जिलाधिकारी गोरखपुर को प्रतिनिधिमंडल से दुर्व्यवहार के लिए दण्डित करो.

लखनऊ: 25 मई। “गोरखपुर में दलितों का पुलिस उत्पीड़न बंद करो एवं जिलाधिकारी गोरखपुर को प्रतिनिधिमंडल से दुर्व्यवहार के लिए दण्डित करो”।

यह बात आज एस.आर.दारापुरी पूर्व पुलिस महानिरीक्षक एवं संयोजक जन मंच उत्तर प्रदेश ने प्रेस को जारी बयान में कही है.

उन्होंने कहा है कि दिनांक 15/5/18 को गोरखपुर जिले के ग्राम अस्थौला, थाना गगहा के दलितों को खलिहान की ज़मीन पर अवैध कब्जे के विवाद को ले कर थाना पर बुलाया गया था. जब 20-25 दलित जिनमें अधिकतर महिलाएं थीं, थाने पर पहुँचीं तो वहां पर दूसरे पक्ष की तरफ से वीरेंद्र चंद (ठाकुर) तथा कुछ अन्य समर्थक पहले से ही मौजूद थे. अभी बातचीत शुरू ही हुयी थी कि अचानक वीरेंद्र चंद ने राम उगान दलित को हाथ से तथा अपनी बन्दूक की बट से पीटना शुरू कर दिया. इस पर जब दलितों ने आपत्ति की तो थाना थानाध्यक्ष सुनील कुमार सिंह व् अन्य पुलिस कर्मचारियों ने भी उन्हें मारना पीटना शुरू कर दिया तथा राम उगान को हवालात में बंद कर दिया. जब इसकी सूचना गाँव में पहुंची तो वहां से दलित बस्ती के 25-30 लोग थाने पर पहुंचे. वहां पर जब उन्होंने मारपीट करने पर आपत्ति की तो पुलिस वालों ने उन पर लाठी चार्ज किया तथा उसके बाद अकारण फायरिंग कर दी जिससे जीतू पुत्र सुखारी, भोलू पुत्र उमेश तथा दीपक पुत्र गोपाल को गोली लगी एवं काफी लोगों को लाठी डंडे की चोटें भी आयीं. थाने पर उपस्थित रही औरतों ने यह भी बताया कि फायरिंग के दौरान विरेंदर चंद ने भी अपनी निजी बन्दूक से उन पर गोलियां चलाई थीं.

इसके पश्चात उसी दिन पुलिस द्वारा बड़ी संख्या में ग्राम अस्थौला की दलित बस्ती पर चढ़ाई की गयी तथा 27 दलितों को दो औरतों सहित गिरफ्तार कर लिया गया. दलित बस्ती पर हमले के दौरान पुलिस द्वारा गाँव में उपस्थित महिलायों, बच्चों तथा वृद्धों की निर्मम पिटाई की गयी एवं घरों में तोड़फोड़ की गयी. इस हंगामे के दौरान दो दर्जन औरतों, बच्चों तथा बुजुर्गों को चोटें आयीं. इसमें अजोरा देवी का दाहिना हाथ टूट गया. पानमती पत्नी घूरन राम के कान और गले का मंगल सूत्र भी छीन लिया गया तथा घर के अन्दर नहाती हुयी महिलायों और बच्चियों के साथ छेड़छाड़ की गयी. यह भी उल्लेखनीय है कि उस समय पुलिस के साथ कोई भी महिला पुलिस कर्मचारी नहीं थी. यह भी आश्चर्य की बात है कि उस समय पुलिस के साथ वीरेन्द्र चंद तथा उसके सहयोगी भी मौजूद थे.

