हिमांशु कुमार

1944 में गाँधी पूना जेल से रिहा हुए।

जेल के दौरान हुक वर्म, दस्त और मलेरिया के कारण गाँधी का खून बहुत कम हो गया था।

गाँधी को डाक्टरों ने समुन्दर के किनारे आराम करने की सलाह दी।

गाँधी के मित्र जहांगीर पटेल ने गाँधीजी को जुहू में अपने बंगले में आकर रहने का न्यौता दिया।

जहांगीर पटेल ने गाँधी जी से कहा कि हम लोग आपके यहाँ रहने के दौरान दूसरे मकान में रहने चले जायेंगे।

गाँधी ने कहा हमारे लिये आप अपना घर क्यों खाली करेंगे ? आप का परिवार और हम एक साथ ही रहेंगे।

एक दिन मीरा बहन ने फ्रिज में गाँधी जी के लिये रखे अंगूर निकालने के लिये फ्रिज खोला तो देखा कि अंगूरों के गुच्छे के साथ ही मांस रखा हुआ है।

मीरा बहन ने जहाँगीर पटेल को बुला कर फ्रिज दिखाया। जहाँगीर पटेल बोले कि हमारे बाबर्ची अली ने गलती से बीफ यहाँ रख दिया है। मैं बाज़ार से अभी दूसरे अंगूर मंगवा देता हूँ।

मीरा बहन ने कहा मैं पहले बापू से पूछ लेती हूँ၊

शोर सुन कर गाँधी जी अपने कमरे से निकल कर वहाँ आ गये।

गाँधी जी को मीरा बहन ने पूरी बात बताई।
गाँधी जी हंसते हुए आगे बढ़े और गोमांस के बराबर में रखे अंगूर के गुच्छे में से एक अंगूर तोड़कर अपने मूँह में डाल लिया।
गाँधी ने मीरा बहन और जहाँगीर पटेल को सख्त ताकीद करी कि बावर्ची अली के साथ इस बारे में कोई डाँट डपट ना करी जाय।

वैसे गाँधी के 18 सूत्री रचनात्मक कार्यक्रम में गाँधी ने गोसेवा एक महत्वपूर्ण देश निर्माण का काम माना है।

लेकिन गाँधी जी ने गोवध बन्दी के लिये सरकारी कानून बनाने का सख्त विरोध किया था।

अपनी मृत्यु से कुछ दिन पहले दिल्ली में अपनी प्रार्थना सभा के बाद प्रवचन में गाँधी बोले कि मुझे बताया गया है कि राजेन्द्र प्रसाद जी को 25 हजार पोस्ट कार्ड मिले हैं, जिसमें गोहत्या रोकने के लिये कानून बनाने की मांग की गई है। मुझे यह भी बताया गया है कि इस मांग पर कानपुर में किसी साधू ने अनशन शुरू किया है।
मैं यह स्पष्ट तौर पर कहना चाहता हूँ कि हमें इस मामले में किसी दबाव में नहीं आना है।
हिन्दू अगर गाय को अपनी माँ मानते हैं तो हिन्दू गोमांस ना खायें।

लेकिन हिन्दू अपनी आस्था मुसलमानों पर कैसे लाद सकते हैं ?

हम आज तक छत पर चढ़ कर यह चिल्लाते रहे हैं कि आज़ाद भारत में कोई एक धर्म दूसरे धर्म का दमन नहीं कर सकता।
फिर हम मुसलमानों को हिन्दुओं की आस्था के हिसाब से चलने के लिये मजबूर करने वाला कानून कैसे बना सकते हैं ?
गाँधी ने आगे कहा कि सोचिये कि अगर पाकिस्तान के मुसलमान यह कहें कि हमारे कुरान में मूर्ति पूजा की मनाही है, इसलिये हम पाकिस्तान में किसी हिन्दू को मन्दिर में पूजा नहीं करने देंगे, तो भारत उसका विरोध करेगा या नहीं ?

अगर आप अपने देश के अल्पसंख्यकों का ख्याल नहीं रखेंगे तो आपका किसी दूसरे के सामने क्या नैतिक बल रहेगा ?

गाँधी का नाम गोरक्षा में घसीटने वाले इस लेख को ध्यान से पढ़ें कृपा कर के