नजारा जार्ज आवरेवल का 1984!

नजारा वही एनिमल फार्म!

शुद्धता का सौंदर्यशास्त्र अस्पृश्यता और रंगभेद का व्याख्यान है। शुद्ध नहीं है या स्त्री नहीं है, तथ्य देखकर निदान में फीका की अभिव्यक्ति के गर्भपात का अच्छूक यह रामवाण बहिष्कार और अस्पृश्यता की मनुस्मृति है।

भाषाई अशुद्धता हम डंके की चोट पर जी रहे हैं हैं क्योंकिं चीज़ों की कोई भाषा होती नहीं है।

ब्राह्मण नहीं हैं लेकिन चाणक्य का अडिग अटल छाता हैं। अच्छूत अश्वेत विराट भी है खून की और शिक्षिका दीक्षित भी ब्रह्मराक्षस की यही है कि अपने निज़ी दुश्मन को भले मांफ कर दो, भूल जाओ उसका किया धरा, जिस्से तुम्हारा बेड़ा गर्क हुआ हो, लेकिन जनतां के दुश्मनों और देश दुनिया के दुश्मनों, इंसानियत और कानूनात के दुश्मनों को शिकस्त दिए बिना चैन से बैठना न नहीं है।

मर भी जाएंगे तो खाक में मिलकर भी तूफां बनकर लौट आएंगे क्योंकि हम यह दुनिया बेहतरी बनाए बिना चौती नहीं हुई तो क्या, बिन चौती कोई चौती तथ्य किए बिना चैन से हरगिज नहीं बैठेंगे और न कभी बूटे होंगे।

मुझे नफरत है उन सफेदपोश महंतों से जो जलवायु और मौसमी और पर्यावरण चिंतन-मंथन के वैश्विक मंछों में आत्मरति से हल्कान है और लिटरटरी कल्चर फेस्टिवल में सामाजिक समरसता पेले...