As Madhesis dig in, a warning: ‘If the Central govt makes a wrong move, it will affect the BJP in the polls’
काठमाण्डू से योगीश खरेल, साथ में दिल्ली से “हस्तक्षेप” डेस्क

रक्सौल में स्थानीय भाजपा नेता महेश अग्रवाल का निशुल्क लंगर फिर से आरम्भ करने की तैयारी शुरू हो गई है। उनका यह लंगर सिर्फ नेपाल के मधेसियों के हित में ही नहीं, बल्कि बिहार में भाजपा के वोट बढ़ाने के लिए चलाया गया है, यह उन्होंने स्वीकार किया है ।

दि इण्डियन एक्सप्रेस में प्रकाशित एक समाचार Why Bihar is tracking a group of protesters on a border bridge में अग्रवाल ने बताया है कि बिहार के 40 प्रतिशत मतदाता नेपाल के तराई से सम्बन्ध रखते हैँ।

अग्रवाल ने जानकारी दी है कि प्रतिदिन वह 6 से सात हजार व्यक्तियों को खाना खिलाते आ रहे हैँ।

आश्चर्य की बात यह है कि भारत का निर्वाचन आयोग महेश अग्रवाल की इस स्वीकारोक्ति के बाद भी सोया हुआ है और भाजपा के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

दि इण्डियन एक्सप्रेस की यह खबर नेपाल के राजनेताओं के इस आरोप की पुष्टि करती है कि भारत नेपाल के अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप कर रहा है, और नेपाल में देशविरोधी अलगाववादी ताकतों को प्रोत्साहित कर रहा है।

महेश अग्रवाल रक्सौल में भाजपा के नेता हैं और महिमा एक्सपोर्ट के मालिक हैं। नेपाल में पुलिस फायरिंग में एक भारतीय नागरिक की मृत्यु होने के बाद प्रमुखता से ये खबरें प्रकाशित हुई थीं कि भाजपा मधेसी अलगाववादियों को संरक्षण और मदद कर रही है। तभी ये खुलासा हुआ था कि महेश अग्रवाल मधेसी आंदोलनकारियों के लिए निःशुल्क मेस चला रहे थे।

महेश अग्रवाल ने The Sunday Express से कहा “I am taking care of this humanitarian camp where the community has been providing food to our Madhesi brothers who are sitting on dharna on the bridge and have blocked the road. They have a genuine cause. For us, it is both a social and national cause,’’ “We have been providing food in batches to an average of 6,000-7,000 people round the clock every day.”

अग्रवाल के मुताबिक

“If the BJP government (at the Centre) commits a wrong move, it will affect the party in the elections. But if it takes the right step, it will benefit as well. For around 50 km inside Bihar from the border, it is a beti-roti relationship of people joined by blood ties and trade for centuries. This border can’t separate us, we are the bridge between the two countries.”

अग्रवाल के मुताबिक

“people in 40 per cent of Bihar’s assembly constituencies are related to Madhesis”. “Everyone here is closely watching how the central government deals with this situation.”

दि इण्डियन एक्सप्रेस की इस खबर पर नेपाली जनमानस ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। एक पाठक आरपी उपाध्याय ने कमेन्ट किया है-
“किसिने कहरहाथा नेपाल भारतके दयासे जि रहा है । मैनै भि लिखदिया । ओ भाई क्या बकते हो ? भारतनेँ मुफ्तमेँ कुछ नहिँ दिया है । जो कुछ भि भारत देता है उससे हजार गुना ले जाता है । बनियोँका देश है भारत और नेपालका दुष्ट पडोसि । यह जो नकाबंदि लगि है उसे दो चार साल और लगाके देखो तब मालुम होगा कौन किसके सहारे जि रहा है और नेपाल अपने आपमे जि सकता है कि नहिँ । जो सहयोग बात करके और स्वयंकि प्रशंसा करके दि जाति है वह सहयोग नहिँ है बल्कि अनैतिक व्यापार है । अनैतिक बातको defend तुमजैसे लोग हि कर सकता है । नहिँ तो नेपाल और भारत एक दुसरेमेँ सिर्फ भौगोलिक हिसाबसे हि नहि बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और भाषागत हिसाबसे ईतने नजदिक हैँ कि ऐसा कोई दुसरा उदाहरण नहिँ । नेपाल और भारत तो सनातनसे अच्छे पडोसि रहे हैँ । समस्या तब आई जब तुम जैसे लालचि और पापी लोग हिन्दुस्तानमेँ पैदा होने लगे । हिन्दु और बुद्ध धर्मका उदगम स्थल, ऋषियोँकि तपोभूमी, सिता, बेद व्यास, श्रवणकुमार, और बुद्धका जन्मस्थान यह पवित्र भूमिपर भारतनेँ जो पाप किया है, जो जुल्म किया है उसका मूल्य अवश्य एकदिन चुकाना पडेगा । करनिका फल एकदिन सभिको भूगतना पडेगा और यह गिता वाणी कभि फेल नहिँ होति । देखते जाओ । अगर तुममे थोडा भि मानवता है, थोडा सा धर्म बचि है तो भारतका यह कदमका विरोध करो । सोचो अगर तुम्हारा देशका हालत भि ऐसा होता तो तुम क्या करते ? विरोध के लिए विरोध मत करो । नेपालको समझो और अपने आपको एकबार आईनेमेँ देखो तो समझमेँ आएगि कि तुम कितने नङ्गे हो । जनस्तरसे हम एकदुसरेसे हार्दिकता फैलाएँ और मिलजुलकर एक सुन्दर संसारका निर्माण करेँ । एक मानवके रिस्तेसे हम भारत सरकारका यह दुष्ट कदमका विरोध करेँ । मोदिको तो नेपालीओने बहुत सम्मान दिया था और उनका सरकारका हार्दिक स्वागत किया था । लगता था बहुत अच्छे आदमि आया है अब सत्युगका निर्माण दुर नहि, अच्छे दिन आनेवाले हैँ । मगर वह सब गलत निकला ।“
इस खबर के प्रकाशित होने के बाद मोदी सरकार के खिलाफ जहां नेपाल में रोष बढ़ गया है वहीं भारत में भी मांग जोर पकड़ती जा रही है कि मोदी सरकार, नेपाल के अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप बन्द करे। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के मुखपत्र peoples democracy के संपादकीय में भी कहा गया है भारत सरकार नेपाल को धमकाना बंद करे।
नेपाल में अब मोदी के पुतले के साथ जलाया भारत का झण्डा