कैसे नहीं दोगे जमीन, देखते नहीं कि सड़कों पर उतरने लगे हैं युद्धक विमान
कैसे नहीं दोगे जमीन, देखते नहीं कि सड़कों पर उतरने लगे हैं युद्धक विमान
कैसे नहीं दोगे जमीन, देखते नहीं कि सड़कों पर उतरने लगे हैं युद्धक विमान
हम भी ईरान या अफगानिस्तान बनने लगे हैं पड़ोसियों के खिलाफ
कत्लेआम के राजकाज में
शत प्रतिशत हिंदुत्व के
इस दुःसमय में अनंत
बेदखली अभियान के खिलाफ
बहरहाल जनता सड़क पर
उतरे या नहीं, सत्ता ने
सड़कों पर युद्धक विमान उतारकर
राष्ट्रद्रोही राजकाज के खिलाफ
जनांदोलन कुचलने का
चाकचौबंद इंतजाम कर लिया है
सही मायने में अमेरिकी इजराइली
आतंक के खिलाफ युद्ध
का शुभांरभ हो गया
यमुना एक्सप्रेसवे पर
आपात स्थिति में उतरने के लिए राष्ट्रीय राजमार्गों का उपयोग करने के उद्देश्य से किए गए एक परीक्षण के तहत भारतीय वायुसेना का एकमिराज 2000 लड़ाकू विमान आज मथुरा के समीप यमुना एक्सप्रेसवे पर सफलतापूर्वक उतर गया।
गौरतलब है कि वायुसेना की तरफ से इस बात की जांच की जा रही थी कि क्या इमरजेंसी हालत में दिल्ली-लखनऊ के बीच एक्सप्रेस-वे पर फाइटर प्लेन को उतारा जा सकता है या नहीं।
ज्ञात हो कि इस स्थान से कुछ ही दूर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 मई को जनसभा भी करने वाले हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा का हाईटेक रिहर्सल किया गया।
अब खेत होंगे, होंगे खलिहान भी
बचे रहेंगे किसान भी कुछ जरूर
सभी फिलहाल मारे नहीं जायेंगे
बचे रहेंगे कुछ लोग फिर भी
कि बाजार के लोग बाग भी
चाहिए खुदरा खऱीददारी के लिए
खरीददारी के लिए पैसे चाहिए
सीमाओं के आर पार मनुष्यता
का भूगोल देख लो भइये कि कैसे
फसल उगाने का बावजूद
किसानों की हंसी लापता है
और बहुत मजबूर है इस
दुनिया के फ्री मार्केट के
अलाव पर पकती यह
सीमेंट की सभ्यता कि
मेहनतकश जनता की
खुशी छीन ली है लंपट
पूंजी की नस्ली सत्ता ने
कैसे नहीं दोगे जमीन, देखते नहीं कि सड़कों पर उतरने लगे हैं युद्धक विमान
कि झीलों और समुंदरों की गहराइयों से मौसम की जमीं पर होने लगी है अग्निवर्षा
न आपातकाल है और न कहीं विनाशकारी पौधे हैं, लेकिन भूमिगत ज्वालामुखी के
मुहाने पर खड़ी है बहुमंजिली सभ्यता कि तानाशाह के चरणचचिन्हों के आगे पीछे
कयामत का नजारा अब इस कायनात का जलवा है दोस्तों,
जनता के खिलाफ अब सही मायने में शुरू है आतंकविरोधी युद्ध और अब
हिमालय महाभूंकप के हवाले है तो समुंदरों में ठहरा हुआ है धमाका परमाणु
रेडियोएक्टिव विकिरण की छांव में उड़ रहे हैं ड्रोन कि जंगलों में खिलखिला रहे
तमाम फूल अब सलवा जुड़ुम है और सारा देश आफसा हुआ जाता है
हम भी ईरान या अफगानिस्तान बनने लगे हैं पड़ोसियों के खिलाफ
चूंकि युद्धघोषणाओं के मध्य हमारी सरजमीं पर निरंकुश सत्ता अब
अपने लिए अनुकूल जनता चुनने लगी है कि देख लीजिये सड़कों पर
होने लगा है मूसलाधार युद्धाभ्यास और इंद्रधनुष का हर रंग अब केसरिया है
पलाश विश्वास


