मौलाना खालिद को न्याय दिलाने व आतंकवाद के नाम पर

कैद बेगुनाहों की रिहाई के लिये संघर्ष ने पूरे किये तीन माह

29 अगस्त को रिहाई मंच के संघर्ष के 100 दिन पूरे होने पर शामिल होंगी राष्ट्रीय स्तर की शख्सियतें

लखनऊ 19 अगस्त 2013। “जिस तरह सपा मुखिया मुलायम सिंह और उनके बेटे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव विश्व हिंदू परिषद के नेताओं के साथ बैठकें करने लगे हैं उससे प्रदेश की जनता को समझ लेना चाहिए कि सपा और भाजपा में 2014 के लिये अंदरूनी गठजोड़ हो गया है। और ये दोनों पार्टियां अब पूरे सूबे में हिंदुओं और मुसलमानों के ध्रुवीकरण के लिये दंगे कराने का खेल खेलेंगी।“

यह उद्गार रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब एडवोकेट ने धरने को सम्बोधित करते हुये व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि सपा के मुस्लिम मंत्रियों और नेताओं को मुसलमानों के सामने स्पष्ट करना चाहिए कि वे अशोक सिंघल और मुलायम की मुलाकात के बारे में क्या सोचते हैं।

इंडियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद सुलेमान ने कहा कि आजादी के बाद मुसलमानों के इंसाफ के सवाल पर आज तक इतना लम्बा धरना नहीं चला है। यह धरना इतिहास में हमेशा याद रखा जायेगा और साथ ही इसलिये भी याद किया जायेगा कि इससे सपा का सफाया होने जा रहा है।

उन्होंने कहा कि सपा सरकार मानसून सत्र बुलाने की हिम्मत नहीं कर पा रही है क्योंकि उसे निमेष कमीशन की रिपोर्ट पर कार्यवाही रिपोर्ट लानी पड़ेगी, जिससे साबित होता है कि सरकार खालिद और तारिक को फंसाने और खालिद की हत्या करवाने वाले पुलिस अधिकारियों को बचाने के लिये छह महीने में विधान सभा का सत्र बुलाने की अनिवार्यता जैसी संवैधानिक नियमों का भी उल्लंघन करने पर उतारू हो गयी है।

उन्नाव से आये सामाजिक कार्यकर्ता आलोक अग्निहोत्री ने कहा कि न्यायिक हिरासत में निर्मम हत्या का मुकदमा पूर्व डीजीपी समेत 42 पुलिस व आईबी अधिकारियों के खिलाफ खालिद के चचा ने दर्ज कराया है जिसकी सीबीआई जांच की सिफारिश राज्य सरकार ने डीओपीटी को संदर्भित कर दी थी। लेकिन जहाँ एक ओर इस सन्दर्भ पर सीबीआई के संज्ञान लेकर विवेचना करने हेतु कोई अधिसूचना नहीं जारी की गयी वहीं प्रदेश सरकार ने सतही स्तर पर राज्य पुलिस द्वारा विवेचना की औपचारिकता मात्र पूरी करायी जा रही है और पूरी कोशिश और साजिश इस बात की है कि इसमें वरिष्ठ अधिकारियों को कैसे बचाया जा सके और मुकदमे को कमजोर किया जा सके। खालिद की हत्या के बाद अब सरकार न्याय की हत्या करने पर उतारू है।

रिहाई मंच के धरने के तीन महीने पूरे

रिहाई मंच के धरने के तीन महीने पूरे होने पर सरायमीर आजमगढ़ से समर्थन में आए शाह आलम शेरवानी और फिरोज अहमद ने कहा कि पिछले तीन महीने से चल रहे इस धरने ने इस बात की गांरटी कर दी है कि अब भी मजलूमों के सवालों पर लड़ने वाले हैं और इस लोकतंत्र की यही जीत है। एक-एक दिन जैसे-जैसे रिहाई मंच का धरना आगे बढ़ रहा है वैसे-वैसे सेक्यूलर अवाम और मुस्लिम समुदाय की एकजुटता की इच्छाशक्ति दृढ़ होती जा रही है। क्योंकि आतंकवादी का नाम आने का बाद जहाँ पड़ोसी तो दूर छोड़िए भाई भी रिश्ते तोड़ लेते थे आज ऐसे में रिहाई मंच के इस आंदोलन ने मुस्लिम समाज में इस एहसास को मजबूत किया है कि हक और इंसाफ के लिये अपना संघर्ष जारी रखें।

उन्होंने कहा कि जिस तरीके से चाहे वो खालिद की मौत को बीमारी बताना, आजमगढ़ के तारिक कासमी और खालिद की बेगुनाही की आरडी निमेष कमीशन की रिपोर्ट को दबाना, प्रदेश को दंगे की आग में झोंकना हो या फिर वरुण गांधी को बरी करवाना ऐसे सैकड़ों सवाल मुसलमानों के जेहन में घर कर रहे हैं कि इस हुकूमत के उनके साथ क्या किया।

