Evolution of the thermodynamic properties of a coronal mass ejection in the inner Corona

नई दिल्ली, 13 जून 2023: विगत 20 जुलाई, 2017 को हुए एक सौर विस्फोट के केंद्र (center of solar eruption कोर) की ऊर्जा अवस्था के निरंतर विकास पर दृष्टि बनाए रखने वाले वैज्ञानिकों ने पाया है कि यह विचित्र ढंग से निरंतर एक स्थिर तापमान इस कारण से बनाए रखता है, क्योंकि यह अंतरिक्ष में सौर कोरोना से ऊर्जित और अत्यधिक चुंबकित प्लाज्मा से प्रस्फुटित होता है।

ऐसी खोज हमारी समझ में यह सुधार कर सकती है कि इस तरह के विस्फोट पृथ्वी पर संचार प्रणालियों को कैसे प्रभावित कर सकते हैं।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), भारत सरकार के एक स्वायत्त संस्थान, आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान अनुसंधान संस्थान (एआरआईईएस), नैनीताल से डॉ. वैभव पंत और प्रो. दीपांकर बनर्जी एवं शोधकर्ता सुश्री ज्योति श्योराण से युक्त वैज्ञानिकों की एक टीम और साउथवेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट, बोल्डर, संयुक्त राज्य अमेरिका के डॉ. रितेश पटेल ने 20 जुलाई, 2017 को हुए सौर विस्फोट के केंद्र के थर्मोडायनामिक गुणों के निरंतर विकास का अध्ययन किया।

कोरोना द्रव्य उत्क्षेपण क्या होते हैं?

कोरोना द्रव्य उत्क्षेपण (कोरोनल मास इजेक्शन-सीएमईज- Coronal Mass Ejection-CMEs) सौर वातावरण से अंतरिक्ष में आवेशित कणों (प्लाज्मा) और चुंबकीय क्षेत्रों के बड़े पैमाने पर हुए विस्फोट हैं। वे पृथ्वी पर भू-केंद्र और अंतरिक्ष-आधारित प्रौद्योगिकियों एवं उपग्रहों की एक श्रृंखला को बाधित कर सकते हैं। इस प्रकार, अंतरग्रहीय अंतरिक्ष के माध्यम से उनके विकास और प्रसार को समझना महत्वपूर्ण है।

शीतल वर्ण-मण्डलीय द्रव्य (लगभग 104 के) से लेकर तप्त प्लाज्मा (लगभग 107 के ) तक सीएमईज के अंदर प्लाज्मा तापमान की एक विस्तृत श्रृंखला होती है। जब सीएमई बाहर निकलते हैं, तो वैदुयुत, गतिज, संभावित क्षमता, तापीय, और इसी तरह की कई प्रक्रियाएं ऊर्जा का आदान-प्रदान कर सकती हैं, जिससे प्लाज्मा तप्त या शीतल हो जाता है। इन अंतर्निहित प्रक्रियाओं को समझने के लिए, सीएमई के तापगतिकीय (थर्मोडायनामिक) गुणों (जैसे घनत्व, तापमान, थर्मल दबाव, आदि) के विकास का अध्ययन करना महत्वपूर्ण है। इससे अंतरिक्ष मौसम की निगरानी करने की हमारी क्षमता में सहायता मिलेगी।

पहले भी हो चुके हैं अध्ययन

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अतीत में, वैज्ञानिकों ने सौर कोरोना में सीएमई के तापीय विकास का अध्ययन किया था। हालाँकि, पहले के यह अध्ययन सूर्य से बहुत दूरी पर किए जाने तक सीमित थे (सूर्य की त्रिज्या (Sun's radius रेडियस) अथवा आरएसयूएन से 1.5 गुना से अधिक)। अब यह भी ज्ञात है कि सीएमई सूर्य के त्रिज्या से 3 गुना नीचे की ऊंचाई में विशिष्ट गतिकी (पिक्यूलियर काइनेमैटिक्स) जैसे कि तेजी से विस्तार, और आवेगी त्वरण (इम्पल्सिव एक्सेलेरेशन) दिखाता है। हालांकि, मुख्य रूप से इन ऊंचाइयों में उपयुक्त अध्ययनों की कमी के कारण सीएमई के तापगतिकी (थर्मोडायनामिक) गुणों का विकास अभी तक अच्छी तरह से समझा नहीं गया है।

जर्नल फ्रंटियर्स इन एस्ट्रोनॉमी एंड स्पेस साइंसेज जर्नल (Frontiers in Astronomy and Space Sciences) में प्रकाशित एक अध्ययन में, वैज्ञानिकों ने इस कोरोना द्रव्य उत्क्षेपण (कोरोनल मास इजेक्शन-सीएमई) के केंद्र के तापमान और घनत्व (डेन्सिटी) का अनुमान लगाया और यह पाया कि सीएमई कोर विचित्र ढंग से एक निरंतर स्थिर तापमान बनाए रखता है क्योंकि यह अपेक्षित स्थिरोष्म प्रशीतन (एडियाबेटिक कूलिंग) के बावजूद कोर के विस्तार के लिए 1.05 से 1.35 आरएसयूएन तक फैलता है। उन्होंने इस उद्देश्य के लिए भू-केंद्र आधारित उपकरणों एमएलएसओ (मौना लोआ सोलर ऑब्जर्वेटरी) / के-कोर (के-क्रोनाग्राफ) और एमएलएसओ / सीओएमपी (कोरोनल मल्टीचैनल पोलारिमीटर) के साथ-साथ अंतरिक्ष-आधारित एसडीओ (सोलर डायनेमिक्स ऑब्जर्वेटरी) / एआईए (वायुमंडलीय इमेजिंग असेंबली) टेलीस्कोप से मिले डेटा का उपयोग किया और यह भी स्थापित किया कि सीएमई कोर का घनत्व लगभग 3.6 के कारक से कम हो गया था क्योंकि यह बाहर की ओर फैल गया।

लेखकों का निष्कर्ष है कि इस सीएमई कोर का विस्तार एक ऐसी स्थिरोष्म (एडियाबेटिक) तापगतिकी प्रक्रिया (थर्मोडायनामिक प्रक्रिया) जिसमें प्रणाली से इसके आस-पास ताप का कोई आदान-प्रदान नहीं होता है) की तुलना में एक समतापीय (आइसोथर्मल) स्थिति की तरह अधिक व्यवहार करता है।

Astronomers Spot a Surprising Solar Outburst That Maintains Constantly Stable Temperatures