चुनी सरकारों को गिराने में जुटी भाजपा-उत्तराखंड पर राष्ट्रपति शासन की तलवार
चुनी सरकारों को गिराने में जुटी भाजपा-उत्तराखंड पर राष्ट्रपति शासन की तलवार
उत्तराखंड के राजनीतिक संकट पर केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने किया विचार
नई दिल्ली, 26 मार्च। जनता द्वारा चुनी हुई सरकारों को गिराने में जुटी भाजपा ने इस दिशा में दो कदम आगे बढ़ाकर एक कदम पीछे खींच लिया है।
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने देर रात उत्तराखंड के राजनीतिक संकट पर विचार विमर्श किया।
असम में कई चुनाव रैलियां करने के बाद राजधानी लौटने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देर रात अचानक मंत्रिमंडल की बैठक बुलाई।
बैठक में हुए विचार विमर्श के बारे में आधिकारिक तौर पर कोई जानकारी नहीं मिल पाई है लेकिन समझा जाता है कि उत्तराखंड में चल रहे घटनाक्रम के मद्देनजर इसमे वहां की राजनीतिक स्थिति के बारे में चर्चा की गई।
हालांकि निजी समाचार चैनल आज तक की एक खबर में कहा गया है कि केंद्र सोमवार को होने जा रहे कांग्रेस के मुख्यमंत्री हरीश रावत के विश्वास मत परीक्षण से पहले राष्ट्रपति शासन लगाने पर विचार कर रहा है। रविवार को पीएम मोदी ने कैबिनेट की जो आपात बैठक बुलाई थी, उसमें फिलहाल राष्ट्रपति शासन का फैसला टल गया है।
ख़बरों में कहा गया है कि विधानसभा स्पीकर ने नौ बागी कांग्रेस विधायकों को अयोग्य ठहरा दिया है, इसके बाद विधानसभा का अंकगणित पूरी तरह बदल जाएगा।
दरअसल केंद्र सरकार फिलहाल अपना कदम पीछे खींचने पर मजबूर हुई है क्योंकि एस.आर. बोम्मई बनाम यूनियन ऑफ इंडिया (1994 AIR 1918 SC: (1994) SCC1 3) के ऐतिहासिक फैसले में भारत के सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 356 और इससे जुड़े विभिन्न प्रावधानों पर विस्तार से चर्चा की थी। अनुच्छेद 356 के दुरुपयोग को इस फैसले के द्वारा रोक दिया गया। इस मामले के कारण केन्द्र-राज्य संबंधों पर भारी प्रभाव पड़ा और यह तय हुआ कि सरकार के भविष्य का फैसला सदन के फ्लोर पर होगा, राजभवन में नहीं। चूंकि भाजपा के ऊपर जिन कांग्रेसी विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप लग रहा है, वे कांग्रेसी विधायक दल-बदल कानून की परिधि में आते हैं। इसलिए समझा जाता है कि अब केंद्र सरकार थोड़ा इंतजार करके नए सिरे से कोई व्यूह रचना करेगी।
रावत सरकार गिराने की कोशिश में भाजपा-कांग्रेस का आरोप
दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय में एक प्रेस कांफ्रेंस में पार्टी महासचिव अंबिका सोनी ने मोदी सरकार और बीजेपी की जमकर आलोचना की। उन पर उत्तराखंड की रावत सरकार को अस्थिर करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि राजनीतिक संकट नहीं होने के बावजूद भाजपा राष्ट्रपति शासन लगाने के माध्यम से उत्तराखंड में कांग्रेस सरकार को गिराने के लिए पूरी कोशिश कर रही है।
भाजपा सरकार पर संविधान का उल्लंघन करने के आरोप
हालांकि केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार पर संविधान का उल्लंघन करने के आरोप लगते रहे हैं। कई राज्यपालों को जबरिया हटाए जाने के आरोप भी मोदी सरकार पर लगे। जबकि सन् 2002 में एनडीए सरकार के समय ही संविधान की कार्यकुशलता की समीक्षा के लिए गठित आयोग ने भी राज्यपाल को पूरे पांच साल तक पद पर बनाए रखने की अनुशंसा की थी। आयोग ने अपनी रिपार्ट में कहा था कि अनुच्छेद 156 में से ये शब्द हटा दिए जाएं कि ‘राज्यपाल राष्ट्रपति के प्लेजर के दौरान ही पद पर बना रह सकेगा।’ साथ ही उसकी नियुक्ति के लिए एक कमेटी हो जिसमें प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, लोकसभा स्पीकर तथा संबद्ध राज्य का मुख्यमंत्री शामिल हो। राज्यपाल को हटाने पर आयोग ने सिफारिश की थी कि उसे राष्ट्रपति को हटाने के समान ही राज्यविधान सभा में महाभियोग के जरिए हटाया जाए।


