खुदरा बाजार टूट गया है, नोटबन्दी के बाद की स्थिति और भी भयावह ऊपर से जीएसटी की मार
खुदरा बाजार टूट गया है, नोटबन्दी के बाद की स्थिति और भी भयावह ऊपर से जीएसटी की मार

यूपी यात्रा पहुंची सुल्तानपुर,-लंभुआ
नौजवानों-व्यापारियों के बीच हुई नुक्क्ड़ सभा और बैठकें
सुलतानपुर/लम्भुआ 31 अगस्त 2018। यूपी यात्रा के पहले चरण की शुरुवात करते हुए सुलतानपुर और लम्भुआ में बैठके हुईं। जगराम धर्मशाला सुलतानपुर में युवाओं और अधिवक्ताओं के साथ बातचीत हुई और नरेंद्र दाभोलकर के शहादत दिवस पर उनको श्रद्धांजलि दी गई तो लम्भुआ क़स्बे में व्यापारियों और नवजवानों ने यात्रा का भव्य स्वागत किया व नुक्कड़ सभा हुई।
यात्रा में राजीव यादव, गुफरान सिद्दीक़ी, शकील कुरैशी, रविश आलम, सय्यद फ़ारूक़, वीरेंदर गुप्ता, श्रीजन योगी आदियोग, दीपक, आशीष व शाहरुख़ अहमद शामिल रहे।
सुलतानपुर में हुई बैठक में युवाओं ने बढ़ते रोजग़ार के संकट और साम्प्रदायिक-जातिगत तनाव और सामंती उत्पीड़न पर चिंता ज़ाहिर की। युवाओं ने शिक्षा और रोज़गार के सवाल पर बोलते हुए कहा कि कस्बों और गाँव में शिक्षा के लिए बेहतर व्यवस्था न होने की वजह से दूसरे शहरों में दाखिला लेना होता है और खर्च भी आता है। अगर आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है तो उच्च शिक्षा पर आने वाले खर्च को आम तौर पर परिवार वहन नहीं कर पाते और पढ़ाई अधूरी छोड़ कर काम धंधे में लग जाते हैं जिससे उनका भविष्य अंधकारमय हो जाता है।
लंभुआ कस्बे में व्यापारियों का कहना है कि बड़ी-बड़ी कंपनियों ने हमारे ग्राहक कम कर दिए हैं। खुदरा बाजार टूट गया है। स्थानीय स्तर पर हथकरघा उद्योग बंद हो रहे हैं जिससे छोटे बाज़ार बेरौनक हो गए हैं। कस्बों का ग्राहक बड़े शहरों के मालों में भाग रहा है। नोटबन्दी के बाद की स्थिति और भी भयावह हो गई है। ऊपर से जीएसटी की मार। इस स्थिति से निकलने के लिए लगातार कर्जे ले रहे हैं पर स्थिति जस की तस बनी हुई है। इस निराशा और हताशा के दौर में सांप्रदायिक व जातिगत हिंसा ने समाजिक ताने-बाने को तोड़ दिया है.
यूपी यात्रा में चर्चा के दौरान हमें एहसास हो रहा है कि हम संगठित रह कर ही इस स्थिति से बाहर निकल सकते हैं। हमें अपनी साँझी संस्कृति और विरासत को बचाये रखने के लिए एक दूसरे का साथ और सहयोग करना होगा। साथ ही सरकार की जनविरोधी नीतियों को उजागर करना होगा। क्योंकि आम जनता को यह एहसास हो रहा है कि आज के समय में कोई भी सुरक्षित नहीं है।
सुल्तानपुर की बैठक में सलमान गनी, कामरान भाई, एड्वोकेट जोहर अली, समीर सिद्दीकी, मौ. अदनान , नैयर आलम, गुफरान सिद्दीक़ी, अमजद उल्ला,ताहा अंसारी आदि ज़िम्मेदार लोग शामिल रहे। लंभुआ में खुर्शीद, जुनैद, संजय श्रीवास्तव, परवेज़ अहमद, सत्यपाल यादव, लक्ष्मण गाँधी, सलीम अंसारी, सुशील, शादाब अंसारी, शादाब आदि लोग उपस्थित रहे।
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The retail market is broken, the situation after demonetisation is even worse, and the impact of GST from above