उपरोक्त घटना की जांच हेतु दिनांक 22.05.2018 को इस घटना की जांच हेतु हरिश्चन्द्रा पूर्व आईएएस तथा एस.आर.दारापुरी- आईपीएस.(से.नि.) के नेतृत्व में एक 9 सदस्यी फैक्ट फाइंडिंग टीम द्वारा गाँव का भ्रमण किया गया. जांच से पाया गया कि थाने पर अवैध कब्ज़ा करने वाले पक्ष के सहयोगी वीरेन्द्र चन्द द्वारा अनधिकृत ढंग से राम उगान की पिटाई की गयी तथा अपनी निजी बन्दूक से दलितों पर फायरिंग भी की गयी परन्तु थानाध्यक्ष द्वारा उसे ऐसा करने से रोकने हेतु कोई भी कार्यवाही नहीं की गयी. जिससे यह स्पष्ट है कि इस कार्य में उसकी पूर्ण सहमति थी. वास्तव में इस कारण ही दलितों में आक्रोश पैदा हुआ तथा उन्होंने इसका विरोध विरोध जताया. यदि थानाध्यक्ष ने थाने पर ऐसा न होने दिया होता तो संभवतः थाने पर टकराव की कोई घटना घटित ही नहीं होती. अतः इस घटना की उच्चस्तरीय जाँच कर थानाध्यक्ष को त्वरित निलंबित कर थाने से हटाया जाए एवं दण्डित किया जाय तथा उसके विरुद्ध एससी/एसटी एक्ट की धारा 4 के अंतर्गत अभियोग चलाया जाय. इसके साथ ही बिरेन्द्र चंद द्वारा थाने पर पिटाई करने तथा अपनी निजी बन्दूक से फायरिंग करने के लिए भी एस/एसटी एक्ट के अंतर्गत केस दर्ज करके कार्रवाही की जाये.

थाना गगहा पर पुलिस द्वारा दर्ज किये गये मुकदमा अपराध संख्या 152/18 की प्रथम सूचना रिपोर्ट के अवलोकन से विदित है कि यद्यपि थाने पर घटना तथा गाँव से दलितों की गिरफ्तारी दिनांक 15/5/18 को ही कर ली गयी थी परन्तु थानाध्यक्ष द्वारा थाने पर दिनांक 16/5/18 को प्रथम सूचना दर्ज करायी गयी. इससे स्पष्ट है कि पुलिस द्वारा जानबूझ कर प्रथम सूचना दर्ज करने में विलंब किया गया तथा 15/5/18 को ही पुलिस द्वारा गाँव से 27 दलितों की गिरफ्तारी 16/5 को दिखाई गयी है. इस प्रकार 27 दलितों को थाने पर एक दिन अवैध अभिरक्षा में रखा गया तथा उनके साथ मारपीट की गयी जो कि दंडनीय अपराध है. इसके लिए थानाध्यक्ष के विरुद्ध एससी /एसटी एक्ट के अंतर्गत केस दर्ज कर कार्रवाही की जानी चाहिए.

इस समय अस्थौला गाँव के दलित घर छोड़ कर भागे हुए हैं और दबंगों और पुलिस के आतंक का माहौल छाया हुआ है. इसे तुरंत समाप्त किया जाये ताकि दलित अपने घरों को लौट सकें.

अगले दिन 23/5 को जब हमारा प्रतिनिधिमंडल इस मामले के सम्बन्ध में जिलाधिकारी गोरखपुर विजयेन्द्र पांडियन से उनके कार्यालय में मिलने के लिए गया तो उसने हमारी बात सुनने से बिलकुल मना कर दिया और कहा कि आप लोग मेरा समय बर्बाद कर रहे हैं और गलत तथ्य पेश कर रहें हैं. इतना ही नहीं उसने इसके लिए प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों के विरुद्ध कार्रवाही करने की धमकी भी दी. इस पर प्रतिनिधि मंडल बिना कोई अग्रिम बात किये उसके कार्यालय से बाहर निकल आया. जिलाधिकारी का यह व्यवहार बिलकुल तानाशाहीवाला एवं अमर्यादित था. इस संबंध में जिलाधिकारी के विरुद्ध राष्ट्रपति, भारत सरकार एवं मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश को शिकायत भेजी जाएगी तथा जांच उपरांत दण्डित करने का अनुरोध किया जायेगा.

(एस.आर. दारापुरी आईपीएस (से.नि.), संयोजक जन मंच एवं सदस्य अस्थौला दलित उत्पीड़न जांच कमेटी द्वारा जारी विज्ञप्ति)