जनता समझ चुकी है खालिद के हत्यारों को बचाने की सपा सरकार की कोशिशों को
जनता समझ चुकी है खालिद के हत्यारों को बचाने की सपा सरकार की कोशिशों को
खालिद की हत्या को बीमारी से हुयी
मौत बताने वाली रिपोर्ट सफेद झूठ -मो0 शुऐब
निमेष रिपोर्ट पर अमल के लिये मसीहुद्दीन संजरी और राजीव यादव अमरण अनशन पर
लेकिन तीसरे दिन भी नहीं पहुँचे डॉक्टर
कल 19 सितम्बर को बाटला हाऊस फर्जी मुठभेड़ की 5वीं बरसी पर होगा सम्मेलन
खालिद के इंसाफ और निमेष रिपोर्ट पर अमल के लिये रिहाई मंच के धरने ने पूरे किये 4 महीने
लखनऊ/18 सितम्बर। रिहाई मंच धरने का 120वां दिन और आमरण अन्शन का तीसरा दिन। रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने कहा कि सपा सरकार ने खालिद मुजाहिद के हत्यारे पुलिस और आईबी अधिकारियों को बचाने की सोची समझी साजिश के तहत मानसून सत्र में निमेष कमीशन की रिपोर्ट को पहले तो सदन में बिना कार्रवायी रिपोर्ट के रखा और उसके बाद अपनी सरकार द्वारा गठित दो सदस्यीय जाँच आयोग की रिपोर्ट जिसने जैसी की सम्भावना थी खालिद की मौत का कारण बीमारी बताया है, को सरकार को सौंपवा कर खालिद के इंसाफ के सवाल पर जनता को गुमराह करने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के आने से पहले ही मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जिस तरह खालिद की हत्या को बीमारी से हुयी मौत बता दिया था उसके बाद ही यह स्पष्ट हो गया था कि इस जाँच आयोग को सरकार को क्लीनचिट देने के लिये ही बनाया गया है। जिसके लिये उसने साजिशन एक मुस्लिम एडीजी जावेद अख्तर को आयोग में रखा ताकि मुसलमानों को गुमराह किया जा सके। इसीलिये जाँच आयोग को खालिद के चेहरे पर लगे खून के निशान, उसके नाखूनों और होट के नीले पड़ जाने, जांघ पर गहरे घाव के निशान और गर्दन के पीछे की टूटी हुयी हड्डी नजर नहीं आयी जिसे कोई अंधा भी देख सकता है।
यह बातें उन्होंने रिहाई मंच के अश्चितकालीन धरने के चार महीने पूरे होने के मौके पर कहीं।
मोहम्मद शुऐब ने कहा कि खालिद की हत्या की जाँच रिपोर्ट द्वारा यह कहना कि खालिद की तबीयत पहले से खराब थी सफेद झूठ है क्योंकि खालिद से वे खुद 18 मई को शाम साढ़े तीन बजे फैजाबद अदालत में मिल चुके थे और वह बिल्कुल स्वस्थ थे। उन्होंने कहा कि यही बात लखनऊ जेल के जेलर ने भी मीडिया को बतायी थी कि खालिद को कोई बीमारी नहीं थी। उन्होंने कहा कि खालिद के हत्यारों को बचाने की सपा सरकार की इन कोशिशों को जनता समझ चुकी है। इसलिये सरकार खालिद की हत्या में नामजद किये गए पुलिस और आईबी अधिकारियों को तत्काल गिरफ्तार कर जेल भेजे और निमेष कमीशन की रिपोर्ट पर अमल करे।
धरने और आमरण अनशन को सम्बोधित करते हुये इंडियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद सुलेमान ने कहा कि निमेष कमीशन की रिपोर्ट पर कार्रवायी रिपोर्ट न लाकर सपा सरकार ने खालिद की हत्या के बाद मुसलमानों से किये गये वादे को तोड़ दिया है। जिसका खामियाजा उसे भुगतने के लिये तैयार रहना होगा। उन्होंने कहा कि रिहाई मंच आजमगढ़ के प्रभारी मसीहुद्दीन संजरी और प्रवक्ता राजीव यादव पिछले तीन दिन से आमरण अन्शन पर बैठे हैं लेकिन प्रशासन की तरफ से एक बार भी किसी डॉक्टर का न आना साबित करता है कि सरकार संवेदनहीन हो गयी है जिसे बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य मोहम्मद सुलेमान ने कहा कि कल 19 सितम्बर को बाटला हाऊस फर्जी मुठभेड़ की पाँचवी बरसी के मौके पर रिहाई मंच धरना स्थल पर सम्मेलन करके सपा सरकार से पूछेगा कि चुनाव से पहले संजरपुर, आजमगढ़ जाकर इसे फर्जी मुठभेड़ बताने वाली सपा ने सत्ता में आने के बाद खालिद मुजाहिद जैसे निर्दोषों की हत्या क्यों करवाई और आज भी आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाह, जिन्हें छोड़ने का वादा सपा ने अपने चुनावी घोषणापत्र में किया था, जेलों में क्यों सड़ रहे हैं।
