किसान शहीद क्यों नहीं- कन्हैया कुमार
किसान शहीद क्यों नहीं- कन्हैया कुमार
किसान शहीद क्यों नहीं- कन्हैया कुमार
फैज़ाबाद, 19 सितंबर 2016 : जेएनयू के छात्र नेता कन्हैया कुमार ने देश की सीमा पर तैनात आतंकी हमले में शहीद हुए जवानों की शहादत पर सवाल उठाते हुए कहा है कि आखिर लाशों पर राजनीति कौन कर रहा है? अगर सीमा पर लड़ने वाले सैनिक शहीद कहलाए जाते हैं तो देश का पेट भरने वाले किसान की मौत को शहीद का दर्जा क्यों नहीं दिया जाता?
फैजाबाद में जनसभा को संबोधित करते हुए कन्हैया कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जमकर हमला बोला और केंद्र सरकार पर देश को लूटने का आरोप लगाया।
समाज की गंदगी दलित साफ करता है और स्वच्छ भारत के नाम पर अखबार में मोदी का थोबड़ा छपता है
कन्हैया कुमार इतने पर ही नहीं रुके। उन्होंने कहा समाज की गंदगी देश का दलित साफ करता है और स्वच्छ भारत के नाम पर अखबार में मोदी का थोबड़ा छपता है।
जनसभा को संबोधित करने के लिए फैजाबाद पहुचे छात्र नेता कन्हैया कुमार ने कहा कि समाज की गंदगी और शहर की गंदगी को दलित समाज और पिछड़े समाज के लोग साफ कर रहे हैं और देश को स्वच्छ बनाने के नाम पर स्वच्छ भारत मिशन के नाम पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का थोबड़ा अखबार में छपता है इतना बड़ा पक्षपात हम नहीं सहेंगे और अपने हक की लड़ाई के लिए लड़ते रहेंगे चाहे हम पर कितने भी ज़ुल्म हों ।
उन्होंने कहा कि उन्हें देशद्रोही कहने वाले बताएं कि जेएनयू के अलावा हैदराबाद, इलाहाबाद और बंगाल की यूनिवर्सिटी में आखिर विरोध की आवाज क्यों उठी?
साजिश के तहत मुझे फँसाया गया
दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में देश विरोधी गतिविधियों और नारेबाजी के साथ आतंकी अफजल गुरु का समर्थन करने के आरोप लगने के बाद चर्चा में आए वामपंथी विचारधारा के छात्र नेता और जेएनयू के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने कहा कि जेएनयू में जो कुछ हुआ, अगर उसे छोड़ दिया जाए तो मैं सवाल करना चाहता हूं कि आखिरकार हैदराबाद में रोहित वेमुला ने फांसी क्यों लगाई, इलाहाबाद में महिला छात्र नेता के साथ भेदभाव क्यों हुआ। इसके अलावा देश के अन्य राज्यों में इस सिस्टम के खिलाफ छात्रों ने आवाज क्यों उठाई। उन्होंने कहा कि अगर अपने हक की लड़ाई लड़ना देशद्रोह है तो हां मैं देशद्रोही हूं।
चाहिए मनुवाद, जातिवाद, धर्मवाद और गरीबी से आजादी
कन्हैया कुमार ने कहा कि हमारी आजादी का मतलब सामंतवाद से,मनुवाद से जातिवाद से धर्मवाद से और गरीबी से आजादी है।
उन्होंने कहा कि हम जब आजादी मांगने का नारा लगाते हैं तो हम पर देश विरोधी होने और देश की एकता अखंडता और तोड़ने का आरोप लगता है, लेकिन हमारी आजादी का मतलब गरीबी भुखमरी जातिवाद धन और मनुवादी सभ्यता से आजादी है। जब तक देश में रहने वाले हर नागरिक को समान अधिकार नहीं मिलेगा, तब तक हमारा संघर्ष जारी रहेगा। भले इसके लिए हमें लाठी और गोली खानी पड़े हम खाएंगे।
जनसभा के दौरान कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता अतुल कुमार सिंह, सूर्य कांत पांडे सहित बड़ी संख्या में वामपंथी विचारधारा से लोग जुटे रहे।


