कांग्रेस से निपटेगा विपक्ष अन्ना को राजनैतिक औजार बनाकर
कांग्रेस से निपटेगा विपक्ष अन्ना को राजनैतिक औजार बनाकर
अंबरीश कुमार
लखनऊ , अगस्त । देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में राजनैतिक दल अन्ना हजारे को चुनावी राजनीति में कांग्रेस को निपटाने का निपटाने का औजार बना सकते है । अन्ना हजारे की गिरफ्तारी के बाद उत्तर प्रदेश में कमोवेश वैसी ही प्रतिक्रिया हुई जैसी पिछली बार उनके अनशन के बाद हुई थी । करीब दर्जन भर जिलों में धरना प्रदर्शन हुए और प्रधानमंत्री का पुतला फूंका गया । पर आज हुए धरना प्रदर्शन में व्यापक रूप से मुख्यधारा के किसी भी राजनैतिक दल की हिस्सेदारी नही रही ।भाकपा माले और जन संघर्ष मोर्चा ने जरुर विरोध कार्यक्रम लिया । समाजवादी पार्टी ने अन्ना हजारे की गिरफ्तारी का विरोध करते हुए साफ़ किया की पार्टी कांग्रेस गठबंधन सरकार के भ्रष्टाचार के साथ बसपा सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ भी उत्तर प्रदेश में अकेले लड़ रही है । यह भी संयोग है कि आज ही मायावती सरकार के पशुधन एवं दुग्ध विकास राज्यमंत्री अवधपाल सिंह के खिलाफ लोकायुक्त एनके मेहरोत्रा ने कड़ी टिप्पणी करते हुए सरकार से उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर करने की सिफारिश की है । मायावती सरकार के कई मंत्रियों के भ्रष्टाचार को लेकर लोकायुक्त पहले भी सिफारिश कर चुके है । इस मामले को भी सामाजवादी पार्टी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग का मुद्दा बनाते हुए मंत्री क बर्खास्त करने की मांग की । भाजपा ने आज तो कुछ नही किया पर कल प्रदेश स्तर पर भ्रष्टाचार के खिलाफ धरना प्रदर्शन करने जा रही है । जबकि इंडिया अगेंस्ट करप्शन ने आज शाम लखनऊ विश्विद्यालय के देवरस द्वार से जीपीओ तक कैंडल मार्च निकाला । कानपूर ,इलाहाबाद ,बलिया ,वाराणसी ,गोरखपुर जैसे दर्जन भर से ज्यादा शहरों में हजरे की गिरफ्तारी का विरोध किया गया ।
उत्तर प्रदेश में विधान सभा चुनाव का माहौल बन रहा है और ऐसे में राहुल गांधी के चलते कांग्रेस ने थोड़ी बहुत जो राजनैतिक जमीन हासिल की थी उसे छीनने के लिए हर दल प्रयास करेगा । कांग्रेस दलितों और मुसलमानों के साथ अगड़ों का भी वोट जुटा रही थी ऐसे में चाहे समाजवादी पार्टी हो , बसपा हो या फिर भाजपा सभी के निशाने पर कांग्रेस होगी । जिसके चलते ये दल अन्ना हजारे के आंदोलन की गंगा में अपना भी हाथ धोना चाहेंगे । अन्ना हजारे भ्रष्टाचार की लड़ाई में एक नया और अराजनैतिक चेहरा बनकर उभरे है जिसके चलते एक के बाद एक घोटालों के चलते व्यवस्था विरोधी नौजवाने को उनसे काफी उम्मीद नजर आ रही है । मतदाताओं की उम्र अठारह साल होने के बाद ऐसे नौजवानों की संख्या भी काफी ज्यादा है । ऐसे में सभी दल अन्ना हजारे का साथ देकर कांग्रेस के खिलाफ माहौल बनाने का प्रयास शुरू कर चुके है । इन सभी राजनैतिक दलों के लिए अन्ना हजारे अब राजनैतिक औजार भी है जो वोट की राजनीति में उन्हें