धरने को सम्बोधित करते हुये भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माले) नेता ओम प्रकाश सिंह और ईश्वरी प्रसाद कुशवाहा ने कहा कि उत्तर प्रदेश में दंगा कराने के लिये सपा और भाजपा में किस तरह गुप्त समझौता हो गया है कि इसका अंदाजा इस बात से लग जाता है कि मुजफ्फर नगर में दंगे फैलाने के आरोपी भाजपा नेता ठाकुर संगीत सिंह सोम और हुकुम सिंह जिन्हें जेल में होना चाहिये वो विधानसभा सत्र में सदन के अन्दर मौजूद हैं। माले नेताओं ने खुफिया एजेंसियों की इस रिपोर्ट पर कि अगर मुजफ्फर नगर के दंगाई विधायक पकड़े जायेंगे तो सांप्रदायिक दंगे और भड़क जायेंगे खुफिया एजेंसियों के हिन्दुत्ववादी मानसिकता का एक और उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि खुफिया एजेंसियाँ ऐसी सांप्रदायिक रिपोर्ट के जरिये हिन्दुत्ववादी फासीवादी राजनीति के हितों को मदद पहुंचाती हैं और कानून के राज को कमजोर करने की कोशिश करती हैं। उन्होने कहा कि आईबी का यह सांप्रदायिक रवैया उस समय और उजागर हो जाता है जब मुजफ्फर नगर में दंगा फैलाने वाले नेताओं के छिपे होने के ठिकानों का पता नहीं लगा पाती लेकिन आतंकवाद के नाम पर किसी निदोष मुसलमान को फँसाने की कहानी गढ़ने के लिये वह उसके अफगानिस्तान और फिलिस्तीन में प्रशिक्षण की बात तुरन्त बता देती है। उन्होंने कहा कि दंगाइयों को खुली छूट देने वाली सपा सरकार इंसाफ दिलाने के बजाय दंगा पीड़ितों को पेंशन देने की बात कहकर भविष्य में और भी दंगे कराने की योजना बना रही है। सरकार की रणनीति है कि मुस्लिम विरोधी हिंसा में मुसलमान मारे जाते रहें, विस्थापित होकर कैम्पों में ज़िन्दगी गुजारें और सरकार पेंशन के नाम पर चंद नोट बाँटकर मुसलमानों के वोट पाती रहेगी। उन्होंने कहा कि सपा सरकार की यह पेंशन नीति यूपी को गुजरात बनाने की कोशिश है जिसे जनता स्वीकार नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि सपा और भाजपा के इस सांप्रदायिक गठजोड़ को बेनकाब करके ही प्रदेश को बचाया जा सकता है।
रिहाई मंच के प्रवक्ता शाहनवाज आलम ने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश कल्यान ज्योतिसेन गुप्ता और न्यायमूर्ति केसी भानु की पीठ द्वारा दिये गये फैसले को फास्स्टि रूझान वाला और लोकतन्त्र विरोधी बताया जिसमें उसने राज्य सरकार द्वारा आतंकवाद के मामलों में बंद बेकसूर मुस्लिम नौजवानों को रिहाई के बाद सरकार द्वारा दिये गये मुआवजे पर आपत्ति की है। रिहाई मंच के प्रवक्ता ने कहा कि अदालतें बेगुनाह मुस्लिम युवकों को आतंकी बताकर पकड़ने वाल पुलिस अधिकारियों के खिलाफ तो कोई सख्त कदम नहीं उठातीं, यहाँ तक कि बिना ठोस सबूतों के बहुसंख्यक समाज के साम्प्रदायिक हिस्से की संतुष्टि के लिये किसी को भी फाँसी पर लटका देती हैं लेकिन जब कोई मुस्लिम युवक निर्दोष होने के बावजूद सालों बाद जेल से छूटता है और लम्बे संघर्ष के बाद अपने साथ हुये नाइंसाफी के बदले सरकार से मुआवजा लेने में कामयाब होता है तो उससे अदालतों को परेशानी होती है। उन्होंने कहा कि अदालतों का यह साम्प्रदायिक रवैया लोकतन्त्र और इंसाफ के बुनियादी सिद्धान्तों के खिलाफ है जिसपर तत्काल रोक लगनी चाहिये।
मुस्लिम मजलिस के नेता शाहआलम शेरवानी, जैद अहमद फारूकी, भारतीय एकता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सैयद मोईअहमद और सामाजिक कार्यकर्ता रफीक सुल्तान खान ने जनता से अपील की कि बाटला हाऊस फर्जी मुठभेड़ की पाँचवी बरसी पर आयोजित सम्मेलन में ज्यादा से ज्यादा संख्या में पहुँच कर आतंकवाद की राजनीति के खिलाफ आवाज बुलन्द करें।
धरने का संचालन इलाहाबाद से आये रिहाई मंच के नेता अनिल आजमी ने किया। धरने में केरल से आये पीएफआई के अबुबकर, ओएमए सलाम, पीएफआई के एम फरीद, पिछड़ा समाज महासभा के एहसानुल हक मलिक, शिवनारायण कुशवाहा, रिजवान, मोहम्मद अहमद, शाहनवाज खान, रफीक सुल्तान खान, ईश्वरी प्रसाद कुशवाहा, बालमुकुंद धूरिया, कमर सीतापुरी, पीसी कुरील, अब्दुर्रहमान, अमित मिश्रा, लक्ष्मण प्रसाद, हरेराम मिश्रा, गुफरान सिद्दीकी, शिवदास प्रजापति, शाहनवाज आलम आदि मौजूद थे।


