कोरवा आदिवासी की मौत के लिए भाजपा सरकार की नीतियां जिम्मेदार - माकपा
कोरवा आदिवासी की मौत के लिए भाजपा सरकार की नीतियां जिम्मेदार - माकपा
रायपुर। "भाजपा राज में गरीब आदिवासी भूख से जान दे रहे हैं, इससे ज्यादा शर्मनाक बात और क्या हो सकती है!!"
यह टिप्पणी जशपुर जिले के बगीचा विकासखंड में कोरवा जनजाति के लम्बूराम की भूख से हुई मौत पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के छत्तीसगढ़ राज्य सचिव संजय पराते ने की है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में हजारों करोड़ रुपयों के बड़े-बड़े घोटाले हो रहे हैं, धनकुबेरों को टैक्स में छूट दी जा रही है, प्राकृतिक संसाधनों को लूटने के लिए नियम-कायदों को तोड़ा-मरोड़ा जा रहा है, लेकिन गरीब आदिवासियों के राशन कार्ड इसलिए नहीं बन रहे हैं कि उनके पास पंचायत पर काबिज लोगों को घूस देने के लिए पैसे नहीं हैं या फिर उनके कार्ड सूदखोर महाजनों ने जब्त करके गिरवी रखा हुआ है.
श्री पराते ने कहा कि इस मौत ने रमन सरकार की सार्वजनिक वितरण प्रणाली और बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था के साथ ही गांवों में जारी सामंती शोषण की पूरी तरह पोल खोलकर रख दी है.
आज यहां जारी एक बयान में माकपा ने कहा है कि लम्बूराम की मौत प्रदेश में बढ़ रहे कृषि संकट का ही नतीजा है. भाजपा सरकार की नीतियों के कारण गरीब आदिवासी अपनी जमीन से विस्थापित हो रहे हैं, लाभकारी मूल्य के अभाव में कृषि घाटे का सौदा बन गई है, सरकार किसानों द्वारा उत्पादित फसल को खरीदने के लिए तैयार नहीं है, गांवों में अकाल के बाद भी कोई काम नहीं खुले हैं. इसका नतीजा किसानों की आत्महत्या व भुखमरी के रूप में ही सामने आ रहा है लेकिन सरकार और प्रशासन इस भयावह स्थिति को नकारने में ही लगी है.
माकपा ने पीड़ित परिवार को मुआवजे के साथ ही मांग की है कि भुखमरी की इस हृदयविदारक घटना के लिए संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी तय कर एफ़आईआर दर्ज की जाए. पार्टी ने कहा है कि अकाल की स्थिति से निपटने के लिए भाजपा सरकार सर्वदलीय बैठक बुलाकर राजनैतिक सहमति को गढ़ने का काम करें.