फायदा भी पहुंचाएंगे । गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में अन्ना हजारे के संगठन का कोई ठोस ढांचा नहीं है और इसे कुछ गाँधीवादी ,वामपंथी और मजदूर संगठन के लोग असंगठित रूप से चला रहे है । पिछले कई सालों से उत्तर प्रदेश के विश्विद्यालयों के छात्र संघ चुनाव नही हुए है जिसके चलते कालेज और विश्विद्यालय परिसरों में यह मुद्दा जोर नहीं पकड़ पाया है । पर वकीलों ,व्यापारिक संगठनों और एनी जनसंगठनों ने इस मुद्दे पर कई जगह पहल की है । उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार और लोकतंत्र का हाल सबसे ज्यादा बुरा है । बना चढ़ाव दिए कोई काम नही होता ओर आंदोलन पर पुलिस बर्बर ढंग से पीटती है । ऐसे में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर लोगों का आक्रोश फूटना स्वाभाविक है । पर अभी तक इसका कोई राजनैतिक असर पड़ता नजर नहीं आया था । मायावती पर जन्मदिन के नाम पर पैसा वसूलने का आरोप पुराना है और उनकी जीत पर भ्रष्टाचार के आरोप का कोई असर भी नहीं पड़ा । तमिलनाडु का उदहारण भी सामने है । बावजूद इसके राजनैतिक दल कोई मौका छोड़ना नहीं चाहेंगे । अन्ना हजारे की गिरफ्तारी से यह मौका उन्हें मिल गया है ।
आज उत्तर प्रदेश की सभी विपक्षी पार्टियों ने जनलोकपाल बिल के मुद्दे पर केंद्र की यूपीए सरकार पर निशाना साधा। विपक्षी पार्टियों ने कहा कि केंद्र सरकार का यह कदम लोकतंत्र पर हमला है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही ने केंद्र की यूपीए सरकार के जरिए अन्ना हजारे की गिरफ्तारी की कड़ी निंदा की है। शाही ने कहा कि अन्ना हजारे की गिरफ्तारी केंद्र सरकार के तानाशाही रवैये को दर्शाती है। समाजवादी पार्टी प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा - हजारे की गिरफ्तारी कांग्रेस की तानाशाही का प्रतीक है । भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) राज्य सचिव सुधाकर यादव ने अन्ना हजारे की दिल्ली में अनशन-पूर्व गिरफ्तारी को लोकतंत्र पर हमला बताते हुए यूपीए सरकार की कार्रवाई की कड़ी निंदा की है। यादव ने कहा कि यूपीए सरकार टू-जी, कामनवेल्थ जैसे महाघोटालों में अपनी गर्दन फंसती देख प्रभावशाली जनलोकपाल कानून बनाने से बचना चाहती है। जन संघर्ष मोर्चा मोर्चा के राष्ट्रीय प्रवक्ता दिनकर कपूर ने कहा कि राष्ट्रीय व सरकारी संपत्ति की लूट व काले धन की जमाखोरी ने देश को अदंर से कमजोर कर दिया है। कपूर ने कहा कि इस पर उच्चतम न्यायालय व भारत सरकार की कैग जैसी संस्थाओं ने भी गहरी चितां व्यक्त की है। ऐसे समय में एक सशक्त लोकपाल बिल, जिसके दायरे में प्रधानमंत्री भी हो, देश को भ्रष्टाचार से बचाने के लिए आवश्यक था। उन्होंने कहा कि इसी मांग को लेकर गांधीवादी कार्यकर्ता अन्ना हजारे के आज से दिल्ली में घोषित अनशन को आकंठ भ्रष्टाचार में डूबी कांग्रेस की केंद्र सरकार का प्रतिबंधित करना व हजारे को उनके घर से ही गिरफ्तार करना लोकतंत्र पर हमला है। जनसत्ता


