क्या भारत को आधुनिक सोच वाली तानाशाही की आवश्यकता है?
जातिवाद और साम्प्रदायिकता सामंती ताकतें हैं, यदि भारत को आगे बढ़ाना है तो इन्हें नष्ट करना होगा, लेकिन संसदीय लोकतंत्र उन्हें और भी जकड़े हुए है। इसलिए इसे एक ऐसी व्यवस्था से बदलना होगा जिसके तहत देश तेजी से आगे बढ़े।
क्या करना है
न्यायमूर्ति मार्कंडेय काटजू
भारत को एक आधुनिक सोच की तानाशाही की आवश्यकता है जो तेजी से औद्योगिकीकरण और देश के आधुनिकीकरण के लिए दृढ़ संकल्पित हो, उदाहरणार्थ मुस्तफा कमाल अतातुर्क, जिन्होंने 1920 के दशक में तुर्की का तेजी से आधुनिकीकरण किया, या फिर सम्राट मीजी के सलाहकार, जिन्होंने 1868 की मीजी बहाली के बाद जापान का तेजी से आधुनिकीकरण किया।
ऐसा उन्होंने लोकतांत्रिक तरीके से नहीं किया। बहुसंख्यक वर्ग प्रतिक्रियावादी, पिछड़ी सामंती मानसिकता का है और वह आधुनिकीकरण नहीं चाहता है। यदि उनकी सहमति ली गई तो वे इसका डटकर विरोध करेंगे और कभी भी आधुनिकीकरण नहीं होगा और देश पिछड़ा और सामंती बना रहेगा।
जातिवाद और साम्प्रदायिकता सामंती ताकतें हैं, यदि भारत को आगे बढ़ाना है तो इन्हें नष्ट करना होगा, लेकिन संसदीय लोकतंत्र उन्हें और भी जकड़े हुए है। इसलिए इसे एक ऐसी व्यवस्था से बदलना होगा जिसके तहत देश तेजी से आगे बढ़े।
यह वैकल्पिक व्यवस्था क्या होगी, यह एक ऐसा विषय है जिस पर देश के देशभक्त आधुनिक विचारकों को गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है।
(लेखक सर्वोच्च न्यायालय के अवकाशप्राप्त न्यायाधीश हैं। )


