छिन गया निजता का अधिकार तो आपकी पीठ भी आपके खिलाफ गवाही दे सकती है....
छिन गया निजता का अधिकार तो आपकी पीठ भी आपके खिलाफ गवाही दे सकती है....
निजता का अधिकार संविधान में मौलिक अधिकार के रूप में परिभाषित है या नहीं, इस पर सुनवाई चल रही है।
मेरी राय में यह सभी मौलिक अधिकारों से बढ़कर है। यह मेग्ना कार्टा, मानवाधिकार घोषणापत्र, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार घोषणापत्र... हर जगह दर्ज है।
इसके अभाव में किसी भी मौलिक अधिकार की कीमत दो कौड़ी के बराबर भी नहीं रह जाएगी।
इसको जब छीन लिया जायेगा, तब इसकी कीमत का अंदाजा लगेगा. हगना-मूतना भी बिग ब्रदर की निगरानी में होगा....
कोई अन्धभक्त, कोई गुलाम मानसिकता से ग्रसित, कोई अमानवीयता का शिकार, कोई नागरिकता बोध से रहित व्यक्तित्व इसकी कीमत भला क्या जानेगा....
आप चौबीसों घन्टे जॉर्ज ओरवेल के "उन्नीस सौ चौरासी" के बिग ब्रदर की निगरानी में होंगे। उस उपन्यास का यादगार सम्वाद कि "यहाँ तक कि आपकी पीठ भी आपके खिलाफ गवाही दे सकती है...."
दिगंबर


