फैज़ाबाद4 जनवरी । शनिवार को सावित्री बाई फुले के जन्म दिवस पर अवध पीपुल्स फोरम की ओर से “वर्तमान समय में सावित्री बाई फुले के कार्यों की प्रसांगिकता” विषय पर परिचर्चा का आयोजन पत्रकारिता प्रशिक्षण संस्थान में किया गया। जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में पत्रकार सुश्री सुमन गुप्ता ने कहा कि ‘‘समय के साथ चलना होगा, जो आज तकनीकी ज्ञान का समय है, इसका प्रयोग आज समाज को बिगड़ने और युवाओं को गलत दिशा में ले जाने के लिए हो रहा है, हमको ये सोचना होगा कि हम कैसे इस तकनीक के समय में अपने कामों को आगे बढ़ाएँ, जिससे कि वंचित, शोषित, अवसरहीन जनता को भी इस व्यवस्था में विकास के अवसर मिलें, सावित्री बाई फुले के कामों को याद करना निसंदेह उनके द्वारा किए गए संघर्ष को आगे ले जाने की ओर एक कदम है।’’
लेखक आर. डी. आनंद ने सावित्री बाई फुले के कामों पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि ‘‘ये समय ऐसे लोगों के विचारों और कामों को बताने के लिए बहुत उपयुक्त है, जब पूँजीवादी शक्तिओं की तरफ से ये बताया और समझाया जा रहा है कि सब ठीक चल रहा है, और ऐसे-ऐसे मिथक बनाये जा रहे हैं कि जनता उनको समझ नहीं पा रही है। तमाम ऐसी-ऐसी बाते हो रही है जो हवा में है, ज़मीन पर उनका कोई अस्तित्व ही नहीं है, तकनीक और चन्द लोगों के विकास के लबादे को समस्त वंचित, शोषित, मेहनतकश जनता पर जबरन लादने का प्रयास जारी है, ऐसे समय में हम जैसे लोगों के लिए काम बहुत अधिक है।’’
एस. पी. चौबे ने कहा कि ‘‘वंचितीकरण की लम्बी संस्कृति है, इसको समाप्त करने के लिए सावित्री बाई फुले के साथ उनके जैसे सभी समाज को बेहतर दिशा देने वालों के विचारों पर आगे बढ़ने से एक बेहतर बराबरी और सभी के लिए सामान अवसर का समाज बनेगा।’’
सामाजिक कार्यकर्ता विनीत मौर्या ने कहा कि ‘‘जब तक अन्धविश्वास पर ये व्यवस्था टिकी रहेगी, तब तक सावित्री बाई और ज्योति बा फुले के कामों की समाज में प्रसांगिकता बनी रहेगी।’’
मुकेश कुमार ने कहा कि ‘‘वंचितों के साथ बहुत समय से नाइंसाफी हो रही है, आज सावित्री बाई फुले के जन्म दिन के अवसर पर उनको और उनके कामों को याद करना, वंचितों के हकदारी के अभियान में एक कदम आगे बढ़ना है।’’
शिल्पी चौधरी ने कहा कि ‘‘शिक्षा और महिलाओं को सामान अवसर दिलाने के लिए सावित्री बाई फुले के कामों को याद करते हुए आज के सवालों-चुनौतियों को हल करने की ओर आगे जाना चाहिए।’’
एडवोकेट रणधीर सिंह सुमन ने कहा कि ‘‘आज नाइंसाफी का बोलबाला है, हक़ पाना बहुत मुश्किल होता जा रहा है, ऐसे में वंचितों को संगठित आवाज़ बनाने की ज़रूरत है।’’। एडवोकेट मो. शोएब ने कहा कि ‘‘किसी भी सही काम को करते समय तकलीफ और नुकसान होता है, ऐसे में साहस से जुटे रहने से बेहतर काम होता है, सावित्री बाई फुले सरीखे लोगों के काम को समझना और जनता के लिए काम करना ज़रूरी है।’’
कार्यक्रम के अन्त में दिनेश सिंह ने कहा कि ‘‘हम लगातार ऐसे मुद्दे और प्रयास करते रहेंगे जिससे की मेहनतकश आवाम को गैरबराबरी से मुक्ति मिले, युवा एक बेहतर सोच के साथ अपने भविष्य बनाने के साथ अपनी सामाजिक-संस्कृति जि़म्मेदारियों को भी समझें।’’। कार्यक्रम का संचालन करते हुए आफ़ाक़ ने कहा कि ‘‘हम लगातार उन लोगों के जीवन और काम पर चर्चा करेंगे जिन्होंने समाज को बनाने और संवारने का काम किया है।’’
कार्यक्रम में मुख्य रूप से नानक चंद गुप्ता, गुफरान सिद्दीकी, मो. इरफ़ान, आशीष कुमार, दीपक कुमार, हरिओम, हिना बानो, संगीता, विनोद सिंह, वैभव, शब्बीर, पप्पू सोनकर आदि लोग मौजूद रहे।