दस हजार से अधिक पोस्ट कार्ड मुख्यमंत्री के नाम लिख कर भेजे गए

पिछड़ा समाज महासभा के एहसानुल हक मलिक, शिवनारायण कुशवाहा और भारतीय एकता पार्टी के सैयद मोईद अहमद ने कहा कि रिहाई मंच के आह्वान पर पूरे प्रदेश की अवाम ने दस हजार से अधिक पोस्ट कार्ड मुख्यमंत्री के नाम लिख कर भेजा है। हमारी छोटी सी माँग है कि अखिलेश यादव मानसून सत्र बुलाकर आरडी निमेष कमीशन की रिपोर्ट कार्रवाई रिपोर्ट के साथ सदन के पटल पर अपने वादे के मुताबिक रख दें। प्रदेश की अवाम को इस बात पर गंभीर हो जाना चाहिए कि जो सरकार सिर्फ एक रिपोर्ट को सदन के पटल पर रखने की हिम्मत नहीं रखती वो भला कैसे आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाह मुस्लिमों को छोड़ने का वादा पूरा कर सकती है।

मुस्लिम मजलिस के नेता जैद अहमद फारुकी और नेशनल पीस फेडरेशन के डॉ. हारिश सिद्दीकी ने कहा कि आईबी जैसी खुफिया एजेंसियों की सांप्रदायिकता के खिलाफ जिस तरीके से रिहाई मंच ने पिछले तीन महीने से धरने के माध्यम से सवाल उठाया वो आने वाली नस्लों की सुरक्षा की गारंटी का इतिहास है कि रिहाई मंच ने आईबी जैसी साम्प्रदायिक और अपराधी एजेंसियों के मंसूबों को जनता के सामने ला दिया। जिस तरीके से कभी दंगों के बाद मुसलमान पीएसी से डरा रहता था, उससे ज्यादा डर व दहशत का माहौल आईबी ने बनाया था पर रिहाई मंच के इस आंदोलन ने उसकी कलई जनता के सामने खोल दी।

धरने के समर्थन में फैजाबाद से आए मोहम्मद अनीस ने कहा कि खालिद को न्याय दिलाने व आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों की रिहाई के लिये लखनऊ विधानसभा धरना स्थल पर चल रही इंसाफ की इस लड़ाई ने आज चाहे वो दंगा पीडि़त हों या फिर आतंकवाद के नाम पर पीड़ित या अन्य सवालों के पीड़ित आज सबके दिलों में इस बात को स्थापित कर दिया है कि इंसाफ के सवाल पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता। हमने देखा है कि इस सपा हुकूमत में 24 अक्टूबर को हमारे शहर फैजाबाद के इतिहास की साझी विरासत को तबाह किया गया और सपा सरकार जो मुसलमानों की हितैषी होने की बात करती है इंसाफ तो दूर आज तक एक अदद लूट के माल की जब्ती तक नहीं कर पाई है। हम रिहाई मंच के इस आंदोलन के साथ हैं और 29 अगस्त को जब इस आंदोलन के सौ दिन पूरे हो रहे हैं इस मौके पर हम इंसाफ पसन्द अवाम से अपील करेंगे कि इंसाफ की इस लड़ाई में जरूर शिरकत करें।

आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों को छोड़ने की मांग

यूपी की कचहरियों में 2007 में हुए धमाकों (2007 blasts in UP's courts) में पुलिस तथा आईबी के अधिकारियों द्वारा फर्जी तरीके से फँसाए गये मौलाना खालिद मुजाहिद की न्यायिक हिरासत में की गयी हत्या तथा आरडी निमेष कमीशन रिपोर्ट पर कार्रवाई रिपोर्ट के साथ सत्र बुलाकर सदन में रखने और आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों को छोड़ने की मांग को लेकर रिहाई मंच का धरना सोमवार को 90 वें दिन भी जारी रहा।

धरने का संचालन राजीव यादव ने किया। इंडियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय अध्यक्ष मो. सुलेमान, मो. मियां, मो. मोहसिन लखनवी, कमर सीतापुरी, मुख्तार अहमद, राम सुरेश, हाजी फहीम सिद्दीकी, आलोक अग्निहोत्री, मुस्लिम मजलिस के जैद अहमद फारुकी, नेशनल पीश फेडरेशन डा. हारिश सिद्दीकी, पिछड़ा समाज महासभा के शिवनारायण कुशवाहा, एहसानुल हक मलिक, भारतीय एकता पार्टी के सैयद मोईद अहमद, केके शुक्ला, मोहम्मद अताउल्ला, एमएम खान, मो0 फैज, फैजाबाद से शुएब अहमद, मो. अनीश, फिरोज अहमद, शाह आलम शेरवानी, फैज वजीर, शामिल थे।