गुमनाम साहस - सरकार उन को टारगेट कर रही है जिन्होंने निर्भया को न्याय की लड़ाई लड़ी
गुमनाम साहस - सरकार उन को टारगेट कर रही है जिन्होंने निर्भया को न्याय की लड़ाई लड़ी
सिर्फ लड़कियां ही नहीं बल्कि उम्र दराज़ औरतें भी सुरक्षित नहीं
महिलाओं के साथ होने वाली छेड़खानी पर आधारित डॉक्यूमेंट्री फिल्म गुमनाम साहस
नई दिल्ली। अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति की महासचिव जगमती सांगवान ने कहा है कि आज सरकार उन सब लोगों को टारगेट कर रही है जिन्होंने निर्भया को न्याय दिलाने के लिए लड़ाई लड़ी। इनमें विभिन्न विश्वविद्यालयों के छात्र शामिल हैं, चाहे जेएनयू हो, जाधवपुर विश्वविद्यालय हो या और कोई।
जगमती सांगवान महिलाओं के साथ होने वाली छेड़खानी पर आधारित डॉक्यूमेंट्री फिल्म गुमनाम साहस के कल दिल्ली में रिलीज़ के अवसर पर गांधी शांति प्रतिष्ठान में फिल्म की स्क्रीनिंग और उसके बाद पैनल चर्चा में अपने विचार व्यक्त कर रही थीं।
पैनल में कवि एवं विचारक सुश्री शुभा, महासचिव जनवादी महिला समिति जगमती सांगवान, सुश्री टी.के. राजलक्ष्मी वरिष्ठ पत्रकार शामिल रहीं। इसके अलावा रोहतक में छेड़खानी से परेशान होकर आत्महत्या करने वाली स्कूली छात्राओं के अभिभावक और छेड़खानी का विरोध करने वाली बहादुर बहनें पूजा और आरती भी कार्यक्रम में शामिल हुईं और अपनी बातचीत रखी।
पैनल ने सबसे पहले फिल्म निर्देशक राजकुमार और दीप्ति एवं सहप्रस्तुतकर्ता हिम्मत संस्था को बधाई दी। वरिष्ठ पत्रकार टीके राजलक्ष्मी ने कहा कि विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर इस तरह की फिल्मों की काफी ज़रूरत है। हमें परिवारों में संवाद की जगह बनानी चाहिए और लड़कियों को मंच मुहैया करवाने चाहिए।
मधु और निकिता के अभिभावकों ने भावुक होकर कहा कि हमारी बेटियां तो चली गईं लेकिन हम चाहते हैं कि आगे किसी लड़की के साथ ऐसा ना हो। हम न्याय के लड़ाई लड़ेंगे।
जानी-मानी चित्रकार और फिल्ममेकर हेम ज्योतिका ने कहा कि सिर्फ लड़कियां ही नहीं बल्कि उम्र दराज़ औरतों भी सुरक्षित नहीं हैं। आगर बेटियों को दोयम दर्ज़े का नागरिक माना जाता हैए सुरक्षा नहीं है और सरकार कोई ठोस क़दम उठाने की बजाय बेटी बचाओ जैसे ढकोसले चला रही है।
शुभा ने कार्यक्रम का समापन करते हुए कहा कि पूजा और आरती जैसी लड़कियां इस समाज की वास्तविक लीडर हैं। ये लड़कियों की प्रतिनिधित्वकारी आवाज़ हैं। हमें इन तमाम लड़कियों को अपना लीडर मानना चाहिए और इन्हें उपदेश औऱ दिशा-निर्देश देने की बजाय फैसिलिटेट करना चाहिए।
छेड़खानी को एक सामाजिक मसले की तरह बीच में लाती है फिल्म गुमनाम साहस
फिल्म गुमनाम साहस छेड़खानी को एक सामाजिक मसले की तरह बीच में लाती है और बहस खोलती है। लड़कियों के संघर्षों और समाज के दोगलेपन की कशमकश को उजागर करती है। महिला हैल्प लाईन की स्थिति और खाप पंचायतों की भूमिका आदि सवालों पर भी फिल्म रोशनी डालती है।
Gumnam Sahas - The government is targeting those who fought for justice for Nirbhaya


