगी.


