गांधी जी की हत्या और आरएसएस
आलोक वाजपेयी
माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने यह बात उठा दी है क़ि क्या आरएसएस ने गांधी जी की हत्या की थी, इसे राहुल गांधी न्यायालय में सिद्ध करें अथवा आरएसएस से मुआफी मांगें।
इस बिंदु को कई तरह से देखा जा सकता है। जैसे-

गांधी जी की हत्या किस सोच के कारण हुई थी?

क्या गांधी जी की हत्या के कारण के पीछे एक ख़ास राजनीतिक समझ काम कर रही थी?
क्या गांधी जी के हत्यारे को महिमा मंडित करने, उनकी हत्या पर खुशी मनाने और मिठाइयां बांटने का काम किसी संगठन द्वारा किया गया था और अभी भी किया जा रहा है?

सरदार पटेल (तत्कालीन गृह मंत्री)ने आरएसएस को उस घटना के बाद प्रतिबंधित किया था या नहीं?

क्या आरएसएस ने गांधी जी की हत्या पर कभी शोक व्यक्त किया और गोडसे की भर्त्सना की?
क्या गोडसे द्वारा की गयी हत्या को किसी व्यक्ति द्वारा की गयी व्यक्तिगत कार्यवाही की तरह देखना चाहिए या वह व्यक्ति किस सोच से संचालित था इस पर ध्यान देना चाहिए?

क्या राजनीतिक व्यक्ति या पार्टी द्वारा दिए गए बयानों को न्यायालय द्वारा सही या गलत बताया जा सकता है?

या राजनीति पर ही इसे छोड़ देना चाहिए?

क्या न्यायालय में खींचने का खौफ दिखाकर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित किया जाना संविधान के विरुद्ध नहीं है?
क्या ऐतिहासिक तथ्यों की विवेचना का कार्य न्यायालय की परिधि में आता है? या यह काम इतिहासकारों व विशेषज्ञों पर छोड़ा जाना चाहिए?

क्या सर्वोच्च न्यायालय या कोई भी न्यायालय इतिहास की विवेचना का फोरम हो सकता है?

क्या न्यायालयों के न्यायाधीश व वकील इतिहास, कला, साहित्य,संस्कृति या अन्य सामाजिक विषयों mass memory व mass consciousness व socio political perception के भी विशेषज्ञ व सक्षम ज्ञाता होते ही हैं।

आखिर में। गांधी बहुत ऊँची चीज थे। होने को ये भी हो सकता है जान बूझकर ये सब ड्रामा तैयार किये हों और महान राष्ट्रवादी गोडसे और उसके आका लोग भोले भाले निर्दोष हों। भैया लोग, दिमाग पर जोर न दो। गांधी ने आरएसएस को हमेशा के लिए बदनाम करने के लिए अपनी मौत रची थी।
अब कहाँ ढूँढने जाओगे हमारे कातिल
आप तो कत्ल का इल्जाम हमीं पर रख दो ।.....( राहत इंदौरी )