क़िस्सा बादशाह के इत्र और जुमलेबाजी का
क़िस्सा बादशाह के इत्र और जुमलेबाजी का
क़िस्सा बादशाह के इत्र और जुमलेबाजी का
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एक बादशाह के दरबार में इत्रफरोश इत्र बेचने आया। उसने कई क़िस्म के इत्र बादशाह को दिखलाये। इत्र देखते बादशाह से एक शीशी फ़र्श पर गिर गई और इत्र छलक गया। बादशाह हुज़ूर ने इत्र की एक बूँद को उंगली से लगाकर मूँछों पर लगा लिया। सारे दरबारी हक्के बक्के। यह क्या गज़ब कर बैठे बादशाह। बात चली तो फिर उसे पंख लग गये। कानाफूसी होने लगी। बात निकली है तो दूर तलक जायेगी। रियाया को पता चला। सब तरफ़ मूँछों और इत्र का चर्चा। बादशाह ने अपने मुंहलगे मुसाहिब से पूछा कि क्या करना चाहिये। इतिहास में पहले भी कभी ऐसा हुआ है। उस मुंहलगे ने बादशाह को एक जुमलेबाज की कहानी सुनाई।
एक जुमलेबाज था। सारा दिन जुमले छोड़ते रहता। उसके जुमले बाजार में खोट सिक्के की तरह तेजी से चलते। जहाँ जाता जुमले छोड़ता। एक जुमला छोड़ता सहायक हाथ में दूसरा थमा देते। लोगों से कहते यह तो देववाणी है। अक्सर दो जुमले एक दूसरे को काटते पर फिर भी मजे से जुमलेबाज़ी चलती रहती। लोग चुप रहते। जुमलेबाजी के भोंपू इतनी तालियाँ बजाते कि उनके शोर में आवाज गुम हो जाती। जुमलेबाजी का सिलसिला सतत चल रहा था।
अचानक एक दिन एक जुमला पुट्ठे पर ज़िद्दी दाग की तरह चिपक गया। जितना छुड़ाओ छूटे नहीं। भोंपूओ ने खूब मशक़्क़त की। उस जुमले को मिटाने के लिये कई जुमले और गढ़े पर सब के सब चिपकते रहे। दरबारियों का शोर कम होते ही लोगों को भी समझ आया कि यह देववाणी नहीं जुमलेवाणी है।
जुमले चिपके तो फिर कभी न छूटे।
बादशाह सलामत ने कहानी सुनकर कहा कि हमें कुछ अलग हट कर कोशिश करना चाहिये। मुंहलगे कान में कुछ फुसफुसाया। बादशाह सलामत ने हाँ कह दी।
तुरंत राज मिस्त्री आ गये और दरबारे आम में एक हौज़ का निर्माण हो गया। बादशाह ने कन्नौज से इत्रफरोश बुला कर हौज़ को पूरा भरवा दिया। हुक्म जारी कर सारे राज्य में मुनादी हो गई कि हर आम और खास को इत्तला की जाती है कि आज से तीन दिनों तक सारी रियाया दीवाने आम में आकर मुफ्त में इत्र ले जा सकती है। हुजूम के हुजूम मुफ्त में इत्र लूटने आये।
बादशाह खुश। आवाम की सोच जानने के लिये एक बूढ़े फ़क़ीर से पूछा कि तुम बताओ अब रियाया क्या कहती है।
बूढ़े ने कहा जान की सलामती मिले तो कहूँ। बादशाह ने कहा कि बेख़ौफ़ होकर कहे।
बूढ़ा बोला "जनाब लोग कहते हैं कि बूँद की बिगड़ी हौज से नहीं भरा करती"
// जसबीर चावला //


